कानपुर : मई-जून जैसी गर्मी अप्रैल महीने में ही सताने लगी है. कानपुर का तापमान 38 डिग्री पहुंच रहा है. गर्मी के तेवर से आम इंसान और वन्यजीव सभी परेशान हैं. बढ़ती गर्मी के चलते कानपुर के चिड़ियाघर में वन्यप्राणियों के लिए ठंडक के इंतजाम कर दिए गए हैं.
मौसम को लेकर अति संवेदनशील रहने वाले जानवरों के डाइट में बदलाव किया गया है. साथ ही बाड़ों में स्प्रिंकलर के जरिए कृत्रिम बारिश कराई जा रही है, जिससे बाड़ों में ठंडक बनी रहे और वन्यजीवों को गर्मी का एहसास न हो.
शेर, चीता की खुराक की गई कम : कानपुर चिड़ियाघर के क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया, जू में करीब 1200 से ज्यादा जंगली जानवर हैं. अप्रैल महीने से पारे में लगातार बढ़ोतरी होने के चलते वन्यजीवों के खान-पान में काफी बदलाव किए गए हैं. बाडों में स्पिंकलर लगाए गए हैं. चिड़ियाघर में 10 बाघ, 4 शेर, 23 तेंदुए, 11 लकड़बग्घा, 16 सियार जैसे बड़े मांसाहारी जानवर हैं.
शेर और चीतों के बाड़े में एक छोटे से पॉट में पानी भर गया है, जिसमें बैठकर वह खुद को ठंड रख सकते हैं. इसके साथ ही उनके बाड़ों मे स्प्रिंकलर लगाए गए हैं जो की दिन भर चलता रहता है. उनकी खुराक में भी कमी की गई है. अभी इन्हें मांस खाने में दिया जा रहा है, उसमें दो किलो की कमी कर दी गई है.
सर्दियों में इन्हें सात से आठ किलो मांस दिया जाता था. वहीं अब इन्हें पांच से छ: किलो ही मांस दिया जा रहा है. लकड़बग्घा, सियार और भेड़िया की खुराक तीन किलो से कम करके अब डेढ़ किलो कर दिया गया है. इसके अलावा हिरण को हरा चारा दिया जा रहा है. जानवरों को हम पानी दे रहे हैं उसमें ओआरएस और इलेक्ट्रॉल मिला रहे हैं. जिससे जानवरों के शरीर में पानी की बिल्कुल भी कमी न हो.
भालू खा रहा आइसक्रीम और तरबूज: नावेद इकराम ने बताया, चिड़ियाघर में मौजूदा समय में दो मादा और दो नर भालू हैं. गर्मी के जो इस समय हालात है इसको देखते हुए इन्हें तरबूज, खरबूज, ककड़ी, खीरा खिलाया जा रहा है. समय-समय पर फ्रूट आइसक्रीम भी दी जा रही है. एक दिन में करीब चार से पांच किलो की खुराक ही इन्हें दी जा रही है. जू के वरिष्ठ डॉक्टर समय-समय पर सभी वन्यजीवों का रूटीन चेकअप भी कर रहे हैं.
कानपुर जू के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि वन्यजीवों को गर्मी से बचने के लिए बाड़े में रेन वाटर गन लगाई गई है. उनके खान-पान में भी काफी ज्यादा बदलाव किए गए हैं. उन्हें अधिक से अधिक रस वाले फल दिए जा रहे हैं. पानी में मिनरल्स व विटामिंस के घोल को मिलाकर दिया जा रहा है. गैंडा को मीठी ज्वार (हरी चारी) के साथ केला खिलाया जा रहा है. इसके अलावा बाड़े में कूलर लगाए गए हैं, जिससे वह ठंडी हवा का आनंद ले सकें.