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धींगा गवर मेला 2025: महिलाओं ने उठाई आवाज, कहा-मनचलों पर लगे लगाम, अनावश्यक आयोजन पर हो पाबंदी - DHINGA GAVAR MELA

धींगा गवर मेले की व्यवस्थाओं को लेकर हुई बैठक में महिलाओं ने कहा कि इस उत्सव में महिलाओं का ही राज चलना चाहिए.

Women in Dhinga Gawar fair
धींगा गवर मेले में स्वांग में महिलाएं (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 12, 2025 at 2:25 PM IST

4 Min Read

जोधपुर: शहर में बरसों से आयोजित हो रहे धींगा गवर मेले की अस्मिता को लेकर महिलाएं इस बार काफी मुखर हैं. महिलाओं ने साफ तौर पर कह दिया है कि जब यह उत्सव महिलाओं का है, तो इसमें राज भी महिलाओं का ही चलेगा. वे मेले के सांस्कृतिक महत्व को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रही हैं. 16 अप्रैल को आयोजित होने वाले मेले की व्यवस्थाओं को लेकर पुलिस के साथ हुई बैठक में एक महिला ने तो यहां तक कह दिया कि 16 दिन व्रत के साथ पूजन करती हैं और आखिरी दिन इसका मजाक बना दिया जाता है. बैठक में मौजूद एडीसीपी वीरेंद्र सिंह ने सभी महिलाओं को आश्वस्त किया कि उनकी मंशा के अनुरूप व्यवस्था की जाएगी.

धींगा गवर मेले का आयोजन सदियों से अपनी पारंपरिक रंगत और सांस्कृतिक गौरव के लिए प्रसिद्ध रहा है. परंतु पिछले कुछ वर्षों में इस मेले का मूल स्वरूप ही खो गया. मनचले सबसे बड़ी परेशानी बन रहे हैं. साथ ही महिलाएं मेले में अनावश्यक आयोजन भी वो नहीं चाहती हैं.

धींगा गवर को लेकर महिलाओं ने रखी ये मांग (ETV Bharat File Jodhpor)

पढ़ें: जोधपुर में 'महिला शक्ति' के मेले, धींगा गवर में पूरी रात रहता है महिलाओं का राज - Worship of Women Power - WORSHIP OF WOMEN POWER

छड़ी की मार से शादी नहीं होती: धींगा गवर मेले को लेकर यह बात प्रसिद्ध है कि जब महिलाएं रात को सड़कों पर आती हैं, तो उनके हाथ में बैंत होती है. मान्यता है कि अगर किसी कुंवारे लड़के को एक बैंत की मार पड़ जाए, तो उसकी शादी हो जाती है. इसी कारण मेले के दौरान रात को बड़ी भारी भीड़ जमा होती है. मेले की व्यवस्थाओं को लेकर बैठक के दौरान एक महिला ने साफ शब्दों में कहा कि यह यूटयूबर्स और सोशल मीडिया की बनाई हुई बात है. मेरे चार भाई कुंवारे बैठे हैं, औसत उम्र 40 साल है. हम खुद वर्षों से पूजन कर रहे हैं. बैंत की मार से किसी की शादी नहीं होती. इस गलत बात के कारण मनचले एकत्र होते हैं.

पढ़ें: Dhinga Gavar Pujan : जोधपुर में गणगौर के बाद धींगा गवर पूजन, बेंत लगी तो जल्द होगा विवाह, जानें दिलचस्प पर्व के बारे में

पूजन के बाद बन जाता है मजाक: एक महिला ने कहा कि 16 दिन का त्योहार होता है. लगातार हम व्रत करती हैं. 15 दिन पूजन के बाद अंतिम दिन जब हम गवर माता को लेकर निकलते हैं और स्वांग रचते हैं, तो हमारा मजाक बन जाता है. यह भगवान का उत्सव है. धींगा गवर शक्ति का रूप है. भगवान के उत्सव को उत्सव की तरह मानना चाहिए. इसका बाजारीकरण नहीं होना चाहिए. जो महिलाएं व्रत नहीं करती हैं, वो हाथ में डंडे लेकर आ जाती हैं. उनको रोकना होगा.

पढ़ें: धींगा गवर: सुहाग के लिए एक ऐसी पूजा जिसमें विधवाएं भी होती हैं शामिल - धींगा गवर

स्टेज संस्कृति का हुआ पुरजोर विरोध: इस बार हर घर से स्टेज संस्कृति का विरोध भी उमड़ रहा है. पारंपरिक मंचों पर अब पुरुष प्रधान कलाकारों की जगह महिलाओं की आवाज और उनकी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को प्रमुखता दी जाएगी. महिलाएं कहती हैं कि जब हमारी संस्कृति में महिलाओं का राज होगा, तभी इसकी सार्थकता बनी रहेगी. कई महिलाओं ने इस बार यह मांग भी उठाई कि मनचलों पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाई जाए. ताकि महिला कलाकार पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अभिनय कर सकें और कोई बाहरी दबाव उनके कलात्मक निर्णयों में हस्तक्षेप न कर सके.

इसलिए होती है परेशानी: मेले की रात पूरे शहर से लोग भीतरी शहर में पहुंचते हैं. हजारों की भीड़ सड़क पर रहती है. इसमें बड़ी संख्या ने मनचले होते हैं, जो महिलाओं पर फब्तियां कसते हैं, छेड़खानी करते हैं. कई जगह पर सम्मान समारोह के स्टेज लगे होने से भीड़ जमा होने से तिजानियां उसमें फंस जाती हैं. इस दौरान स्थिति विकट हो जाती है. इसके चलते विगत कुछ सालों से व्यवस्थाओं में बदलाव की मांग हो रही है.

जोधपुर: शहर में बरसों से आयोजित हो रहे धींगा गवर मेले की अस्मिता को लेकर महिलाएं इस बार काफी मुखर हैं. महिलाओं ने साफ तौर पर कह दिया है कि जब यह उत्सव महिलाओं का है, तो इसमें राज भी महिलाओं का ही चलेगा. वे मेले के सांस्कृतिक महत्व को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रही हैं. 16 अप्रैल को आयोजित होने वाले मेले की व्यवस्थाओं को लेकर पुलिस के साथ हुई बैठक में एक महिला ने तो यहां तक कह दिया कि 16 दिन व्रत के साथ पूजन करती हैं और आखिरी दिन इसका मजाक बना दिया जाता है. बैठक में मौजूद एडीसीपी वीरेंद्र सिंह ने सभी महिलाओं को आश्वस्त किया कि उनकी मंशा के अनुरूप व्यवस्था की जाएगी.

धींगा गवर मेले का आयोजन सदियों से अपनी पारंपरिक रंगत और सांस्कृतिक गौरव के लिए प्रसिद्ध रहा है. परंतु पिछले कुछ वर्षों में इस मेले का मूल स्वरूप ही खो गया. मनचले सबसे बड़ी परेशानी बन रहे हैं. साथ ही महिलाएं मेले में अनावश्यक आयोजन भी वो नहीं चाहती हैं.

धींगा गवर को लेकर महिलाओं ने रखी ये मांग (ETV Bharat File Jodhpor)

पढ़ें: जोधपुर में 'महिला शक्ति' के मेले, धींगा गवर में पूरी रात रहता है महिलाओं का राज - Worship of Women Power - WORSHIP OF WOMEN POWER

छड़ी की मार से शादी नहीं होती: धींगा गवर मेले को लेकर यह बात प्रसिद्ध है कि जब महिलाएं रात को सड़कों पर आती हैं, तो उनके हाथ में बैंत होती है. मान्यता है कि अगर किसी कुंवारे लड़के को एक बैंत की मार पड़ जाए, तो उसकी शादी हो जाती है. इसी कारण मेले के दौरान रात को बड़ी भारी भीड़ जमा होती है. मेले की व्यवस्थाओं को लेकर बैठक के दौरान एक महिला ने साफ शब्दों में कहा कि यह यूटयूबर्स और सोशल मीडिया की बनाई हुई बात है. मेरे चार भाई कुंवारे बैठे हैं, औसत उम्र 40 साल है. हम खुद वर्षों से पूजन कर रहे हैं. बैंत की मार से किसी की शादी नहीं होती. इस गलत बात के कारण मनचले एकत्र होते हैं.

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पूजन के बाद बन जाता है मजाक: एक महिला ने कहा कि 16 दिन का त्योहार होता है. लगातार हम व्रत करती हैं. 15 दिन पूजन के बाद अंतिम दिन जब हम गवर माता को लेकर निकलते हैं और स्वांग रचते हैं, तो हमारा मजाक बन जाता है. यह भगवान का उत्सव है. धींगा गवर शक्ति का रूप है. भगवान के उत्सव को उत्सव की तरह मानना चाहिए. इसका बाजारीकरण नहीं होना चाहिए. जो महिलाएं व्रत नहीं करती हैं, वो हाथ में डंडे लेकर आ जाती हैं. उनको रोकना होगा.

पढ़ें: धींगा गवर: सुहाग के लिए एक ऐसी पूजा जिसमें विधवाएं भी होती हैं शामिल - धींगा गवर

स्टेज संस्कृति का हुआ पुरजोर विरोध: इस बार हर घर से स्टेज संस्कृति का विरोध भी उमड़ रहा है. पारंपरिक मंचों पर अब पुरुष प्रधान कलाकारों की जगह महिलाओं की आवाज और उनकी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को प्रमुखता दी जाएगी. महिलाएं कहती हैं कि जब हमारी संस्कृति में महिलाओं का राज होगा, तभी इसकी सार्थकता बनी रहेगी. कई महिलाओं ने इस बार यह मांग भी उठाई कि मनचलों पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाई जाए. ताकि महिला कलाकार पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अभिनय कर सकें और कोई बाहरी दबाव उनके कलात्मक निर्णयों में हस्तक्षेप न कर सके.

इसलिए होती है परेशानी: मेले की रात पूरे शहर से लोग भीतरी शहर में पहुंचते हैं. हजारों की भीड़ सड़क पर रहती है. इसमें बड़ी संख्या ने मनचले होते हैं, जो महिलाओं पर फब्तियां कसते हैं, छेड़खानी करते हैं. कई जगह पर सम्मान समारोह के स्टेज लगे होने से भीड़ जमा होने से तिजानियां उसमें फंस जाती हैं. इस दौरान स्थिति विकट हो जाती है. इसके चलते विगत कुछ सालों से व्यवस्थाओं में बदलाव की मांग हो रही है.

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