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4 दिवसीय चैती छठ महापर्व की शुरुआत, नहाय-खाय के दिन गंगा घाटों पर व्रतियों ने लगाई आस्था की डुबकी - CHAITI CHHATH PUJA 2025

लोक आस्था के महापर्व चैती छठ पूजा की आज से शुरुआत हो गई है. इसे लेकर गंगा घाटों पर हजारों व्रती डुबकी लगाते नजर आए.

Chaiti Chhath Puja 2025
चैती छठ 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 1, 2025 at 2:30 PM IST

4 Min Read

पटना: बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की आज मंगलवार से शुरुआत हो गई है. आज नहाय-खाय के साथ छठ पूजा का पहला दिन है. उसी कड़ी में आज पटना के गंगा घाटों पर छठव्रती के साथ-साथ श्रद्धालुओं की भी काफी भीड़ देखने को मिली है. भारी संख्या में आज मंगलवार को छठव्रती और श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और गंगाजल अपने सिर पर रखकर घर ले गए.

श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी: राजधानी पटना समेत बिहार के समस्तीपुर, भागलपुर, गया, और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में गंगा और अन्य नदियों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली है. जिला प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और भीड़ प्रबंधन को लेकर व्यापक तैयारियां की है. यह पर्व सूर्य देवता और छठी मईया की उपासना का प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का भी परिचय देता है.

छठ महापर्व की शुरूआत (ETV Bharat)

प्रकृति और आस्था का संगम: छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला चार दिवसीय महापर्व है. छठव्रती ने बताया कि यह साल में दो बार – चैत्र माह में चैती छठ और कार्तिक माह में कार्तिकी छठ के रूप में मनाया जाता है. चैती छठ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में पड़ती है.

"चैती छठ तुलना में कार्तिकी छठ अधिक प्रसिद्ध है, लेकिन चैती छठ का महत्व भी कम नहीं है. मान्यता है कि इस पर्व को मनाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और परिवार को स्वास्थ्य, समृद्धि, और संतान सुख प्रदान करते हैं."-छठव्रती

Chaiti Chhath Puja 2025
छठ महापर्व के लिए सूखा रहे गेहूं (ETV Bharat)

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व: छठ पूजा की उत्पत्ति के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में द्रौपदी ने पांडवों की खोई हुई राजसत्ता वापस पाने और संतान प्राप्ति के लिए छठ व्रत किया था. एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम और सीता ने अयोध्या लौटने पर कार्तिक मास में छठ पूजा की थी. वहीं स्थानीय लोककथाओं में छठी मईया को सूर्य देव की बहन और संतान रक्षक देवी माना गया है. इस प्रकार, यह पर्व प्रकृति पूजा और स्त्री-शक्ति के सम्मान का भी प्रतीक है.

Chaiti Chhath Puja 2025
गंगा घाटों पर डुबकी लगाते दिखें व्रती (ETV Bharat)

नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय चैती छठ: नहाय-खाय में व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं और चने की दाल, कद्दू की सब्जी, और चावल ग्रहण करते हैं. इस दिन घर की साफ-सफाई और शुद्धिकरण पर जोर दिया जाता है. खरना को दूसरे दिन व्रती दिन भर उपवास रखकर शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस प्रसाद को पूरे समुदाय में बांटा जाता है. तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है. यह मुख्य दिन होता है. श्रद्धालु नदी या तालाब के किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस दौरान बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, और गन्ना रखकर विशेष पूजा की जाती है. अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. इसके बाद प्रसाद वितरण और पारंपरिक गीतों के साथ उत्सव मनाया जाता है.

Chaiti Chhath Puja 2025
सुरक्षा के किये गए कड़े इंतजाम (ETV Bharat)

41 गंगा घाट और सात तालाब हुए तैयार: जिला प्रशासन की ओर से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को देखते हुए 41 गंगा घाट और सात तालाबों को तैयार किया गया है. वहीं जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई और एप्रोच रोड के साथ गंगा नदी में बेरीकेडिंग, शुद्ध पेजल, लाइटिंग, शौचालय और चेंजिंग रूम की व्यवस्था की गई है. वहीं गंगा घाटों पर मेडिकल टीम की भी प्रतिनियुक्ति की गई है. गंगा नदी में लगातार एसडीआरएफ की टीम के द्वारा पेट्रोलिंग की जा रही है. जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि गंगा नदी में किए गए बेरीकेडिंग को पर ना करें.

पढ़ें-नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय चैती छठ महापर्व की शुरुआत, आज के दिन कद्दू-चावल के प्रसाद है बड़ा महत्व

पटना: बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की आज मंगलवार से शुरुआत हो गई है. आज नहाय-खाय के साथ छठ पूजा का पहला दिन है. उसी कड़ी में आज पटना के गंगा घाटों पर छठव्रती के साथ-साथ श्रद्धालुओं की भी काफी भीड़ देखने को मिली है. भारी संख्या में आज मंगलवार को छठव्रती और श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और गंगाजल अपने सिर पर रखकर घर ले गए.

श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी: राजधानी पटना समेत बिहार के समस्तीपुर, भागलपुर, गया, और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में गंगा और अन्य नदियों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली है. जिला प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और भीड़ प्रबंधन को लेकर व्यापक तैयारियां की है. यह पर्व सूर्य देवता और छठी मईया की उपासना का प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का भी परिचय देता है.

छठ महापर्व की शुरूआत (ETV Bharat)

प्रकृति और आस्था का संगम: छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला चार दिवसीय महापर्व है. छठव्रती ने बताया कि यह साल में दो बार – चैत्र माह में चैती छठ और कार्तिक माह में कार्तिकी छठ के रूप में मनाया जाता है. चैती छठ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में पड़ती है.

"चैती छठ तुलना में कार्तिकी छठ अधिक प्रसिद्ध है, लेकिन चैती छठ का महत्व भी कम नहीं है. मान्यता है कि इस पर्व को मनाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और परिवार को स्वास्थ्य, समृद्धि, और संतान सुख प्रदान करते हैं."-छठव्रती

Chaiti Chhath Puja 2025
छठ महापर्व के लिए सूखा रहे गेहूं (ETV Bharat)

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व: छठ पूजा की उत्पत्ति के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में द्रौपदी ने पांडवों की खोई हुई राजसत्ता वापस पाने और संतान प्राप्ति के लिए छठ व्रत किया था. एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम और सीता ने अयोध्या लौटने पर कार्तिक मास में छठ पूजा की थी. वहीं स्थानीय लोककथाओं में छठी मईया को सूर्य देव की बहन और संतान रक्षक देवी माना गया है. इस प्रकार, यह पर्व प्रकृति पूजा और स्त्री-शक्ति के सम्मान का भी प्रतीक है.

Chaiti Chhath Puja 2025
गंगा घाटों पर डुबकी लगाते दिखें व्रती (ETV Bharat)

नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय चैती छठ: नहाय-खाय में व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं और चने की दाल, कद्दू की सब्जी, और चावल ग्रहण करते हैं. इस दिन घर की साफ-सफाई और शुद्धिकरण पर जोर दिया जाता है. खरना को दूसरे दिन व्रती दिन भर उपवास रखकर शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस प्रसाद को पूरे समुदाय में बांटा जाता है. तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है. यह मुख्य दिन होता है. श्रद्धालु नदी या तालाब के किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस दौरान बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, और गन्ना रखकर विशेष पूजा की जाती है. अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. इसके बाद प्रसाद वितरण और पारंपरिक गीतों के साथ उत्सव मनाया जाता है.

Chaiti Chhath Puja 2025
सुरक्षा के किये गए कड़े इंतजाम (ETV Bharat)

41 गंगा घाट और सात तालाब हुए तैयार: जिला प्रशासन की ओर से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को देखते हुए 41 गंगा घाट और सात तालाबों को तैयार किया गया है. वहीं जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई और एप्रोच रोड के साथ गंगा नदी में बेरीकेडिंग, शुद्ध पेजल, लाइटिंग, शौचालय और चेंजिंग रूम की व्यवस्था की गई है. वहीं गंगा घाटों पर मेडिकल टीम की भी प्रतिनियुक्ति की गई है. गंगा नदी में लगातार एसडीआरएफ की टीम के द्वारा पेट्रोलिंग की जा रही है. जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि गंगा नदी में किए गए बेरीकेडिंग को पर ना करें.

पढ़ें-नहाय-खाय के साथ 4 दिवसीय चैती छठ महापर्व की शुरुआत, आज के दिन कद्दू-चावल के प्रसाद है बड़ा महत्व

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