मंडी: बारिश से क्षतिग्रस्त हुए मकान का मुआवजा ना देने पर जिला उपभोक्ता एवं विवाद निवारण आयोग ने बीमा कंपनी को 5 प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजा राशि देने का अहम फैसला सुनाया है साथ ही आयोग ने उपभोक्ता को मानसिक रूप से परेशान करने पर 50 हजार और 5 हजार रुपये मुकदमा खर्च राशि अदा करने के भी आदेश दिए हैं. उपभोक्ता ने बारिश से क्षतिग्रस्त हुए उसके मकान की इन्स्योरेन्स के बाद बीमा कंपनी से करीब 35 लाख रुपये मुआवजा राशि की मांग की थी लेकिन बीमा कंपनी मुआवजा देने में आनाकानी करती रही, जिसके बाद सरकाघाट उपमंडल निवासी विनोद कुमार ने बीमा कंपनी के खिलाफ जिला उपभोक्ता एवं विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी.
वहीं, इस मामले के बारे में जब अधिवक्ता भवंर भारद्वाज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीमा कंपनी ने शिकायतकर्ता विनोद कुमार को कम्पनी क्लॉज का हवाला देते हुए बीमा की मुआवजा राशि देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद शिकायतकर्ता के माध्यम से उन्होंने जिला उपभोक्ता एवं विवाद निवारण आयोग को इसकी शिकायत की. आयोग के अध्यक्ष पुरेंद्र वैद्य व सदस्य मांचली की पीठ ने कंपनी मुआवजा न देने के कंपनी के तर्कों को अमान्य बताया. इसके बाद आयोग द्वारा कंपनी को यह मुआवजा राशि देने का आदेश सुनाया है.
10 साल तक था मकान का बीमा
आयोग के अध्यक्ष पुरेंद्र वैद्य व सदस्य मांचली की पीठ ने यह अहम फैसला सुनाया है. जानकारी के मुताबिक विनोद कुमार पुत्र रूप देव गांव हवाणी, नलोह डाकघर पिंगला तहसील भदरोता, सरकाघाट ने अपने वकील भंवर भारद्वाज के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के तहत 24 जनवरी 2023 को शिकायत दर्ज की थी कि उसने बीमा कंपनी से अपने पक्के व पूरी तरह से तैयार किए गए मकान का 35 लाख रुपये का बीमा करवाया था जिसकी अवधि 28 अगस्त 2019 से लेकर अगले 10 साल यानी 27 अगस्त 2029 तक थी.
साल 2022 की बारिश में मकान हुआ था क्षतिग्रस्त
इसी बीच 19 व 20 अगस्त 2022 में भारी बारिश के कारण उसका मकान क्षतिग्रस्त हो गया. मकान में बड़ी-बड़ी दरारें आ गईं और मकान रहने लायक नहीं रहा. पंचायत ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे अनसेफ बताया. इस नुकसान का विशेषज्ञ से आकलन करवाया गया और इसकी कीमत 34 लाख 59, 151 रुपये आंकी गई. मामला बीमा कंपनी को मुआवजे के लिए दिया गया मगर कई तरह के नियमों का हवाला देते हुए कंपनी ने जब कोई राहत नहीं दी तो जनवरी 2023 में आयोग का दरवाजा खटखटाया गया. विनोद कुमार के वकील भंवर भारद्वाज ने बताया कि "आयोग ने शिकायत को सही माना व कंपनी द्वारा दिए गए तर्कों को अमान्य करते हुए शिकायत के दिन से ही विनोद कुमार को 34 लाख 59 हजार 151 रुपये, 5 प्रतिशत ब्याज, 50 हजार रुपए मानसिक उत्पीड़न झेलने व 5 हजार रुपये मुकदमा खर्च के तौर पर अदा करने के आदेश जारी किए हैं."
वहीं इस मामले के बारे में जब अधिवक्ता भवंर भारद्वाज से बात की गई तो उन्होंने बताया "बीमा कंपनी ने शिकायतकर्ता विनोद कुमार को कम्पनी क्लॉज का हवाला देते हुए बीमा की मुआवजा राशि देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद शिकायतकर्ता के माध्यम से उन्होंने जिला उपभोक्ता एवं विवाद निवारण आयोग को इसकी शिकायत की. आयोग के अध्यक्ष पुरेंद्र वैद्य व सदस्य मांचली की पीठ ने कंपनी मुआवजा न देने के कंपनी के तर्कों को अमान्य बताया. इसके बाद आयोग द्वारा कंपनी को यह मुआवजा राशि देने का आदेश सुनाया है". शिकायतकर्ता ने रजिस्टर आर्किटेक्ट का स्पॉट विजिट करवाया था पहले, जिसमें इसकी वैल्यू आंकी गई. इसके बाद पंचायत प्रधान ने भी इस नुकसान को सही बताया है.
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