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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बोले- होम्योपैथिक दवाओं के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा, सभी पैथी एक साथ मिलकर करें इलाज - LUCKNOW NEWS

होम्योपैथिक के जनक डॉ. सैम्युअल हैनिमैन के 270वें जन्मदिवस पर केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया गया.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक कार्यक्रम में रहे मौजूद.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक कार्यक्रम में रहे मौजूद. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 10, 2025 at 11:08 PM IST

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लखनऊ : होम्योपैथिक दवाओं के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है. अब जरूरत है होम्योपैथ में शोध को बढ़ाने की. ताकि इविडेंस बेस्ड मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा सके. सभी पैथी एक साथ मिलकर गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए एकजुट है. शोध पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

यह बातें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कही. वह गुरुवार को होम्योपैथिक के जनक डॉ. सैम्युअल हैनिमैन के 270वें जन्मदिवस पर केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि मौजूदा समय में तमाम तरह की नई बीमारियां पनप रही हैं. ऐसे में सभी पैथी को मिलकर लोगों की सेहत संवारनी होगी. गंभीर बीमारियों ने चिकित्सा जगत के सामने चुनौतियां खड़ी हैं, लेकिन उन्हें आसानी से मात दी जा सकती है. कोविड काल में वायरस को मात देकर हम यह साबित भी कर चुके हैं.

मीठी गोलियों का जबरदस्त प्रभाव : होम्योपैथिक की मीठी गोलियों का जबदरस्त प्रभाव है. सर्दी-जुकाम, बुखार से लेकर त्वचा, गठिया समेत दूसरी जटिल बीमारियों का कारगर इलाज होम्योपैथ में है. राजकीय नेशनल होम्योपैथ कॉलेज अच्छा काम कर रहा है. वहां मरीजों की भर्ती भी शुरू कर दी गई है. इसका फायदा मरीजों के साथ बीएचएमएस के छात्रों को भी होगा. मेडिकल छात्रों को क्लीनिक ज्ञान भी हो सकेगा.

राजकीय नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. विजय कुमार पुष्कर ने कहा कि होम्योपैथिक को बढ़ावा देने की दिशा में तमाम काम किए जा रहे हैं. कॉलेज में 15 विभागों की ओपीडी संचालित हो रही है. प्रतिदिन करीब 1200 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं.

पिछले साल लगभग दो लाख 90 हजार मरीज ओपीडी में देखे गए. गठिया, त्वचा समेत दूसरे विभागों में शोध कार्य चल रहे हैं. बीएचएमएस की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं. छात्रों को किताब के साथ क्लीनिक ज्ञान भी दिया जा रहा है.

आधुनिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी का समन्वय : उन्होंने कहा कि होम्योपैथी और आधुनिक चिकित्सा के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा दिया जा रहा हैं. कई बड़ी मेडिकल एलोपैथिक चिकित्सकों से हमारा एमओयू साइन है. जैसे हमारे अस्पताल में आने वाली बहुत सारे ऐसे मरीज होते हैं जो एलोपैथ की दावों को करते हुए थक जाते हैं, लेकिन उनकी बीमारी ठीक नहीं होती.

फिर वह होम्योपैथिक चिकित्सालय में आते हैं तो यहां पर गंभीर बीमारी के इलाज के लिए आवश्यक जांच करने की आवश्यकता पड़ती है तो हम उन एलोपैथ चिकित्सा को का सहारा लेते हैं. यहां पर जांच करते हैं.

संस्थाओं और संगठनों का योगदान : प्रो. डीके सोनकर ने कहा कि जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारी ऐसी संस्थाएं और संगठन अपना योगदान दे रहे हैं. क्योंकि, पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान ज्यादातर अंग्रेजी दवाइयां और चिकित्सा पद्धति पर रहा. लेकिन, कोरोना कर के समय से प्रदेश सरकार ने भी आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया.

इसका नतीजा यह निकला कि आज के समय में किसी गंभीर बीमारी का इलाज करने के लिए लोग होम्योपैथिक का रुख करते हैं. अगर किसी मरीज को त्वचा की गंभीर बीमारी है तो वह एलोपैथ की दवा न करके होम्योपैथिक की दवा करना उचित समझते हैं. यह सब जागरूकता के कारण ही हो रहा है. क्योंकि, समय-समय पर प्रदेश सरकार, आयुष विभाग और साथ में संस्थाएं एवं संगठनों ने जागरूकता कार्यक्रम किए हैं.

समाज में होम्योपैथी की स्थिति : उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में होम्योपैथी चिकित्सा की पहुंच और स्वीकार्यता है. ग्रामीण और शहरीय इलाकों में होम्योपैथी के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कैंप लगाए जाते हैं. जब कोई संस्था या संगठन हमारे यहां आते हैं और वह जागरूकता के लिए कैंप लगाने का सुझाव देते हैं या कहते हैं तो हम अपने मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा और स्टाफ की टीम को तैयार करते हैं और संस्था के व्यक्ति के साथ कैंप आयोजित किया जाता है.

उन्होंने कहा कि जो संस्था हमारे पास कैंप लगाने के लिए आते हैं. सबसे पहले उनसे हम उसे क्षेत्र के लोगों की बीमारी के बारे में एक सर्वे करवा लेते हैं जिससे हमें पता चल जाता है कि उसे क्षेत्र के लोगों को सबसे अधिक कौन सी बीमारी है, क्या समस्या है. उसके आधार पर विशेषज्ञों की टीम बनाई जाती है.

वहीं कानपुर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. बीएन आचार्य ने कहा कि होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो मरीज के शरीर में होने वाले रोग का जड़ से निवारण करती. जो होम्योपैथिक दवाएं होती हैं, उनका भी कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और यही एक कारण है होम्योपैथी दवा को हम बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक आसानी से दे सकते हैं. जो एंटीबायोटिक दवाएं होती हैं, उनका कहीं ना कहीं दुष्प्रभाव होता है और वह स्वाद में कड़वी भी होती हैं.

डॉक्टर बीएन आचार्य ने कहा अब तो होम्योपैथिक दवाओं से गंभीर से गंभीर बीमारियों का भी इलाज किया जा रहा है. होम्योपैथिक दवाएं इतनी अधिक कारगर हैं, कि वह किसी भी रोगी के रोग का समूल नाश कर देती हैं.

यह भी पढ़ें: बरेली में अपहरण और गैंगरेप की कहानी में ट्विस्ट; महिला ने छाती में इंप्लांट करवाई थी गोली, जानिए क्या था मकसद

लखनऊ : होम्योपैथिक दवाओं के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है. अब जरूरत है होम्योपैथ में शोध को बढ़ाने की. ताकि इविडेंस बेस्ड मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा सके. सभी पैथी एक साथ मिलकर गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए एकजुट है. शोध पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

यह बातें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कही. वह गुरुवार को होम्योपैथिक के जनक डॉ. सैम्युअल हैनिमैन के 270वें जन्मदिवस पर केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि मौजूदा समय में तमाम तरह की नई बीमारियां पनप रही हैं. ऐसे में सभी पैथी को मिलकर लोगों की सेहत संवारनी होगी. गंभीर बीमारियों ने चिकित्सा जगत के सामने चुनौतियां खड़ी हैं, लेकिन उन्हें आसानी से मात दी जा सकती है. कोविड काल में वायरस को मात देकर हम यह साबित भी कर चुके हैं.

मीठी गोलियों का जबरदस्त प्रभाव : होम्योपैथिक की मीठी गोलियों का जबदरस्त प्रभाव है. सर्दी-जुकाम, बुखार से लेकर त्वचा, गठिया समेत दूसरी जटिल बीमारियों का कारगर इलाज होम्योपैथ में है. राजकीय नेशनल होम्योपैथ कॉलेज अच्छा काम कर रहा है. वहां मरीजों की भर्ती भी शुरू कर दी गई है. इसका फायदा मरीजों के साथ बीएचएमएस के छात्रों को भी होगा. मेडिकल छात्रों को क्लीनिक ज्ञान भी हो सकेगा.

राजकीय नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. विजय कुमार पुष्कर ने कहा कि होम्योपैथिक को बढ़ावा देने की दिशा में तमाम काम किए जा रहे हैं. कॉलेज में 15 विभागों की ओपीडी संचालित हो रही है. प्रतिदिन करीब 1200 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं.

पिछले साल लगभग दो लाख 90 हजार मरीज ओपीडी में देखे गए. गठिया, त्वचा समेत दूसरे विभागों में शोध कार्य चल रहे हैं. बीएचएमएस की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं. छात्रों को किताब के साथ क्लीनिक ज्ञान भी दिया जा रहा है.

आधुनिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी का समन्वय : उन्होंने कहा कि होम्योपैथी और आधुनिक चिकित्सा के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा दिया जा रहा हैं. कई बड़ी मेडिकल एलोपैथिक चिकित्सकों से हमारा एमओयू साइन है. जैसे हमारे अस्पताल में आने वाली बहुत सारे ऐसे मरीज होते हैं जो एलोपैथ की दावों को करते हुए थक जाते हैं, लेकिन उनकी बीमारी ठीक नहीं होती.

फिर वह होम्योपैथिक चिकित्सालय में आते हैं तो यहां पर गंभीर बीमारी के इलाज के लिए आवश्यक जांच करने की आवश्यकता पड़ती है तो हम उन एलोपैथ चिकित्सा को का सहारा लेते हैं. यहां पर जांच करते हैं.

संस्थाओं और संगठनों का योगदान : प्रो. डीके सोनकर ने कहा कि जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारी ऐसी संस्थाएं और संगठन अपना योगदान दे रहे हैं. क्योंकि, पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान ज्यादातर अंग्रेजी दवाइयां और चिकित्सा पद्धति पर रहा. लेकिन, कोरोना कर के समय से प्रदेश सरकार ने भी आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया.

इसका नतीजा यह निकला कि आज के समय में किसी गंभीर बीमारी का इलाज करने के लिए लोग होम्योपैथिक का रुख करते हैं. अगर किसी मरीज को त्वचा की गंभीर बीमारी है तो वह एलोपैथ की दवा न करके होम्योपैथिक की दवा करना उचित समझते हैं. यह सब जागरूकता के कारण ही हो रहा है. क्योंकि, समय-समय पर प्रदेश सरकार, आयुष विभाग और साथ में संस्थाएं एवं संगठनों ने जागरूकता कार्यक्रम किए हैं.

समाज में होम्योपैथी की स्थिति : उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में होम्योपैथी चिकित्सा की पहुंच और स्वीकार्यता है. ग्रामीण और शहरीय इलाकों में होम्योपैथी के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कैंप लगाए जाते हैं. जब कोई संस्था या संगठन हमारे यहां आते हैं और वह जागरूकता के लिए कैंप लगाने का सुझाव देते हैं या कहते हैं तो हम अपने मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा और स्टाफ की टीम को तैयार करते हैं और संस्था के व्यक्ति के साथ कैंप आयोजित किया जाता है.

उन्होंने कहा कि जो संस्था हमारे पास कैंप लगाने के लिए आते हैं. सबसे पहले उनसे हम उसे क्षेत्र के लोगों की बीमारी के बारे में एक सर्वे करवा लेते हैं जिससे हमें पता चल जाता है कि उसे क्षेत्र के लोगों को सबसे अधिक कौन सी बीमारी है, क्या समस्या है. उसके आधार पर विशेषज्ञों की टीम बनाई जाती है.

वहीं कानपुर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. बीएन आचार्य ने कहा कि होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो मरीज के शरीर में होने वाले रोग का जड़ से निवारण करती. जो होम्योपैथिक दवाएं होती हैं, उनका भी कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और यही एक कारण है होम्योपैथी दवा को हम बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक आसानी से दे सकते हैं. जो एंटीबायोटिक दवाएं होती हैं, उनका कहीं ना कहीं दुष्प्रभाव होता है और वह स्वाद में कड़वी भी होती हैं.

डॉक्टर बीएन आचार्य ने कहा अब तो होम्योपैथिक दवाओं से गंभीर से गंभीर बीमारियों का भी इलाज किया जा रहा है. होम्योपैथिक दवाएं इतनी अधिक कारगर हैं, कि वह किसी भी रोगी के रोग का समूल नाश कर देती हैं.

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