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दिव्यांगों की कब सुनेगी सरकार! हेमंत सरकार पर उल्टी गंगा बहाने का आरोप, पूछे तीखे सवाल - DIVYANG PENSION

झारखंड राजभवन के समक्ष दिव्यांग पेंशन को लेकर कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है.

Divyang Pension
प्रदर्शन करते दिव्यांग (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 30, 2025 at 2:39 PM IST

3 Min Read

रांची: झारखंड दिव्यांग आंदोलन संघ के बैनर तले दिव्यांग कई महीनों से राजभवन के सामने धरना दे रहे हैं. जब भी किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा राजभवन के सामने धरना दिया जाता है, तो ये दिव्यांग अपनी समस्याओं की ओर सबका ध्यान आकर्षित करने के लिए थाली और बाल्टी पीटना शुरू कर देते हैं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि सरकार और सरकार में शामिल सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की संवेदना इतनी भी नहीं रही कि कम से कम इन प्रदर्शनकारी दिव्यांगों से बात कर लें.

क्या है दिव्यांगों की मांग

राजभवन के सामने लगातार धरना दे रही झारखंड दिव्यांग आंदोलन संघ की कुमारी जिन्नाह आक्रोश भरे लहजे में कहती हैं कि 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ दल ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह राज्य के दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाकर 2500 रुपये करेगी, लेकिन सत्ता में आने के बाद झामुमो दिव्यांगों से किया वादा भूल गई. 2024 के विधानसभा चुनाव में किए गए वादे के अनुसार सरकार मंईयां सम्मान योजना के तहत सामान्य महिलाओं को 2500 रुपए प्रतिमाह दे रही है. वहीं हम जैसे दिव्यांगों को जो ज्यादा जरूरतमंद हैं, उन्हें 1000 रुपए दिए जा रहे हैं और वह भी कई महीनों के बाद. सरकार को चाहिए कि राज्य के सभी दिव्यांगों (महिला+पुरुष) को 2500 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाए.

दिव्यांगों ने पेंशन को लेकर किया प्रदर्शन (ईटीवी भारत)

कुमारी जिन्नाह के तीखे सवाल

राजभवन के सामने प्रदर्शन कर रहीं जिन्नाह और उनके जैसे अन्य दिव्यांगों ने कहा कि भगवान ने हमें पिछले जन्म के पापों या किसी गलती की सजा के तौर पर दिव्यांग बनाया है, लेकिन मौजूदा सरकार हमें उससे भी बड़ी सजा दे रही है. कुमारी जिन्नाह ने सवालिया लहजे में कहा कि यह कैसा न्याय है कि एक ही घर में 50 साल से कम उम्र की दो बहुओं में से एक विधवा है तो उसे मात्र 1000 रुपये मिलेंगे और उसी घर में दूसरी बहू जो सुहागिन है तो उसे सरकार 2500 रुपये देगी. यह उल्टी गंगा बहाने जैसा है.

दिव्यांगों ने कहा कि सरकार की भूमिका घर के अभिभावक की तरह होनी चाहिए. जिसे ज्यादा सहारे की जरूरत है उसे ज्यादा मदद मिलनी चाहिए, लेकिन हमारे राज्य में सब उल्टा है. आंदोलनकारी दिव्यांगों ने कहा कि राज्य की मंईयां, दिव्यांग भी हैं, विधवा भी हैं फिर उनके साथ यह अन्याय क्यों?

समस्याओं का जल्द होगा समाधान-झामुमो

राजभवन के समक्ष धरना दे रहे राज्य के दिव्यांगों के तीखे सवालों और 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो के घोषणापत्र में दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाने का जिक्र किए जाने का झामुमो की ओर से जवाब दिया गया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष हेमंत सोरेन बहुत गंभीर व्यक्ति हैं. किसी भी दिव्यांग को निराश होने या धैर्य खोने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार दिव्यांगों की समस्याओं से अवगत है और जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.

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रांची: झारखंड दिव्यांग आंदोलन संघ के बैनर तले दिव्यांग कई महीनों से राजभवन के सामने धरना दे रहे हैं. जब भी किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा राजभवन के सामने धरना दिया जाता है, तो ये दिव्यांग अपनी समस्याओं की ओर सबका ध्यान आकर्षित करने के लिए थाली और बाल्टी पीटना शुरू कर देते हैं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि सरकार और सरकार में शामिल सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की संवेदना इतनी भी नहीं रही कि कम से कम इन प्रदर्शनकारी दिव्यांगों से बात कर लें.

क्या है दिव्यांगों की मांग

राजभवन के सामने लगातार धरना दे रही झारखंड दिव्यांग आंदोलन संघ की कुमारी जिन्नाह आक्रोश भरे लहजे में कहती हैं कि 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ दल ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह राज्य के दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाकर 2500 रुपये करेगी, लेकिन सत्ता में आने के बाद झामुमो दिव्यांगों से किया वादा भूल गई. 2024 के विधानसभा चुनाव में किए गए वादे के अनुसार सरकार मंईयां सम्मान योजना के तहत सामान्य महिलाओं को 2500 रुपए प्रतिमाह दे रही है. वहीं हम जैसे दिव्यांगों को जो ज्यादा जरूरतमंद हैं, उन्हें 1000 रुपए दिए जा रहे हैं और वह भी कई महीनों के बाद. सरकार को चाहिए कि राज्य के सभी दिव्यांगों (महिला+पुरुष) को 2500 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाए.

दिव्यांगों ने पेंशन को लेकर किया प्रदर्शन (ईटीवी भारत)

कुमारी जिन्नाह के तीखे सवाल

राजभवन के सामने प्रदर्शन कर रहीं जिन्नाह और उनके जैसे अन्य दिव्यांगों ने कहा कि भगवान ने हमें पिछले जन्म के पापों या किसी गलती की सजा के तौर पर दिव्यांग बनाया है, लेकिन मौजूदा सरकार हमें उससे भी बड़ी सजा दे रही है. कुमारी जिन्नाह ने सवालिया लहजे में कहा कि यह कैसा न्याय है कि एक ही घर में 50 साल से कम उम्र की दो बहुओं में से एक विधवा है तो उसे मात्र 1000 रुपये मिलेंगे और उसी घर में दूसरी बहू जो सुहागिन है तो उसे सरकार 2500 रुपये देगी. यह उल्टी गंगा बहाने जैसा है.

दिव्यांगों ने कहा कि सरकार की भूमिका घर के अभिभावक की तरह होनी चाहिए. जिसे ज्यादा सहारे की जरूरत है उसे ज्यादा मदद मिलनी चाहिए, लेकिन हमारे राज्य में सब उल्टा है. आंदोलनकारी दिव्यांगों ने कहा कि राज्य की मंईयां, दिव्यांग भी हैं, विधवा भी हैं फिर उनके साथ यह अन्याय क्यों?

समस्याओं का जल्द होगा समाधान-झामुमो

राजभवन के समक्ष धरना दे रहे राज्य के दिव्यांगों के तीखे सवालों और 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो के घोषणापत्र में दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाने का जिक्र किए जाने का झामुमो की ओर से जवाब दिया गया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष हेमंत सोरेन बहुत गंभीर व्यक्ति हैं. किसी भी दिव्यांग को निराश होने या धैर्य खोने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार दिव्यांगों की समस्याओं से अवगत है और जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.

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