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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अचानक हजारों में पहुंची पौधे की डिमांड, एक महीने में बिक गए 900 - OPERATION SINDOOR

कोटा की तीन सरकारी नर्सरियों में सिंदूर के पौधों की डिमांड बढ़ गई है. यहां एक माह में लोग 900 से ज्यादा पौधे ले गए.

Operation sindoor
कोटा की नर्सरी में तैयार सिंदूर की पौध (Etv Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 9, 2025 at 4:26 PM IST

5 Min Read

कोटा: ऑपरेशन सिंदूर के बाद वन विभाग की नर्सरी में तैयार सिंदूर के पौधे की डिमांड अचानक बढ़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सिंदूर के पौधे को रोपित किया था. इसके बाद एकाएक मांग बढ़ गई. कोटा की तीन सरकारी नर्सरियों में एक माह में 900 से ज्यादा पौधे लोग ले गए हैं. वन विभाग के पास अभी 2 हजार के आसपास पौध शेष है, लेकिन डिमांड करने वाले लोग हजारों की संख्या में मांग रहे हैं. यहां तक कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी इसकी मांग आ रही है. इसी को देखते हुए कोटा वन विभाग अब 10 से 12 हजार की संख्या में पौधे तैयार करने में जुटा हुआ है. इसके लिए मध्य प्रदेश के विदिशा से भी बीज मंगवाए जा रहे हैं. आरएसी मैदान और झालीपुरा स्थित निजी फार्म हाउस से भी इसके बीज इस साल एकत्रित किए गए थे.

शहर के देवली अरब नर्सरी की प्रभारी मनुबाला मान ने बताया कि इस नर्सरी से लोग 350 पौधे खरीद कर ले गए हैं. अनंतपुरा से 150 के आसपास पौधे बिके हैं, जबकि लाडपुरा में 400 से ज्यादा बेचे गए हैं. अचानक से इस पौधे की डिमांड बढ़ गई है. इसका एक पौधा 15 रुपए में दिया जा रहा है.

मनुबाला मान, प्रभारी, देवली अरब नर्सरी, वन विभाग कोटा. (Etv Bharat Kota)

पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर : जब BSF ने दुश्मनों के हर हमले का दिया था करारा जवाब, रेत में लिखी पराक्रम की अमर गाथा

2024 में तैयार की थी, तब नहीं थी डिमांड: मान ने बताया कि वन विभाग ने गत वर्ष दुर्लभ प्रजाति के पौधों को तैयार करने का अभियान छेड़ा था. इसी के तहत आरएसी मैदान में लगे हुए सिंदूर के पौधे से बीज इकट्ठे किए. इसके बाद कोटा में देवली अरब रोड, लाडपुरा और अनंतपुरा नर्सरी पर पौध तैयार की गई थी. इनकी करीब तीन से चार हजार की संख्या में पौध तैयार की थी. जुलाई 2024 से इन्हें देना शुरू किया गया था, तब यह अच्छे से अंकुरित होकर पौध तैयार हो गई थी. नए पौधे को देखते हुए लोग इसे लेकर जा रहे थे, लेकिन इतनी डिमांड नहीं थी. इस साल 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद अचानक डिमांड इसकी बढ़ गई है.

इस साल भी लगाए हैं करीब 3 हजार पौधे: प्रभारी मनुबाला मान के अनुसार इस साल भी देवली अरब नर्सरी 2 से 3 हजार पौधों के लिए बीज रोपित किए गए हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोटा में कहीं भी इसके पेड़ नहीं है, ताकि बीज एकत्रित किया जा सके. खुले बाजार में भी बीज नहीं मिलते हैं. इस बार 2025 अप्रैल में झालीपुरा में एक निजी फार्म हाउस व आरएसी मैदान से इसके बीज एकत्रित किए गए. इनसे तीन हजार तक की पौध तैयार किए जा रहे हैं. अप्रैल में यह बीज डाल दिए गए थे. इसके बाद अभी तक इसका अंकुरण नहीं हुआ है. वन विभाग को उम्मीद है कि आने वाले समय में यह अंकुरित हो जाएगा.

पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी ने पीएम आवास पर लगाया सिंदूर का पौधा, जानिए इस पौधे के पीछे की कहानी

फूल से निकलते हैं बीज: मनुबाला ने बताया कि यह सभी बीज इस पेड़ पर आने वाले कांटेदार फूल के भीतर से निकलते हैं. एक पौधे को ठीक से पनपने में तीन से चार साल लग जाते हैं. पेड़ बनने के करीब एक साल बाद फ्लावरिंग होती है, इसके बाद हर साल नवंबर दिसंबर में उसमें फूल आ जाते हैं. इन फूलों में ही अंदर अप्रैल महीने में पेड़ पर ही बीज बन जाता है. फूल सूखने के बाद इन्हें तोड़कर इकट्ठा कर लिया जाता है. हालांकि इस बीज को रोपने में 8 फीसदी ही अंकुरित हो पाते हैं, यानी 100 बीज में से केवल आठ ही पौधे के रूप में होते हैं. मौसम में बदलाव और अनुकूल वातावरण नहीं होने पर पौधे में भी नुकसान हो जाता है.

उर्वरा शक्ति भी बढ़ाता है पेड़: मनुबाला मान ने बताया कि यह पेड़ 10 से 15 फीट के बीच की ऊंचाई का होता है. इसकी चौड़ाई भी तीन से चार फीट से ज्यादा नहीं होती है. सिंदूर के पौधे का उपयोग एंटीबायोटिक के रूप में भी किया जाता है. आयुर्वेद की रक्त शोधन दवाइयां में इस पेड़ के तने की छाल का उपयोग किया जाता है. दूसरी तरफ चोट लगने पर इसके तने की छाल को घिसकर लेप लगाया जाता है. यह पौधा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है.

विदिशा से मंगवाए 10 किलो बीज: बाजार में यह बीज आसानी से नहीं मिलते. कोटा के मार्केट में तो ये उपलब्ध ही नहीं है. मध्य प्रदेश के विदिशा में बड़े स्तर पर इसकी खेती की जाती है. ऐसे में कोटा वन विभाग ने वहां से 10 किलो बीज की डिमांड की है. यह बीज 800 से 1200 रुपए प्रति किलो आ रहा है. वन विभाग के पास लगातार पौधे की डिमांड आ रही है. ऐसे में नर्सरियों में आने वाले समय में 10 से 12 हजार पौधे और तैयार किए जाने हैं. वन विभाग की करीब एक दर्जन नर्सरियां कोटा में है. सभी में यह पौध तैयार किए जाने है. अन्य जिले भी सिंदूर के पौधे की डिमांड कर रहे हैं.

कोटा: ऑपरेशन सिंदूर के बाद वन विभाग की नर्सरी में तैयार सिंदूर के पौधे की डिमांड अचानक बढ़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सिंदूर के पौधे को रोपित किया था. इसके बाद एकाएक मांग बढ़ गई. कोटा की तीन सरकारी नर्सरियों में एक माह में 900 से ज्यादा पौधे लोग ले गए हैं. वन विभाग के पास अभी 2 हजार के आसपास पौध शेष है, लेकिन डिमांड करने वाले लोग हजारों की संख्या में मांग रहे हैं. यहां तक कि प्रदेश के अन्य जिलों से भी इसकी मांग आ रही है. इसी को देखते हुए कोटा वन विभाग अब 10 से 12 हजार की संख्या में पौधे तैयार करने में जुटा हुआ है. इसके लिए मध्य प्रदेश के विदिशा से भी बीज मंगवाए जा रहे हैं. आरएसी मैदान और झालीपुरा स्थित निजी फार्म हाउस से भी इसके बीज इस साल एकत्रित किए गए थे.

शहर के देवली अरब नर्सरी की प्रभारी मनुबाला मान ने बताया कि इस नर्सरी से लोग 350 पौधे खरीद कर ले गए हैं. अनंतपुरा से 150 के आसपास पौधे बिके हैं, जबकि लाडपुरा में 400 से ज्यादा बेचे गए हैं. अचानक से इस पौधे की डिमांड बढ़ गई है. इसका एक पौधा 15 रुपए में दिया जा रहा है.

मनुबाला मान, प्रभारी, देवली अरब नर्सरी, वन विभाग कोटा. (Etv Bharat Kota)

पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर : जब BSF ने दुश्मनों के हर हमले का दिया था करारा जवाब, रेत में लिखी पराक्रम की अमर गाथा

2024 में तैयार की थी, तब नहीं थी डिमांड: मान ने बताया कि वन विभाग ने गत वर्ष दुर्लभ प्रजाति के पौधों को तैयार करने का अभियान छेड़ा था. इसी के तहत आरएसी मैदान में लगे हुए सिंदूर के पौधे से बीज इकट्ठे किए. इसके बाद कोटा में देवली अरब रोड, लाडपुरा और अनंतपुरा नर्सरी पर पौध तैयार की गई थी. इनकी करीब तीन से चार हजार की संख्या में पौध तैयार की थी. जुलाई 2024 से इन्हें देना शुरू किया गया था, तब यह अच्छे से अंकुरित होकर पौध तैयार हो गई थी. नए पौधे को देखते हुए लोग इसे लेकर जा रहे थे, लेकिन इतनी डिमांड नहीं थी. इस साल 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद अचानक डिमांड इसकी बढ़ गई है.

इस साल भी लगाए हैं करीब 3 हजार पौधे: प्रभारी मनुबाला मान के अनुसार इस साल भी देवली अरब नर्सरी 2 से 3 हजार पौधों के लिए बीज रोपित किए गए हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोटा में कहीं भी इसके पेड़ नहीं है, ताकि बीज एकत्रित किया जा सके. खुले बाजार में भी बीज नहीं मिलते हैं. इस बार 2025 अप्रैल में झालीपुरा में एक निजी फार्म हाउस व आरएसी मैदान से इसके बीज एकत्रित किए गए. इनसे तीन हजार तक की पौध तैयार किए जा रहे हैं. अप्रैल में यह बीज डाल दिए गए थे. इसके बाद अभी तक इसका अंकुरण नहीं हुआ है. वन विभाग को उम्मीद है कि आने वाले समय में यह अंकुरित हो जाएगा.

पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी ने पीएम आवास पर लगाया सिंदूर का पौधा, जानिए इस पौधे के पीछे की कहानी

फूल से निकलते हैं बीज: मनुबाला ने बताया कि यह सभी बीज इस पेड़ पर आने वाले कांटेदार फूल के भीतर से निकलते हैं. एक पौधे को ठीक से पनपने में तीन से चार साल लग जाते हैं. पेड़ बनने के करीब एक साल बाद फ्लावरिंग होती है, इसके बाद हर साल नवंबर दिसंबर में उसमें फूल आ जाते हैं. इन फूलों में ही अंदर अप्रैल महीने में पेड़ पर ही बीज बन जाता है. फूल सूखने के बाद इन्हें तोड़कर इकट्ठा कर लिया जाता है. हालांकि इस बीज को रोपने में 8 फीसदी ही अंकुरित हो पाते हैं, यानी 100 बीज में से केवल आठ ही पौधे के रूप में होते हैं. मौसम में बदलाव और अनुकूल वातावरण नहीं होने पर पौधे में भी नुकसान हो जाता है.

उर्वरा शक्ति भी बढ़ाता है पेड़: मनुबाला मान ने बताया कि यह पेड़ 10 से 15 फीट के बीच की ऊंचाई का होता है. इसकी चौड़ाई भी तीन से चार फीट से ज्यादा नहीं होती है. सिंदूर के पौधे का उपयोग एंटीबायोटिक के रूप में भी किया जाता है. आयुर्वेद की रक्त शोधन दवाइयां में इस पेड़ के तने की छाल का उपयोग किया जाता है. दूसरी तरफ चोट लगने पर इसके तने की छाल को घिसकर लेप लगाया जाता है. यह पौधा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है.

विदिशा से मंगवाए 10 किलो बीज: बाजार में यह बीज आसानी से नहीं मिलते. कोटा के मार्केट में तो ये उपलब्ध ही नहीं है. मध्य प्रदेश के विदिशा में बड़े स्तर पर इसकी खेती की जाती है. ऐसे में कोटा वन विभाग ने वहां से 10 किलो बीज की डिमांड की है. यह बीज 800 से 1200 रुपए प्रति किलो आ रहा है. वन विभाग के पास लगातार पौधे की डिमांड आ रही है. ऐसे में नर्सरियों में आने वाले समय में 10 से 12 हजार पौधे और तैयार किए जाने हैं. वन विभाग की करीब एक दर्जन नर्सरियां कोटा में है. सभी में यह पौध तैयार किए जाने है. अन्य जिले भी सिंदूर के पौधे की डिमांड कर रहे हैं.

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