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ओखला लैंडफिल साइट दौरे पर बोले मंत्री सिरसा- 'पाकिस्तान साफ कर सकते हैं, ये तो कूड़े के पहाड़ हैं' - OKHLA LANDFILL SITE

'पूरी दिल्ली से साल 2028 तक कूड़े के पहाड़ खत्म करने का लक्ष्य है, उसके बाद ये लैंडफिल सिर्फ तस्वीरों में रह जाएंगे"- मंत्री सिरसा

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ओखला लैंडफिल साइट (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 15, 2025 at 8:27 AM IST

Updated : May 15, 2025 at 1:58 PM IST

6 Min Read

नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने ओखला लैंडफिल साइट का दौरा किया. उनके साथ मेयर राजा इकबाल सिंह भी मौजूद रहे.

ओखला लैंडफिल साइट के दौरे पर दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा ''जैसे डायनासोर विलुप्त हो गए, वैसे ही ये लैंडफिल भी देश से गायब हो रहे हैं. यह पीएम मोदी का विजन है, जिस पर सीएम रेखा गुप्ता काम कर रही हैं. अक्टूबर 2025 तक हम यहां से 20 लाख मीट्रिक टन पुराना कूड़ा हटा देंगे. उसके बाद ये पहाड़ लगभग गायब हो जाएगा. हमारा लक्ष्य 2028 तक दिल्ली से कूड़े के सारे पहाड़ खत्म करना है, उसके बाद ये लैंडफिल सिर्फ तस्वीरों में रह जाएंगे"

यह लैंडफिल साइट सबसे पुरानी है. इस लैंडफिल साइट से जमा कूड़े को हटाने की कवायद सबसे पहले शुरू हुई थी. यहां नजदीक ही कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट लगाए गए थे और अन्य कूड़ा निस्तारण के जो उपाय होते हैं, वह की गई है.पर्यावरण मंत्री इन सभी का जायजा लिया और इस काम में तेजी कैसे लाई जाए इस पर भी अधिकारियों संग बात की.

मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने किया ओखला लैंडफिल साइट का दौरा (SOURCE: ETV BHARAT)

मंत्री सिरसा ने कहा-पाकिस्तान को खत्म किया जा सकता है पहाड़ क्या चीज है?

दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, दिल्ली के महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह, रामबीर सिंह बिधूड़ी ने ओखला लैंडसाइट का दौरा किया. इस दौरान दिल्ली नगर निगम के ओखला लैंडसाइट के अधिकारियों से बातचीत की गई. एक बैठक के जरिए उनसे कूड़े निस्तारण पर हो रहे कार्य को लेकर चर्चा की गई.

दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, भाजपा दक्षिणी दिल्ली से सांसद रामबीर सिंह बिधूड़ी और दिल्ली के महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह खुद कूड़े के पहाड़ के पास गए और उन्होंने जायजा लिया कि काम कितना तेजी से चल रहा है और कितना वक्त कूड़े के पहाड़ को हटाने में लगेगा.

लैंडफिल साइट पर पहुंचे दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि कूड़े का पहाड़ को लेकर हमारी कमिटमेंट थी, हम इस पर स्पीड से काम कर रहे हैं. जैसे डायनासोर लुप्त हो गए ऐसे ही कूड़े के पहाड़ भी लिप्त हो जाएंगे मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जो वीजन है उसको लेकर आज हम यहां पर जानकारी लेंगे हमें बहुत खुशी है पहाड़ों को खत्म करने का टारगेट दिसंबर 2025 के लिए तय किया गया है.

उन्होंने कहा कि दिसंबर तक लगभग 20 लाख मैट्रिक टन कूड़ा आने वाले करीब 4 महीनों में यहां से खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 2028 तक दिल्ली में कोई कूड़े का पहाड़ नहीं मिलेगा. मोदी का विजयनगर पाकिस्तान खत्म किया जा सकता है तो कूड़े के पहाड़ बड़ी क्या चीज है.

मेयर सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा है कि आज हमें खुशी हो रही है कि दिल्ली में रेखा गुप्ता सरकार नगर निगम में बीजेपी सरकार ट्रिपल इंजन की सरकार है और सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो विजन था स्वच्छ दिल्ली साफ दिल्ली उसी के तहत कार्य किया जा रहा है. कूड़े के पहाड़ को हटाने का जो हमने वादा किया था उसे पर कार्य चल रहा है. आज हम उसे देखने के लिए यहां पर दिल्ली सरकार के मंत्री के साथ आए हुए हैं और हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द सारे कूड़े के पहाड़ दिल्ली से गायब हो जाएंगे.

जानिए ओखला लैंडफिल साइट के बारे में जरूरी जानकारी
दिल्ली की सभी रिहायशी कॉलोनी व व्यवसायिक इलाके से प्रतिदिन निकलने वाले करीब 10-12 हज़ार मीट्रिक टन कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी एमसीडी की है. प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कूड़े में 32 फीसदी खाद बनाने योग्य सामग्री होती है. अन्य रिसाइक्लिंग होने वाले पदार्थ में 6.6 फीसदी कागज, 1.5 फीसदी प्लास्टिक, 2.5 फीसदी धातु व अन्य भवन निर्माण में प्रयुक्त मेटेरियल होता है.

साल 2008 में बिजली तैयार करने वाले संयंत्र लगाए गए
बता दें, ओखला, गाजीपुर तथा भलस्वा लैंडफिल साइट पर पहले से ही कूड़ा ठसाठस भरा है. कूड़ा निस्तारण के लिए व्यापक स्तर पर कवायद वर्ष 2008 में शुरू हुई, लेकिन अन्य विकसित देश के जिन शहरों में कूड़ा निस्तारण के लिए वर्षों पहले जिस तकनीक का सहारा लिया गया. उस तकनीक का दिल्ली में अब इस्तेमाल हो रहा है. परिणाम है कि दक्षिणी दिल्ली के ओखला लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन तीन हजार मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा फेंका जाता है और वहां वर्ष 2008 में कूड़े से बिजली तैयार करने के लिए लगे संयंत्र आधे कूड़े को भी ठिकाना नहीं लगा पा रहे.

आधा भी नहीं हो पाया पौधारोपण का काम
एमसीडी के उद्यान समिति के पूर्व चेयरमैन धर्मवीर ने बताया कि भलस्वा, गाजीपुर, ओखला स्थित तीनों लैंडफिल साईटों के इर्दगिर्द ढेरों पेड़-पौधे लगाकर कूड़ों के ढेर को पेड़ों से ढकने की योजना तैयार की गई है. ताकि लैंडफिल से प्रचुर मात्रा में निकलने वाली कार्बन डाईआक्साइड, मिथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसी जहरीली गैसों को इर्दगिर्द लगे पेड़ों से निकलने वाली आक्सीजन गैस रिफाइन करने का भी काम कर सकेगी और जहरीली गैस व बदबू को आसपास के रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों तक पहुंचने से रोका जा सके. मगर इस योजना के बाद एमसीडी के इंजीनियरिंग व उद्यान विभाग द्वारा तालमेल बैठाकर काम न करने से मौजूदा लैंडफिल साइट पर पौधारोपण का काम आधा भी नहीं हो पाया है.

कूड़ा निस्तारण के लिए अब तक की गई कवायद
नागपुर, बंगलुरू, अहमदाबाद शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए वेस्ट मैनेजमेंट का जो तरीका प्रयोग किया जा रहा है, इसका अध्ययन करने के लिए बीते वर्षों में कई बार एमसीडी के अधिकारियों ने वहां के दौरे पर गए थे. लेकिन किसी तकनीक पर सहमति नहीं बनने से ठीक तरह से उसे लागू नहीं कर पाए. कूड़ा निस्तारण के लिए संयंत्र लगाने में सुस्ती के साथ ही एमसीडी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है लैंडफिल साइट के समीप कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए जगह हासिल करना. वर्ष 2022 में एमसीडी की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के एजेंडे में भी कूड़े के पहाड़ को हटाना सबसे ऊपर था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें- "दिल्ली में डायनासोर की तरह गायब हो जाएंगे कूड़े के पहाड़", मंत्री सिरसा बोले- रोज 8000 टन कचरा होगा साफ

ये भी पढे़ं- ओखला लैंडफिल साइट पर लगी भीषण आग, दमकल की कई गाड़ियां मौके पर मौजूद

नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने ओखला लैंडफिल साइट का दौरा किया. उनके साथ मेयर राजा इकबाल सिंह भी मौजूद रहे.

ओखला लैंडफिल साइट के दौरे पर दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा ''जैसे डायनासोर विलुप्त हो गए, वैसे ही ये लैंडफिल भी देश से गायब हो रहे हैं. यह पीएम मोदी का विजन है, जिस पर सीएम रेखा गुप्ता काम कर रही हैं. अक्टूबर 2025 तक हम यहां से 20 लाख मीट्रिक टन पुराना कूड़ा हटा देंगे. उसके बाद ये पहाड़ लगभग गायब हो जाएगा. हमारा लक्ष्य 2028 तक दिल्ली से कूड़े के सारे पहाड़ खत्म करना है, उसके बाद ये लैंडफिल सिर्फ तस्वीरों में रह जाएंगे"

यह लैंडफिल साइट सबसे पुरानी है. इस लैंडफिल साइट से जमा कूड़े को हटाने की कवायद सबसे पहले शुरू हुई थी. यहां नजदीक ही कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट लगाए गए थे और अन्य कूड़ा निस्तारण के जो उपाय होते हैं, वह की गई है.पर्यावरण मंत्री इन सभी का जायजा लिया और इस काम में तेजी कैसे लाई जाए इस पर भी अधिकारियों संग बात की.

मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने किया ओखला लैंडफिल साइट का दौरा (SOURCE: ETV BHARAT)

मंत्री सिरसा ने कहा-पाकिस्तान को खत्म किया जा सकता है पहाड़ क्या चीज है?

दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, दिल्ली के महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह, रामबीर सिंह बिधूड़ी ने ओखला लैंडसाइट का दौरा किया. इस दौरान दिल्ली नगर निगम के ओखला लैंडसाइट के अधिकारियों से बातचीत की गई. एक बैठक के जरिए उनसे कूड़े निस्तारण पर हो रहे कार्य को लेकर चर्चा की गई.

दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, भाजपा दक्षिणी दिल्ली से सांसद रामबीर सिंह बिधूड़ी और दिल्ली के महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह खुद कूड़े के पहाड़ के पास गए और उन्होंने जायजा लिया कि काम कितना तेजी से चल रहा है और कितना वक्त कूड़े के पहाड़ को हटाने में लगेगा.

लैंडफिल साइट पर पहुंचे दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि कूड़े का पहाड़ को लेकर हमारी कमिटमेंट थी, हम इस पर स्पीड से काम कर रहे हैं. जैसे डायनासोर लुप्त हो गए ऐसे ही कूड़े के पहाड़ भी लिप्त हो जाएंगे मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जो वीजन है उसको लेकर आज हम यहां पर जानकारी लेंगे हमें बहुत खुशी है पहाड़ों को खत्म करने का टारगेट दिसंबर 2025 के लिए तय किया गया है.

उन्होंने कहा कि दिसंबर तक लगभग 20 लाख मैट्रिक टन कूड़ा आने वाले करीब 4 महीनों में यहां से खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 2028 तक दिल्ली में कोई कूड़े का पहाड़ नहीं मिलेगा. मोदी का विजयनगर पाकिस्तान खत्म किया जा सकता है तो कूड़े के पहाड़ बड़ी क्या चीज है.

मेयर सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा है कि आज हमें खुशी हो रही है कि दिल्ली में रेखा गुप्ता सरकार नगर निगम में बीजेपी सरकार ट्रिपल इंजन की सरकार है और सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो विजन था स्वच्छ दिल्ली साफ दिल्ली उसी के तहत कार्य किया जा रहा है. कूड़े के पहाड़ को हटाने का जो हमने वादा किया था उसे पर कार्य चल रहा है. आज हम उसे देखने के लिए यहां पर दिल्ली सरकार के मंत्री के साथ आए हुए हैं और हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द सारे कूड़े के पहाड़ दिल्ली से गायब हो जाएंगे.

जानिए ओखला लैंडफिल साइट के बारे में जरूरी जानकारी
दिल्ली की सभी रिहायशी कॉलोनी व व्यवसायिक इलाके से प्रतिदिन निकलने वाले करीब 10-12 हज़ार मीट्रिक टन कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी एमसीडी की है. प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कूड़े में 32 फीसदी खाद बनाने योग्य सामग्री होती है. अन्य रिसाइक्लिंग होने वाले पदार्थ में 6.6 फीसदी कागज, 1.5 फीसदी प्लास्टिक, 2.5 फीसदी धातु व अन्य भवन निर्माण में प्रयुक्त मेटेरियल होता है.

साल 2008 में बिजली तैयार करने वाले संयंत्र लगाए गए
बता दें, ओखला, गाजीपुर तथा भलस्वा लैंडफिल साइट पर पहले से ही कूड़ा ठसाठस भरा है. कूड़ा निस्तारण के लिए व्यापक स्तर पर कवायद वर्ष 2008 में शुरू हुई, लेकिन अन्य विकसित देश के जिन शहरों में कूड़ा निस्तारण के लिए वर्षों पहले जिस तकनीक का सहारा लिया गया. उस तकनीक का दिल्ली में अब इस्तेमाल हो रहा है. परिणाम है कि दक्षिणी दिल्ली के ओखला लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन तीन हजार मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा फेंका जाता है और वहां वर्ष 2008 में कूड़े से बिजली तैयार करने के लिए लगे संयंत्र आधे कूड़े को भी ठिकाना नहीं लगा पा रहे.

आधा भी नहीं हो पाया पौधारोपण का काम
एमसीडी के उद्यान समिति के पूर्व चेयरमैन धर्मवीर ने बताया कि भलस्वा, गाजीपुर, ओखला स्थित तीनों लैंडफिल साईटों के इर्दगिर्द ढेरों पेड़-पौधे लगाकर कूड़ों के ढेर को पेड़ों से ढकने की योजना तैयार की गई है. ताकि लैंडफिल से प्रचुर मात्रा में निकलने वाली कार्बन डाईआक्साइड, मिथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसी जहरीली गैसों को इर्दगिर्द लगे पेड़ों से निकलने वाली आक्सीजन गैस रिफाइन करने का भी काम कर सकेगी और जहरीली गैस व बदबू को आसपास के रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों तक पहुंचने से रोका जा सके. मगर इस योजना के बाद एमसीडी के इंजीनियरिंग व उद्यान विभाग द्वारा तालमेल बैठाकर काम न करने से मौजूदा लैंडफिल साइट पर पौधारोपण का काम आधा भी नहीं हो पाया है.

कूड़ा निस्तारण के लिए अब तक की गई कवायद
नागपुर, बंगलुरू, अहमदाबाद शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए वेस्ट मैनेजमेंट का जो तरीका प्रयोग किया जा रहा है, इसका अध्ययन करने के लिए बीते वर्षों में कई बार एमसीडी के अधिकारियों ने वहां के दौरे पर गए थे. लेकिन किसी तकनीक पर सहमति नहीं बनने से ठीक तरह से उसे लागू नहीं कर पाए. कूड़ा निस्तारण के लिए संयंत्र लगाने में सुस्ती के साथ ही एमसीडी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है लैंडफिल साइट के समीप कूड़ा प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए जगह हासिल करना. वर्ष 2022 में एमसीडी की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के एजेंडे में भी कूड़े के पहाड़ को हटाना सबसे ऊपर था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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Last Updated : May 15, 2025 at 1:58 PM IST
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