नई दिल्ली: दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में 25 जून को एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. इस प्रदर्शनी को साल 1975 में देश में लगी आपातकाल (इमरजेंसी) की पृष्ठभूमि और भारतीय लोकतंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को चित्रों और अभिलेखों के माध्यम से दर्शाया जाएगा. इस प्रदर्शनी का उद्देश्य उस समय की स्थिती को जनता के सामने लाने का है.
आपातकाल से संबंधित अभिलेखों और फोटोग्राफ की प्रदर्शनी
दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति, भाषा एवं पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने इस प्रदर्शनी को लेकर आज अपने कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से लगाई जाएगी. प्रदर्शनी में आपातकाल से संबंधित अभिलेखों और फोटोग्राफ को प्रदर्शित किया जाएगा. प्रदर्शनी में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, मंत्रीगण और अन्य विशिष्ठ जन सम्मिलित होंगे. इस अवसर पर दिल्ली सरकार के सहयोग से विचार गोष्ठियां, चित्र प्रदर्शनी, नाट्य प्रस्तुतियां, संवाद कार्यक्रम और संविधान से जुड़ी प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएंगी. ताकि जनता को इस ऐतिहासिक घटना की गंभीरता से अवगत कराया जा सके.
आपातकाल के विरोध में प्रदर्शनी
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 25 जून 1975 को देश में लगाए गए आपातकाल के विरोध में दिल्ली सरकार द्वारा सांस्कृतिक और वैचारिक कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. कपिल मिश्रा ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश में आपातकाल (इमरजेंसी) घोषित किया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में देखा जाता है. इस दौरान संविधान को दरकिनार किया गया, नागरिक अधिकारों का हनन हुआ और प्रेस की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया.
कपिल मिश्रा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस दिन को संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के संकल्प के रूप में मनाया जाए. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि नई पीढ़ी को बताया जाए कि 25 जून 1975 को देश में क्या हुआ था. कैसे भारत के संविधान को कुचल दिया गया था. ये ‘संविधान हत्या दिवस’ हर उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जो आपातकाल की ज्यादतियों के कारण पीड़ित हुए थे.
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