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मनमानी फीस वसूलने वाले स्कूलों के खिलाफ दिल्ली सरकार ने पास किया बिल - FEE REGULATION IN DELHI SCHOOLS

स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन बिल-2025 को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पास किया जाएगा- सीएम रेखा गुप्ता

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रेखा सरकार ने पास किया बिल का ड्राफ्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : April 29, 2025 at 5:26 PM IST

5 Min Read

नई दिल्ली: बहुत जल्दी दिल्ली के अभिभावकों को स्कूलों की मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने के रवैये से निजात मिलने की संभावना है. दरअसल, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सचिवालय में प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली के स्कूलों की फीस बढ़ोतरी के संदर्भ में एक बिल पास किया गया है. बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है तो उस पर एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा. 20 दिन में फीस बढ़ोत्तरी की शिकायत को नहीं किया दूर तो स्कूल पर डबल जुर्माना लगाया जाएगा.

सीएम रेखा ने कहा कि इस बिल का हमने ड्राफ्ट कैबिनेट में पास कर दिया है. जल्दी ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस बिल को पारित किया जाएगा. सीएम ने कहा कि पिछले कुछ समय से पेरेंट्स की शिकायत थी. इसलिए हमारी सरकार ने सख्त कानून लाने की तैयारी की है.

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विस्तार से जानकारी दी और बताया कि सीएम ने संवेदनशील होकर सड़क पर खड़े होकर भी परिवारों को सुना, उन बच्चों को सुना और मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्कूलों को शो कॉज नोटिस भी जारी हुआ. शिक्षा बदली स्कूल बदले लेकिन कानून नहीं बदले. आशीष सूद ने बताया कि कैबिनेट में आज एक बिल पास किया है. इस बिल का नाम दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन बिल-2025 है. यह बिल तय करेगा कि स्कूल की फीस बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी. इसका रेगुलेशन ट्रांसपेरेंट होगा.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमने 65 दिन के अंदर मुख्यमंत्री के निर्देश पर मार्गदर्शन पर जनता को नया शासन गुड गवर्नेंस के नए आयाम खड़े करने का प्रयास किया है. दिल्ली की जनता को उन 1677 स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को राहत मिलेगी व अभिभावकों को राहत मिलेगी. पिछले एक्ट में कोई यह नियम नहीं था कि कैसे फीस बढ़ेगी. लेकिन यह नया बिल तीन स्तरीय समिति बनाकर लागू किया जाएगा.

इस तरह लागू होगा बिलपहले स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी बनेगी. कमेटी में पैरेंट्स, स्कूल की प्रिंसिपल और तीन टीचर होगी. स्कूल का डायरेक्टर उसका ऑब्जर्वर होगा. स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा. जितने पेरेंट्स है ड्रॉ के माध्यम से पेरेंट्स को चुना जाएगा. यह कमेटी 3 साल के लिए फीस बढ़ाने का निर्णय लेगी. स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी 18 बिंदुओं के आधार पर स्कूल कौन सा ग्रेड देता है, कौन सी पे कमीशन टीचर्स को देता है, लैब कितनी है, लाइब्रेरी कितनी है. लाइब्रेरी डिजिटल है या नहीं ऐसे 18 नियमों के आधार पर स्कूल यह निर्णय करेगा.

कमेटी तय करेगी कि फीस बढ़नी चाहिए या नहीं बढ़नी चाहिए. यह कमेटी 31 जुलाई तक फॉर्म हो जाएगी. अगले अकादमिक ईयर के लिए लागू होने वाली फीस की चर्चा करने के लिए 30 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी होगी. अगर यह कमेटी 30 दिन के अंदर रिपोर्ट नहीं दे पाएगी तो डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी के पास मामला चला जाएगा. इस कमेटी में डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन के चेयरपर्सन डिप्टी डायरेक्टर होंगे, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होंगे, दो टीचर ड्रा ऑफ लॉट्स से चुने जाएंगे और दो पेरेंट्स डिस्ट्रिक्ट लेवल अपील को सुनेंगे.

यह कमेटी 30 से 45 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. अगर यहां पर भी सहमति नहीं होगी तो स्टेट लेवल की कमेटी जिसका चेयरपर्सन मंत्रालय तय करेगा. उसके साथ एजुकेशनिस्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्राइवेट स्कूल के प्रतिनिधि, पेरेंट्स के प्रतिनिधि, एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन के प्रतिनिधि ऐसे सात लोगों की कमेटी रिव्यू करेगी और अपना निर्णय देगी. बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है तो उस पर एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा. 20 दिन में फीस बढ़ोत्तरी की शिकायत को नहीं किया दूर तो स्कूल पर डबल जुर्माना लगाया जाएगा.

स्कूल द्वारा अगर बच्चों को फीस के मामले को लेकर बाहर बैठाया तो प्रतिदिन प्रति बच्चा 50 हजार रुपए के हिसाब से जुर्माना लगेगा. शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने यह भी बताया कि 20 दिन में अगर ठीक नहीं किया तो जुर्माना डबल होगा. अगले 20 दिन के बाद फिर जुर्माना ट्रिपल हो जाएगा. उसके बाद स्कूल में सुधार नहीं हुआ तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी. इस बिल में यह प्रावधान दिया गया है. ट्रांसपेरेंट व्यवस्था, पेरेंट्स टीचर और स्कूल के मैनेजमेंट से मिलकर इसकी पालना करें. ऐसी व्यवस्था मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हमने की है और सारा प्रोसेस टाइम बॉन्ड है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली के 11 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस, फीस बढ़ाने को लेकर रेखा सरकार ने दिखाई सख्ती

ये भी पढ़ें- सीएम रेखा गुप्ता की स्कूलों को चेतावनी, कहा- फीस बढ़ाई तो भुगतना होगा अंजाम

नई दिल्ली: बहुत जल्दी दिल्ली के अभिभावकों को स्कूलों की मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने के रवैये से निजात मिलने की संभावना है. दरअसल, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सचिवालय में प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्ली के स्कूलों की फीस बढ़ोतरी के संदर्भ में एक बिल पास किया गया है. बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है तो उस पर एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा. 20 दिन में फीस बढ़ोत्तरी की शिकायत को नहीं किया दूर तो स्कूल पर डबल जुर्माना लगाया जाएगा.

सीएम रेखा ने कहा कि इस बिल का हमने ड्राफ्ट कैबिनेट में पास कर दिया है. जल्दी ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस बिल को पारित किया जाएगा. सीएम ने कहा कि पिछले कुछ समय से पेरेंट्स की शिकायत थी. इसलिए हमारी सरकार ने सख्त कानून लाने की तैयारी की है.

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विस्तार से जानकारी दी और बताया कि सीएम ने संवेदनशील होकर सड़क पर खड़े होकर भी परिवारों को सुना, उन बच्चों को सुना और मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्कूलों को शो कॉज नोटिस भी जारी हुआ. शिक्षा बदली स्कूल बदले लेकिन कानून नहीं बदले. आशीष सूद ने बताया कि कैबिनेट में आज एक बिल पास किया है. इस बिल का नाम दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन बिल-2025 है. यह बिल तय करेगा कि स्कूल की फीस बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी. इसका रेगुलेशन ट्रांसपेरेंट होगा.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमने 65 दिन के अंदर मुख्यमंत्री के निर्देश पर मार्गदर्शन पर जनता को नया शासन गुड गवर्नेंस के नए आयाम खड़े करने का प्रयास किया है. दिल्ली की जनता को उन 1677 स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को राहत मिलेगी व अभिभावकों को राहत मिलेगी. पिछले एक्ट में कोई यह नियम नहीं था कि कैसे फीस बढ़ेगी. लेकिन यह नया बिल तीन स्तरीय समिति बनाकर लागू किया जाएगा.

इस तरह लागू होगा बिलपहले स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी बनेगी. कमेटी में पैरेंट्स, स्कूल की प्रिंसिपल और तीन टीचर होगी. स्कूल का डायरेक्टर उसका ऑब्जर्वर होगा. स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा. जितने पेरेंट्स है ड्रॉ के माध्यम से पेरेंट्स को चुना जाएगा. यह कमेटी 3 साल के लिए फीस बढ़ाने का निर्णय लेगी. स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी 18 बिंदुओं के आधार पर स्कूल कौन सा ग्रेड देता है, कौन सी पे कमीशन टीचर्स को देता है, लैब कितनी है, लाइब्रेरी कितनी है. लाइब्रेरी डिजिटल है या नहीं ऐसे 18 नियमों के आधार पर स्कूल यह निर्णय करेगा.

कमेटी तय करेगी कि फीस बढ़नी चाहिए या नहीं बढ़नी चाहिए. यह कमेटी 31 जुलाई तक फॉर्म हो जाएगी. अगले अकादमिक ईयर के लिए लागू होने वाली फीस की चर्चा करने के लिए 30 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी होगी. अगर यह कमेटी 30 दिन के अंदर रिपोर्ट नहीं दे पाएगी तो डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी के पास मामला चला जाएगा. इस कमेटी में डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन के चेयरपर्सन डिप्टी डायरेक्टर होंगे, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होंगे, दो टीचर ड्रा ऑफ लॉट्स से चुने जाएंगे और दो पेरेंट्स डिस्ट्रिक्ट लेवल अपील को सुनेंगे.

यह कमेटी 30 से 45 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. अगर यहां पर भी सहमति नहीं होगी तो स्टेट लेवल की कमेटी जिसका चेयरपर्सन मंत्रालय तय करेगा. उसके साथ एजुकेशनिस्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्राइवेट स्कूल के प्रतिनिधि, पेरेंट्स के प्रतिनिधि, एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन के प्रतिनिधि ऐसे सात लोगों की कमेटी रिव्यू करेगी और अपना निर्णय देगी. बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है तो उस पर एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा. 20 दिन में फीस बढ़ोत्तरी की शिकायत को नहीं किया दूर तो स्कूल पर डबल जुर्माना लगाया जाएगा.

स्कूल द्वारा अगर बच्चों को फीस के मामले को लेकर बाहर बैठाया तो प्रतिदिन प्रति बच्चा 50 हजार रुपए के हिसाब से जुर्माना लगेगा. शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने यह भी बताया कि 20 दिन में अगर ठीक नहीं किया तो जुर्माना डबल होगा. अगले 20 दिन के बाद फिर जुर्माना ट्रिपल हो जाएगा. उसके बाद स्कूल में सुधार नहीं हुआ तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी. इस बिल में यह प्रावधान दिया गया है. ट्रांसपेरेंट व्यवस्था, पेरेंट्स टीचर और स्कूल के मैनेजमेंट से मिलकर इसकी पालना करें. ऐसी व्यवस्था मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हमने की है और सारा प्रोसेस टाइम बॉन्ड है.

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