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खूंटी में कम उम्र की लड़कियों के मां बनने पर दयामनी बारला ने जताई चिंता, समाज को बताया जिम्मेदार - GIRLS BECOMING MOTHERS AT EARLY AGE

खूंटी में कम उम्र की लड़कियों के मां बनने के मामले पर आदिवासी नेत्री दयामनी बारला और कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने चिंता जताई है.

Children Becoming Parents In Khunti
आदिवासी नेत्री दयामनी बारला. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 25, 2025 at 3:45 PM IST

6 Min Read

खूंटी: ईटीवी भारत ने 13 मई को "झारखंड में चल रहा खतरनाक खेल, बिन ब्याही लड़कियां बन रही मां, बच्चे हो जा रहे गायब" शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. खबर प्रकाशित होने के बाद मामले पर राज्य बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया था और सभी जिलों के डीसी से इस बाबत रिपोर्ट तलब की गई है.वहीं खबर प्रकाशित होने के बाद कई राजनीतिक दलों के नेताओं, बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों ने इस तरह की घटना पर चिंता जाहिर करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है.

दयामनी ने समाज को बताया जिम्मेदार

वहीं कम उम्र के बच्चों के माता-पिता बनने के मामले पर आयरन लेडी के नाम से मशहूर आदिवासी नेत्री दयामनी बारला ने समाज के लोगों को जिम्मेदार बताया है. दयामनी बारला ने समाज की भूमिका पर सवाल उठाया है. आदिवासी महिला नेत्री दयामनी बारला ने बताया कि कम उम्र में बिन ब्याही मां बनना समाज के लिए बहुत दुखद बात है.

आदिवासी नेत्री दयामनी बारला और कांग्रेस नेता बंधु तिर्की का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

समाज के लोगों को मंथन करने की जरूरत

उन्होंने बताया कि ईटीवी भारत में प्रकाशित खबर देखकर आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों से इस मामले पर चर्चा की गई है. इस तरह के मामले काफी गंभीर हैं. ऐसे मामलों से आदिवासी समाज के बच्चियों को कैसे बचाया जाए इस पर समाज के लोगों को मंथन करना चाहिए और उन्हें बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना के लिए हमारा पूरा समाज ही जिम्मेदार है.

अशिक्षा और जागरुकता की कमी भी बड़ी वजह

उन्होंने कहा कि खूंटी के पूर्वी इलाके (खूंटी अनुमंडल) में शिक्षा और जागरुकता के मामले में आदिवासी समाज बहुत पिछड़ा हुआ है. बहुत दुखद बात है कि जिला मुख्यालय से महज 10 किमी अंदर जाने के बाद यह अहसास नहीं होता है कि आप मुख्यालय से नजदीक हैं और वहां की स्थिति ऐसी है कि हमारे आदिवासी लोग ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाते हैं. सरकारी आंकड़ों में भी इन इलाकों में शिक्षा का स्तर सबसे नीचे है. उन्होंने पश्चिमी इलाके (तोरपा अनुमंडल) का उदाहरण देते हुए कहा कि इस इलाके में लोग जागरूक हैं. लोग अपने अधिकारों को जानते हैं. इसलिए ऐसे मामले पश्चिमी इलाके में नहीं हैं. पूर्वी इलाके के लोगों में जागरुकता की कमी है.

माता-पिता बच्चों पर निगरानी रखें

दयामनी बारला ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों पर निगरानी रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि खूंटी के पूर्वी इलाके में मेला आदि का आयोजन होता है. लेकिन मां-बाप मेले में आये बच्चों पर तनिक पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि एक बार वह खुद उस इलाके में आयोजित एक मेले में गई थीं, जहां उन्होंने देखा कि एक 14 साल की लड़की की पीठ पर चार साल का बच्चा था. उस मेले में एक नहीं कई लड़कियां थीं जिनके पीठ पर बच्चे थे. यह देखकर उन्हें काफी आश्चर्य हुआ था.

उन्होंने कहा कि कम उम्र में मां बनने का मुख्य कारण है अशिक्षा और जागरुकता की कमी. सबसे बड़ा कारण है समाज के वैसे लोग जो समाज सुधारक होने का दावा करते हैं, लेकिन इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे जैसे लोग ही जिम्मेदार हैं कि क्षेत्र में कम उम्र में बच्चे माता-पिता बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि हमें जिला को आगे बढ़ाना है तो पहले हमें जागरूक होना होगा. उन्होंने खूंटी के पश्चिमी क्षेत्र के उदाहरण देते हुए बताई कि उन इलाकों के बच्चे कम उम्र में माता-पिता नहीं बनते हैं. क्योंकि वहां के लोग जागरूक हैं. दयामनी बारला ने खुलकर इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर उदासीनता का आरोप लगाया.

नशे का बाजार बंद हो

दयामनी बारला ने बताई कि खूंटी अनुमंडल क्षेत्र के गांव टोलों में शाम ढलने के बाद नशे का बाजार चलता है. क्षेत्र में आये दिन आर्केस्ट्रा और छऊ नृत्य का आयोजन होता है. समाज के नेता ही ऐसे आयोजन कराते हैं. ऐसे कार्यक्रमों में कम उम्र के बच्चे शामिल होते हैं और वहीं से भटकाव होता है. उन्होंने बताया कि वैसे कार्यक्रमों में अभिभावक व्यस्त रहते हैं और बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं. इसके लिए हमलोग खुद जिम्मेवार हैं.

बच्चों में भटकाव रोकने के लिए गार्जियनशिप जरूरी

उन्होंने कहा कि बदलाव तभी संभव है जब ऐसे आयोजनों में निगरानी रखी जाए. गार्जियनशिप भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन समेत पूरे समाज को गार्जियन की तरह काम करना होगा, तभी इस तरह के मामले रुक सकते हैं, नहीं तो यह कभी रुकने वाला नहीं है.

बंधु तिर्की ने जनजागरुकता पर दिया जोर

वहीं कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कम उम्र में बच्चों के माता-पिता बनने के मामले पर बताया कि यहां के आदिवासी बहुत सीधे होते हैं. यहां की लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनका यौन शोषण किया जाता है. यहां का नेचर ऐसा है कि लोग अपनी पीड़ा को दूसरी जगह बता भी नहीं पाते हैं. यह काफी चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों से बचने के लिए जन जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है और वैसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करनी चाहिए जो बच्चियों को बहला-फुसला कर उनका शोषण करते हैं.

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दयामनी ने समाज को बताया जिम्मेदार

वहीं कम उम्र के बच्चों के माता-पिता बनने के मामले पर आयरन लेडी के नाम से मशहूर आदिवासी नेत्री दयामनी बारला ने समाज के लोगों को जिम्मेदार बताया है. दयामनी बारला ने समाज की भूमिका पर सवाल उठाया है. आदिवासी महिला नेत्री दयामनी बारला ने बताया कि कम उम्र में बिन ब्याही मां बनना समाज के लिए बहुत दुखद बात है.

आदिवासी नेत्री दयामनी बारला और कांग्रेस नेता बंधु तिर्की का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

समाज के लोगों को मंथन करने की जरूरत

उन्होंने बताया कि ईटीवी भारत में प्रकाशित खबर देखकर आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों से इस मामले पर चर्चा की गई है. इस तरह के मामले काफी गंभीर हैं. ऐसे मामलों से आदिवासी समाज के बच्चियों को कैसे बचाया जाए इस पर समाज के लोगों को मंथन करना चाहिए और उन्हें बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना के लिए हमारा पूरा समाज ही जिम्मेदार है.

अशिक्षा और जागरुकता की कमी भी बड़ी वजह

उन्होंने कहा कि खूंटी के पूर्वी इलाके (खूंटी अनुमंडल) में शिक्षा और जागरुकता के मामले में आदिवासी समाज बहुत पिछड़ा हुआ है. बहुत दुखद बात है कि जिला मुख्यालय से महज 10 किमी अंदर जाने के बाद यह अहसास नहीं होता है कि आप मुख्यालय से नजदीक हैं और वहां की स्थिति ऐसी है कि हमारे आदिवासी लोग ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाते हैं. सरकारी आंकड़ों में भी इन इलाकों में शिक्षा का स्तर सबसे नीचे है. उन्होंने पश्चिमी इलाके (तोरपा अनुमंडल) का उदाहरण देते हुए कहा कि इस इलाके में लोग जागरूक हैं. लोग अपने अधिकारों को जानते हैं. इसलिए ऐसे मामले पश्चिमी इलाके में नहीं हैं. पूर्वी इलाके के लोगों में जागरुकता की कमी है.

माता-पिता बच्चों पर निगरानी रखें

दयामनी बारला ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों पर निगरानी रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि खूंटी के पूर्वी इलाके में मेला आदि का आयोजन होता है. लेकिन मां-बाप मेले में आये बच्चों पर तनिक पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि एक बार वह खुद उस इलाके में आयोजित एक मेले में गई थीं, जहां उन्होंने देखा कि एक 14 साल की लड़की की पीठ पर चार साल का बच्चा था. उस मेले में एक नहीं कई लड़कियां थीं जिनके पीठ पर बच्चे थे. यह देखकर उन्हें काफी आश्चर्य हुआ था.

उन्होंने कहा कि कम उम्र में मां बनने का मुख्य कारण है अशिक्षा और जागरुकता की कमी. सबसे बड़ा कारण है समाज के वैसे लोग जो समाज सुधारक होने का दावा करते हैं, लेकिन इन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे जैसे लोग ही जिम्मेदार हैं कि क्षेत्र में कम उम्र में बच्चे माता-पिता बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि हमें जिला को आगे बढ़ाना है तो पहले हमें जागरूक होना होगा. उन्होंने खूंटी के पश्चिमी क्षेत्र के उदाहरण देते हुए बताई कि उन इलाकों के बच्चे कम उम्र में माता-पिता नहीं बनते हैं. क्योंकि वहां के लोग जागरूक हैं. दयामनी बारला ने खुलकर इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर उदासीनता का आरोप लगाया.

नशे का बाजार बंद हो

दयामनी बारला ने बताई कि खूंटी अनुमंडल क्षेत्र के गांव टोलों में शाम ढलने के बाद नशे का बाजार चलता है. क्षेत्र में आये दिन आर्केस्ट्रा और छऊ नृत्य का आयोजन होता है. समाज के नेता ही ऐसे आयोजन कराते हैं. ऐसे कार्यक्रमों में कम उम्र के बच्चे शामिल होते हैं और वहीं से भटकाव होता है. उन्होंने बताया कि वैसे कार्यक्रमों में अभिभावक व्यस्त रहते हैं और बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं. इसके लिए हमलोग खुद जिम्मेवार हैं.

बच्चों में भटकाव रोकने के लिए गार्जियनशिप जरूरी

उन्होंने कहा कि बदलाव तभी संभव है जब ऐसे आयोजनों में निगरानी रखी जाए. गार्जियनशिप भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन समेत पूरे समाज को गार्जियन की तरह काम करना होगा, तभी इस तरह के मामले रुक सकते हैं, नहीं तो यह कभी रुकने वाला नहीं है.

बंधु तिर्की ने जनजागरुकता पर दिया जोर

वहीं कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कम उम्र में बच्चों के माता-पिता बनने के मामले पर बताया कि यहां के आदिवासी बहुत सीधे होते हैं. यहां की लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनका यौन शोषण किया जाता है. यहां का नेचर ऐसा है कि लोग अपनी पीड़ा को दूसरी जगह बता भी नहीं पाते हैं. यह काफी चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों से बचने के लिए जन जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है और वैसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करनी चाहिए जो बच्चियों को बहला-फुसला कर उनका शोषण करते हैं.

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