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जापानी बुखार का बढ़ा खतरा, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, जानिए इंसानों के लिए क्यों खतरनाक

सरगुजा में जापानी बुखार का खतरा मंडरा रहा है. जानवरों से लिए गए 61 सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं.

Japanese Encephalitis
जापानी बुखार का बढ़ा खतरा, सरगुजा में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : October 6, 2025 at 7:33 PM IST

6 Min Read
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सरगुजा : अंबिकापुर जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई है. इस खतरनाक वायरस के आने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जिले में अलर्ट जारी करते हुए, सभी विकासखंडों में कैंप शुरु करवाए हैं. कैंप में आने वाले लोगों को जांच के साथ मच्छरदानी के इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है. अब तक ये वायरस इंसानों में नहीं पाया गया है. लेकिन सुअर में वायरस मिलने से इसके फैलने का डर सता रहा है. ये इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है.

61 सैंपल पाए गए पॉजिटिव : पशु विभाग ने जिले भर से 140 सुअर के ब्लड सैंपल इकट्ठा किए थे.जिसमें से 61 सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं.इस वायरस को जेई वायरस के नाम से जाना जाता है. जो मच्छरों के काटने के बाद इंसानों के शरीर में आता है. यदि जापानी इंसेफेलाइटिस से संक्रमित सुअर को किसी मच्छर ने काटा हो. इसके बाद वही मच्छर किसी इंसान को काट ले तो वो जेई वायरस से संक्रमित हो जाता है.

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क्या है जापानी बुखार ? (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

क्या है जापानी बुखार : जापानी इंसेफेलाइटिस मच्छर से फैलने वाला विषाणु जनित रोग है. जो जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से होता है. यह सीधे तौर पर इंसान के मस्तिष्क को प्रभावित करता है. मस्तिष्क में सूजन पैदा करता है. यह गंभीर लेकिन टीका-रहित बचाव योग्य रोग है. आम तौर पर बारिश के समय मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसे में यदि कोई मच्छर जेई से संक्रमित जानवर को काटता है और फिर वही मच्छर इंसान को काटता है तो यह जेई वायरस बीमारी इंसान को हो जाती है. लेकिन ये एक इंसान से दूसरे इंसान को नहीं फैलता है.

जापानी बुखार के लक्षण : ये वायरस सूअर और जंगली पक्षियों में पाया जाता है, पहली बार जापान में इसकी खोज हुई थी. इसलिए इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है. अगर किसी को तेज बुखार, सिर में दर्द, आंखें लाल, थकान, चिड़चिड़ापन, बेहोशी, हाथ पैर में अकड़न, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या हो रही है तो वो उसे हल्के में ना लें. तुरंत डाक्टर की सलाह लें. ये संभावित लक्षण जापानी बुखार के ही हैं.

जापानी बुखार का बढ़ा खतरा, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

जानवरों के लिए घातक नहीं : पशु चिकित्सा सेवा द्वारा जापानी इंसेफेलाइटिस के संदेह पर सरगुजा जिले के अंबिकापुर, लुंड्रा, बतौली, सीतापुर, मैनपाट क्षेत्र से 140 सुअरों के सैम्पल लिए गए थे. सैम्पल को जांच के लिए आईसीएआर बेंगलुरु भेजा गया था. इस दौरान जांच में कुल 61 सैम्पल में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस की पुष्टि हुई है. पशु चिकित्सा विभाग की ओर से स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर चेतावनी जारी की गई है. एसओपी का पालन करते हुए सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि पशु चिकित्सा विभाग का कहना है इससे जानवरों को कोई खास नुकसान नहीं होता लेकिन इंसानों के लिए यह घातक है.

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61 जानवरों के सैंपल पाए गए पॉजिटिव (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

इंसानों को सतर्क रहने की जरूरत : इस मामले में पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ आरपी शुक्ला ने बताया कि "यहां से जापानी इंसेफेलाइटिस के संदेह पर 140 सैंपल भेजे गए थे. रायपुर और रायपुर से सैंपल बेंगलुरु भेजा गया था. वहां से 60 में ये वायरस पाया गया है.

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स्वास्थ्य विभाग ने लगाए कैंप (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

इस वायरस से सुअर को तो कोई खतरा नही है. लेकिन ये मच्छरों के काटने से इंसानों तक पहुंच सकता है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया है. हम तो रैंडम जांच करते हैं. उसमे ही ये बीमारी पता चली है, अब स्वास्थ्य विभाग मनुष्यों में ये ना फैले इसके लिए प्रयास करेगा - डॉ आरपी शुक्ला, पशु चिकित्सक

वहीं ऐपेडेमिक नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने निर्देश जारी किए हैं. जिसके बाद जिले के अंबिकापुर, लुंड्रा, बतौली और मैनपाट विकासखंड में सभी बीएमओ अपनी टीम के साथ इसे क्षेत्रों में कैम्प कर रहे हैं जहां सूअर पालन होता है. लोगों की सामान्य जांच के साथ उनको सतर्क किया जा रहा है. ताकि इस वायरस के लक्षण को पहचाने और मच्छरों से बच कर रहे.

यह जानवरों से मच्छर के माध्यम से इंसानों में फैलता है. यह मनुष्य के मस्तिष्क को प्रभावित करता है. जेई का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है. इसका लक्षण आधारित उपचार किया जाता है. बच्चों को इस बीमारी से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है. लोग अपने आसपास सफाई रखे और मच्छर को पनपने से रोके. मच्छरदानी का उपयोग करे, किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें - डॉ शैलेंद्र गुप्ता,एपेडेमिक, नोडल अधिकारी

छोटो बच्चों में बड़ा खतरा : इंसेफेलाइटिस वायरस का सबसे अधिक असर छोटे बच्चों में होता है. उत्तर प्रदेश, बिहार सहित सहित अन्य राज्यों में जापानी इंसेफेलाइटिस या जापानी बुखार के कारण बड़ी संख्या में छोटे बच्चों की मौतें हो चुकी है. लेकिन सरगुजा में अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. चिंता की बात यह है कि इस वायरल का कोई अलग से उपचार नहीं है. लक्षण आधारित ही इलाज किया जाता है. यह सबसे ज्यादा बच्चों के मस्तिष्क को प्रभावित करता है जबकि वयस्कों में अक्सर पूर्व संक्रमण से प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है और वो ठीक हो जाते हैं.

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जापानी बुखार से बचाव के उपाय (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

जापानी बुखार का उपचार: जापानी बुखार से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है, जबकि मरीज को ऑक्सीजन मास्क भी दिया जाता है. क्योंकि कई बार मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ होती है. जापानी बुखार का वैक्सीन उपलब्ध है. मरीज की हालत गंभीर होने पर टीका दिया जाता है. इस बुखार से बचने के लिए बरसात के दिनों में पूरे शरीर को ढककर रखें. जबकि रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

जापानी बुखार से बचाव के उपाय: आईए जानते हैं जापानी बुखार से किस तरीके से बचा जा सकता है.