दमोह(शंकर दुबे): मिशन अस्पताल में हुई सात मौतों के मामले में लगातार एक के बाद एक राज खुलते जा रहे हैं. जिसे महज एक फर्जी डॉक्टर समझा जा रहा था वह एक शातिर खिलाड़ी और अपराधी व्यक्ति निकला. मामले का खुलासा पुलिस अधीक्षक ने मीडिया के समक्ष किया.
नरेंद्र विक्रमादित्य उर्फ डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को पुलिस रिमांड पर लिए जाने के बाद उसकी निशान देही पर पुलिस उसके गृह निवास कानपुर पहुंची थी. जहां से कई चौंकाने वाले सच निकलकर सामने आए हैं.
पुलिस अधीक्षक ने बताया, नरेंद्र जॉन केम के निवास से मिले हैं कई फर्जी दस्तावेज
पुलिस अधीक्षक श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया "नरेंद्र जॉन केम के निवास से कई फर्जी दस्तावेज मिले हैं. जिसमें आधार कार्ड, कई तरह की सील और कई तरह के फर्जी डॉक्यूमेंट्स शामिल हैं. हालांकि उसके पिता के मुताबिक आरोपी डॉक्टर का संपर्क ज्यादातर उसके परिवार से नहीं रहा. वह अपने घर बहुत कम आता जाता रहा है."

आरोपी डॉक्टर ने दार्जिलिंग मेडिकल कॉलेज से की है एमबीबीएस की पढ़ाई
"दार्जिलिंग मेडिकल कॉलेज से उसने एमबीबीएस की पढ़ाई की थी और पहले ही अटेंम्प्ट में उसका पीएमटी निकल गया था. इसके बाद उसने पहली बार नोएडा में प्रैक्टिस शुरू की थी. लेकिन 2013 में उसके द्वारा उपचार में कोताही और फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 2014 से 2019 तक उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया था. इस अवधि में उसने हैदराबाद तथा कई अन्य जगहों पर भी अलग-अलग नाम से प्रैक्टिस की है."

लंदन की जॉर्जिस यूनिवर्सिटी के डॉक्टर एन जॉन केम से काफी प्रभावित था आरोपी डॉक्टर
पुलिस अधीक्षक ने बताया "जब हमने इसके पिता से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वह पढ़ने में शुरू से ही बहुत होशियार था और लंदन की जॉर्जिस यूनिवर्सिटी के डॉक्टर एन जॉन केम से काफी प्रभावित था. उन्हें आदर्श मानता था, इसलिए उनके नाम पर इसने अपना नाम नरेंद्र जॉन केम रख लिया. इसके घर से कई रिसर्च पेपर भी बरामद हुए हैं. आरोपी डॉक्टर के घर में एक पूरी की पूरी लैब बनी हुई है. वहां से पुलिस ने कई सारी फर्जी डिग्रियां और दस्तावेज बरामद किए हैं. जो रिसर्च पेपर बरामद किए गए हैं उसमें इसने संपादन भी किया है. घर से जो चीजें बरामद हुई हैं वह फर्जी हैं. उसने पूछताछ में भी यह बात कबूल की है."
2004 से लेकर 2009 तक अमेरिका में रहा है आरोपी डॉक्टर
एसपी ने बताया "2004 से लेकर 2009 तक यूएस में रहा है और वहां से इसने एमडी की डिग्री करने की बात कही है. वह अभी भी इस बात पर कायम है कि उसकी सभी डिग्रियां असली हैं. लेकिन अभी तक हमारी जांच में इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है. इस संबंध में हम संबंधित यूनिवर्सिटीज और मेडिकल कॉलेज से संपर्क कर रहे हैं."
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उन्होंने आगे कहा "यहां की मेडिकल काउंसिल से हमें जो पता चला है उसके मुताबिक ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि इसने बाहर के मेडिकल कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की हो. इसने केवल एमबीबीएस किया है. उसके बाद की सभी डिग्रियां फर्जी हैं. यह बात अलग है कि यह अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में कोई दस्तावेज पेश करते हैं. बाकी अभी तक की हमारी इन्वेस्टिगेशन में इसकी डिग्री असली होने के प्रमाण नहीं पाए गए हैं."
पुलिस के मुताबिक घर से निकलने के बाद आरोपी ने वहां से ज्यादातर संपर्क नहीं रखा
श्री सोमवंशी ने बताया "उनके पिता का कहना है कि घर से निकलने के बाद इसने ज्यादातर संपर्क नहीं रखा. एक या दो बार ही इसका घर आना-जाना हुआ है. इसके परिवार वालों को भी मीडिया के माध्यम से ही यह बात पता चली कि इसने फर्जीवाड़े किए हैं."
पुलिस अधीक्षक ने बताया "आरोपी डॉक्टर का कहना है कि वह डॉक्टर एन जान केम के साथ काम किया है. लेकिन मीडिया से निकली खबरों में पता चला है कि डॉक्टर जॉन केम ने आरोपी डॉक्टर द्वारा कही गई बातों का खंडन किया है. इसने अपना नाम इसलिए बदला कि इसका मेडिकल जगत में प्रभाव जम जाए. इसके पहले भी इसने एक बार नाम बदलने का प्रयास किया था. संगठन द्वारा रजिस्ट्रेशन कैंसिल किए जाने के कारण ही नई जगह प्रेक्टिस करने के लिए ही इसने फर्जीवाड़ा किया है."
एसपी का कहना है "हम सीएमएचओ की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा कि कौन-कौन सी धाराएं बढ़ाई जाएंगी. वही एजेंसी के माध्यम से मिशन अस्पताल में जॉइनिंग किए जाने के संबंध में उन्होंने बताया कि भोपाल की जिस संस्था से इसकी जॉइनिंग की बात सामने आई है उसके डायरेक्टर से हमारी बात हुई है. डायरेक्टर का कहना है कि हमने उसकी जॉइनिंग नहीं कराई है.