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सेबी के नाम पर साइबर ठगी: फर्जी लेटरहेड और सर्टिफिकेट से लोगों को बना रहे निशाना - CYBER FRAUD

साइबर ठगी की नई तरकीब को लेकर पुलिस मुख्यालय की साइबर विंग ने निवेशकों को किया आगाह.

सेबी के नाम पर साइबर फ्रॉड
सेबी के नाम पर साइबर फ्रॉड (प्रतीकात्मक फोटो)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 10, 2025 at 9:33 AM IST

3 Min Read

जयपुर. साइबर अपराधी लगातार अपनी चालें बदल रहे हैं. अब निवेशकों को ठगने के लिए साइबर अपराधी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जैसे प्रतिष्ठित वित्तीय नियामक का नाम इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने एक गंभीर चेतावनी जारी करते हुए आम जनता और निवेशकों को इस नए धोखाधड़ी के जाल से सावधान रहने को कहा है. पुलिस ने साफ किया है कि साइबर अपराधी सेबी के फर्जी लेटरहेड, रिकवरी सर्टिफिकेट और यहां तक कि सील का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ताकि वे सेबी अधिकारी बनकर लोगों को ठग सकें.

इस तरह बिछाया जा रहा साइबर ठगी का जाल : एसपी (साइबर क्राइम) शांतनु कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी इन दिनों निवेशकों को ऐसे संदेश या आदेश भेज रहे हैं. जो देखने में बिल्कुल सेबी से जारी हुए लगते हैं. इन फर्जी दस्तावेजों में सेबी का लेटरहेड और रिकवरी सर्टिफिकेट की हूबहू नकल होती है. जिससे पहली नजर में इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. वे खुद को सेबी का अधिकारी बताते हैं और निवेशकों को विभिन्न बहाने बनाकर झांसे में लेते हैं. उनका मकसद निवेशकों की मेहनत की कमाई को हड़पना होता है.

इसे भी पढ़ें: दुकानों पर असली क्यूआर कोड को रिप्लेस कर साइबर ठगी, पुलिस ने फ्रॉड की नई तरकीब को लेकर किया आगाह

इस तरह पता करें नोटिस असली या नकली : सेबी ने इस धोखाधड़ी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताए हैं. जिनकी मदद से आप किसी भी आदेश या नोटिस की प्रामाणिकता की पुष्टि कर सकते हैं. सेबी द्वारा पारित हर आदेश उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होता है. होम पेज पर इन्फोर्स्मेंट ऑप्शन में जाकर आदेश सेक्शन में ऑर्डर उपलब्ध हैं. आपको इस तरह का कोई आदेश मिलता है, तो सबसे पहले उसे सेबी की वेबसाइट पर जाकर सत्यापित करना चाहिए.

ऐसे की जा सकती है रिकवरी सर्टिफिकेट की जांच : सेबी द्वारा जारी सभी रिकवरी सर्टिफिकेट इन्फोर्स्मेंट सेक्शन के रिकवरी प्रोसिडिंग सेक्शन में देखे जा सकते हैं. किसी भी रिकवरी सर्टिफिकेट की सच्चाई जानने के लिए इस सेक्शन को जरूर जांच लेना चाहिए. इसी तरह सेबी हर आदेश में एक विशिष्ट दस्तावेज पहचान संख्या दर्ज करती है. इस संख्या को भी वेबसाइट पर जाकर सत्यापित किया जा सकता है. किसी भी दस्तावेज की वास्तविकता पता करने का यह आसन और सुरक्षित तरीका है.

अनधिकृत ईमेल पर नहीं करें भरोसा : कोई शख्स खुद को सेबी का अधिकारी बताता है तो उसका नाम, ईमेल आईडी और संपर्क सूत्र भी सेबी की वेबसाइट पर जाकर पता किया जा सकता है. सेबी की ओर से यह भी साफ किया गया है कि वह केवल अपने आधिकारिक ई मेल आईडी @sebi.gov.in से ही आदेश जारी करता है. ऐसे में किसी भी अनाधिकृत या संदिग्ध ईमेल से प्राप्त संदेशों पर विश्वास न करें.

इसे भी पढ़ें: 75 वर्षीय बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर 23.56 लाख की ठगी, मुख्य अकाउंट होल्डर दिल्ली से दबोचा

साइबर ठगी की पोर्टल और हेल्पलाइन पर करें शिकायत : राजस्थान पुलिस ने इस एडवाइजरी में आमजन से अपील की है कि यदि कोई इस प्रकार की धोखाधड़ी का प्रयास करता है, तो इसकी तत्काल सूचना साइबर हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर दें. साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है. निकटतम पुलिस स्टेशन अथवा साइबर पुलिस स्टेशन में भी रिपोर्ट करना चाहिए.

जयपुर. साइबर अपराधी लगातार अपनी चालें बदल रहे हैं. अब निवेशकों को ठगने के लिए साइबर अपराधी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जैसे प्रतिष्ठित वित्तीय नियामक का नाम इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने एक गंभीर चेतावनी जारी करते हुए आम जनता और निवेशकों को इस नए धोखाधड़ी के जाल से सावधान रहने को कहा है. पुलिस ने साफ किया है कि साइबर अपराधी सेबी के फर्जी लेटरहेड, रिकवरी सर्टिफिकेट और यहां तक कि सील का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ताकि वे सेबी अधिकारी बनकर लोगों को ठग सकें.

इस तरह बिछाया जा रहा साइबर ठगी का जाल : एसपी (साइबर क्राइम) शांतनु कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी इन दिनों निवेशकों को ऐसे संदेश या आदेश भेज रहे हैं. जो देखने में बिल्कुल सेबी से जारी हुए लगते हैं. इन फर्जी दस्तावेजों में सेबी का लेटरहेड और रिकवरी सर्टिफिकेट की हूबहू नकल होती है. जिससे पहली नजर में इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. वे खुद को सेबी का अधिकारी बताते हैं और निवेशकों को विभिन्न बहाने बनाकर झांसे में लेते हैं. उनका मकसद निवेशकों की मेहनत की कमाई को हड़पना होता है.

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इस तरह पता करें नोटिस असली या नकली : सेबी ने इस धोखाधड़ी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके बताए हैं. जिनकी मदद से आप किसी भी आदेश या नोटिस की प्रामाणिकता की पुष्टि कर सकते हैं. सेबी द्वारा पारित हर आदेश उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होता है. होम पेज पर इन्फोर्स्मेंट ऑप्शन में जाकर आदेश सेक्शन में ऑर्डर उपलब्ध हैं. आपको इस तरह का कोई आदेश मिलता है, तो सबसे पहले उसे सेबी की वेबसाइट पर जाकर सत्यापित करना चाहिए.

ऐसे की जा सकती है रिकवरी सर्टिफिकेट की जांच : सेबी द्वारा जारी सभी रिकवरी सर्टिफिकेट इन्फोर्स्मेंट सेक्शन के रिकवरी प्रोसिडिंग सेक्शन में देखे जा सकते हैं. किसी भी रिकवरी सर्टिफिकेट की सच्चाई जानने के लिए इस सेक्शन को जरूर जांच लेना चाहिए. इसी तरह सेबी हर आदेश में एक विशिष्ट दस्तावेज पहचान संख्या दर्ज करती है. इस संख्या को भी वेबसाइट पर जाकर सत्यापित किया जा सकता है. किसी भी दस्तावेज की वास्तविकता पता करने का यह आसन और सुरक्षित तरीका है.

अनधिकृत ईमेल पर नहीं करें भरोसा : कोई शख्स खुद को सेबी का अधिकारी बताता है तो उसका नाम, ईमेल आईडी और संपर्क सूत्र भी सेबी की वेबसाइट पर जाकर पता किया जा सकता है. सेबी की ओर से यह भी साफ किया गया है कि वह केवल अपने आधिकारिक ई मेल आईडी @sebi.gov.in से ही आदेश जारी करता है. ऐसे में किसी भी अनाधिकृत या संदिग्ध ईमेल से प्राप्त संदेशों पर विश्वास न करें.

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साइबर ठगी की पोर्टल और हेल्पलाइन पर करें शिकायत : राजस्थान पुलिस ने इस एडवाइजरी में आमजन से अपील की है कि यदि कोई इस प्रकार की धोखाधड़ी का प्रयास करता है, तो इसकी तत्काल सूचना साइबर हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर दें. साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है. निकटतम पुलिस स्टेशन अथवा साइबर पुलिस स्टेशन में भी रिपोर्ट करना चाहिए.

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