शिमला : हनुमान जयंती हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस साल हनुमान जयंती 12 अप्रैल को मनाई जा रही है. इस दिन भगवान राम की सेवा में समर्पित और साहस, शक्ति और भक्ति के प्रतीक हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से उनका आशीर्वाद, सफलता, शक्ति और भक्ति प्राप्त होती है. इस मौके पर लोग हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. शिमला स्थित जाखू मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. जाखू मंदिरर का इतिहास हनुमान जी से जुड़ा है. आज यहां भक्तों की काफी भीड़ देखी जा रही है.
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में करीब आठ हजार फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. यहां दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान, जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तो सुखसेन वैद्य ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. उस हनुमान जी प्रभु श्री राम के आदेशों पर संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत आए थे.
हनुमान जी ने जाखू पहाड़ी पर किया था विश्राम
जाखू मंदिर के पुजारी बीपी शर्मा ने बताया कि, 'जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने जा रहे थे उसकी समय रास्ते में उन्होंने नीचे पहाड़ी पर यक्ष नामक ऋषि को देखा तो वे नीचे पहाड़ी पर उतरे, जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी. परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई. मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई. हनुमान जी ने याकू ऋषि को नमन कर विश्राम करने के साथ संजीवनी बूटी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की और उन्हें वचन दिया कि वो संजीवनी लेकर आते समय उनके आश्रम पर जरूर आएंगे, लेकिन लौटते वक्त कालनेमि से युद्ध करना पड़ा और समय के आभाव के कारण हनुमान जी ऋषि याकू के आश्रम नहीं जा सके और छोटे मार्ग से होते हुए संजीवनी बूटी लेकर लौट गए.'
आज भी मौजूद हैं चरण पादुकाएं
पुजारी बीपी शर्मा बताते हैं कि 'ऋषि याकू हनुमान जी के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि याकू के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए और इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनके उनकी चरण पादुकाएं मौजूद हैं. जिस स्थल पर हनुमान जी उतरे थे, वहां पर आज भी जाखू में उनके चरण चिन्हों को मंदिर में अलग से एक कुटिया बनाकर संगमरमर से निर्मित कर सुरक्षित रखा गया है.'
2010 में स्थापित हुई विशाल मूर्ति
जाखू मंदिर में हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल मूर्ति भी लगी है. कंकरीट की ये विशाल मूर्ति 2008 में बननी शुरू हुई थी और 2010 में इसे स्थापित किया गया था. जाखू मंदिर में हनुमान जी की ये मूर्ति अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा और उनके पति निखिल नंदा ने बनवाई थी, जो भारत की सबसे बड़ी ओरल-केयर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जेएचएस स्वेन्दगार्ड लेबोरेटरीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं. इसका उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था.

मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी और रोप-वे की सुविधा
जाखू मंदिर जाने के लिए रिज मैदान से पैदल मार्ग भी हैं जो खड़ी चढ़ाई है. वहीं निजी और एचआरटीसी की टैक्सी सेवा के साथ रोप वे से भी जाखू मंदिर पहुंचा जा सकता है. मंदिर के मुख्य गेट से पैदल मार्ग और एस्केलेटर की सुविधा उपलब्ध है जो मंदिर परिसर तक जाती है.
शिमला स्थित जाखू मंदिर को पर्यटक बहुत पसंद करते हैं. बाहरी राज्य से आए पर्यटकों का कहना था कि 'हमने जाखू मंदिर के बारे में बहुत सुना था. मंदिर बेहद खूबसूरत है. यहां हरे-भरे पेड़ों के बीच बना ये मंदिर मन को शांति देता है. यहां दर्शन कर उन्हें काफी अच्छा महसूस हुआ.' वहीं, स्थानीय निवासी विमल कुमार का कहना है कि 'मैं काफी सालों से जाखू मंदिर आ रहा हूं और इससे मेरी आस्था जुड़ी है और यहां सबकी मनोकामना पूरी होती है.' मंदिर पुजारी का कहना है कि, 'यहां पर काफी संख्या में पर्यटक आते हैं. मंगलवार,रविवार,शनिवार को एक दिन में ही 5 से 7 हजार पर्यटक पूजा अर्चना करते है.'
साढ़े छह करोड़ का मालिक है जाखू मंदिर
राजधानी शिमला का जाखू मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है. जहां पर देश विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.हर साल लोग यहां पर आते हैं ओर यहां लोग चढ़ावा भी चढ़ाते है. जाखू मंदिर साढ़े छह करोड़ का मालिक है. ढाई करोड़ की बैंक में एफडी है और चार करोड़ नगद हैं.