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नवरात्री में देवसर धाम भिवानी में उमड़ रही है श्रद्धालुओं की भीड़, माता का आर्शीवाद पाने देश भर से यहां आते हैं श्रद्धालु - DEVSAR DHAM BHIWANI

भिवानी से सात किलोमीटर दूर बसा गांव देवसर धाम हरियाणा ही नहीं देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है.

Devsar Dham Bhiwani
आस्था का केंद्र देवसर धाम भिवानी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 2, 2025 at 2:28 PM IST

3 Min Read

भिवानीः दिल्ली-पिलानी रोड पर भिवानी से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर बसा गांव देवसर धार्मिक आस्था का केंद्र है. यहां का मुख्य धाम देवसर धाम पहाड़ी पर बना दुर्गा मंदिर देश विदेश में भी प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से यहां मांगी गई मुराद मातारानी अवश्य ही पूरी करती हैं. खासकर नवरात्रि में इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचकर देवी माता की पूजा-अर्चना और अखंड ज्योति जलाकर परिवार के लिए सुख व समृद्धि की कामना करते हैं.

700 साल से ज्यादा पुराना है मंदिर का इतिहासः गांव के इतिहास की बात करें तो यह गांव करीब 700 साल से ज्यादा पुराना गांव है. बताया जाता है कि एक जमाने में यह इलाका बंजर हुआ करता था. एक बार बंजारों का समूह गाय चराते हुए यहां पहुंचा था. रात को उन्होंने यहां ठहराव किया. सुबह अपनी गायों को ले जाने लगे तो गायें वहां से उठी नहीं. जब वह गाय उठाने के लिए प्रयास कर रहे थे तो अचानक आकाशवाणी हुई कि अरे मां दुर्गा को याद करो. मां तुम्हारी मदद करेंगी. यह आवाज सुन बंजारा समूह के लोगों ने पूजा अर्चना शुरू की. जैसे ही पूजा-अर्चना की गायें एकाएक उठ गईं.

देवसर धाम भिवानी (Etv Bharat)

आकाशवाणी से मिला था संदेशः इसके बाद बंजारा समूह के लोगों ने कंकड़ पत्थर एकत्रित किए और माता रानी की मंदिर का निर्माण किया. इसके बाद से जब भी वे यहां आते, माता रानी को जरूर याद करते थे. इसी तरह एक और किवदंती है कि देवसर गांव बसा तो यहां ओछटिया खेड़ा होता था. किन्हीं कारणों से यह खेड़ा उजड़ गया. बड़े बुजुर्गों की मानें तो एक दिन मातारानी की आकाशवाणी हुई. इस परिवार के लोग माता रानी की सेवा करेंगे तो यह खेड़ा फिर से आबाद हो जाएगा. मंदिर के बनने से लेकर आज तक ओछटिया परिवार मंदिर में सेवा कार्य कर रहा है. इसके अलावा देवसर धाम मंदिर और परिसर की देखभाल सेवा कार्य चैरिटेबल ट्रस्ट कर रहा है.

मन से मन्नत मांगने वालों की मुरादें होती हैं पूरीः मंदिर के पुजारी पप्पू, मांगेराम और राजबीर ने बताया कि यह मंदिर प्राचीन समय से स्थापित है. इस मंदिर में राजपूत और ब्राह्मण समाज से जुड़े पुजारी पूजा-पाठ करते हैं. इससे यहां भाईचारा और एकता को भी बढ़ावा मिलता है. उन्होंने कहा कि देवसर धाम में दोनों नवरात्रि पर 9 दिन तक पूजा-पाठ होती है, जिसमें केवल हरियाणा प्रांत से ही नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों और विदेशों से भी लोग मन्नत मांगने और पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु उमेश चौहान और अनिता ने कहा कि यहां पहुंचकर मन से मन्नत मांगने वालों की मुरादें मां पूरी करती हैं. इसी आस्था के साथ यहां पहुंचे हैं. उनकी लंबे समय से देवसर धाम में आस्था है और देवसर धाम की माता उनकी कुलदेवी हैं. उनके परिवार की पूजा यहीं पर संपन्न होती है. वे यहां राष्ट्र कल्याण और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करने पहुंचे हैं. उन्हें माता पर पूरा भरोसा है.

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भिवानीः दिल्ली-पिलानी रोड पर भिवानी से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर बसा गांव देवसर धार्मिक आस्था का केंद्र है. यहां का मुख्य धाम देवसर धाम पहाड़ी पर बना दुर्गा मंदिर देश विदेश में भी प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से यहां मांगी गई मुराद मातारानी अवश्य ही पूरी करती हैं. खासकर नवरात्रि में इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचकर देवी माता की पूजा-अर्चना और अखंड ज्योति जलाकर परिवार के लिए सुख व समृद्धि की कामना करते हैं.

700 साल से ज्यादा पुराना है मंदिर का इतिहासः गांव के इतिहास की बात करें तो यह गांव करीब 700 साल से ज्यादा पुराना गांव है. बताया जाता है कि एक जमाने में यह इलाका बंजर हुआ करता था. एक बार बंजारों का समूह गाय चराते हुए यहां पहुंचा था. रात को उन्होंने यहां ठहराव किया. सुबह अपनी गायों को ले जाने लगे तो गायें वहां से उठी नहीं. जब वह गाय उठाने के लिए प्रयास कर रहे थे तो अचानक आकाशवाणी हुई कि अरे मां दुर्गा को याद करो. मां तुम्हारी मदद करेंगी. यह आवाज सुन बंजारा समूह के लोगों ने पूजा अर्चना शुरू की. जैसे ही पूजा-अर्चना की गायें एकाएक उठ गईं.

देवसर धाम भिवानी (Etv Bharat)

आकाशवाणी से मिला था संदेशः इसके बाद बंजारा समूह के लोगों ने कंकड़ पत्थर एकत्रित किए और माता रानी की मंदिर का निर्माण किया. इसके बाद से जब भी वे यहां आते, माता रानी को जरूर याद करते थे. इसी तरह एक और किवदंती है कि देवसर गांव बसा तो यहां ओछटिया खेड़ा होता था. किन्हीं कारणों से यह खेड़ा उजड़ गया. बड़े बुजुर्गों की मानें तो एक दिन मातारानी की आकाशवाणी हुई. इस परिवार के लोग माता रानी की सेवा करेंगे तो यह खेड़ा फिर से आबाद हो जाएगा. मंदिर के बनने से लेकर आज तक ओछटिया परिवार मंदिर में सेवा कार्य कर रहा है. इसके अलावा देवसर धाम मंदिर और परिसर की देखभाल सेवा कार्य चैरिटेबल ट्रस्ट कर रहा है.

मन से मन्नत मांगने वालों की मुरादें होती हैं पूरीः मंदिर के पुजारी पप्पू, मांगेराम और राजबीर ने बताया कि यह मंदिर प्राचीन समय से स्थापित है. इस मंदिर में राजपूत और ब्राह्मण समाज से जुड़े पुजारी पूजा-पाठ करते हैं. इससे यहां भाईचारा और एकता को भी बढ़ावा मिलता है. उन्होंने कहा कि देवसर धाम में दोनों नवरात्रि पर 9 दिन तक पूजा-पाठ होती है, जिसमें केवल हरियाणा प्रांत से ही नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों और विदेशों से भी लोग मन्नत मांगने और पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु उमेश चौहान और अनिता ने कहा कि यहां पहुंचकर मन से मन्नत मांगने वालों की मुरादें मां पूरी करती हैं. इसी आस्था के साथ यहां पहुंचे हैं. उनकी लंबे समय से देवसर धाम में आस्था है और देवसर धाम की माता उनकी कुलदेवी हैं. उनके परिवार की पूजा यहीं पर संपन्न होती है. वे यहां राष्ट्र कल्याण और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करने पहुंचे हैं. उन्हें माता पर पूरा भरोसा है.

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