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600 गौवंश इस चीज के लिए पालता है ये शख्स, पूरे देश में डिमांड - COW DUNG PRODUCTS

गोबर के सामान की डिमांड इन दिनों काफी ज्यादा है. इसलिए रायपुर का एक शख्स बिना दूध देने वाली गाय और बैल पाल रहा है.

COW DUNG PRODUCTS
गाय के गोबर से सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 1, 2025 at 3:52 PM IST

Updated : April 1, 2025 at 5:23 PM IST

4 Min Read

रायपुर: गाय के गोबर से दीए, मूर्तियां तो आपने शायद सुना है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गोबर से चप्पल, ईंट, टाइल्स समेत करीब 25 से ज्यादा प्रोडक्ट बन रहे हैं. इनकी डिमांड छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में है.

600 गौवंश पाल रहे रायपुर के रितेश अग्रवाल: आइये आपको मिलाते हैं उस शख्स से जिसने गोबर से ऐसे प्रोडक्ट बनाने के बारे में सोचा. ये रायपुर के रितेश अग्रवाल हैं, जिनके दिमाग में गोबर से अलग अलग प्रोडक्ट बनाने का ख्याल आया. रितेश अग्रवाल कहते हैं कि नंदी और गौमाता मिलाकर उनके पास 600 गौवंश हैं. सबसे पहला प्रोडक्ट हमने गोकाष्ठ यानी गोबर की लकड़ी बनाया. मुक्तिधामों में इस लकड़ी से अंतिम संस्कार होता है.

गोबर से उत्पाद (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर से ईंट, टाइल्स, घड़ी: रितेश बताते हैं कि गोकाष्ठ बिक तो रही थी लेकिन उससे पर्याप्त इनकम नहीं हो रही थी. फिर धीरे धीरे दूसरे प्रोडक्ट बनाना शुरू किया. गोबर की मूर्तियां, दीए, ईंट, टाइल्स, घड़ी तैयार किए. इससे इनकम जनरेट होती है. यहां काम करने वाली दीदियों(महिलाओं) को रोजगार मिलता है और गौमाता के लिए चारे का इंतजाम होता है.

रितेश बताते हैं कि हर त्यौहार में हम कुछ न कुछ बनाते हैं. जैसे राखी में गोबर की राखी, गणेश पूजा में गणेश मूर्ति, दीवाली में गोबर के दीए और लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाते हैं.

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गोबर का ब्रीफकेस (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर के सूटकेस में छत्तीसगढ़ का बजट: आपको ये जानकर भी ताज्जुब होगा कि रितेश ने गोबर का सूटकेस भी बनाया है. रितेश खुद कहते हैं कि पूरी दुनिया में पहले किसी ने इसके बारे में नहीं सोचा होगा. खास बात यह है कि इस सूटकेस में छत्तीसगढ़ सरकार का बजट पेश किया गया था.

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गोबर की चप्पल (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर की चप्पल की डिमांड: सबसे खास बात यहां गोबर की चप्पल भी बनाई जाती है. रितेश बताते हैं कि गोबर की चप्पल मुख्य इनकम का साधन है. देश प्रदेश में कूरियर के माध्यम से भेजते हैं. मूर्तियों भी डिमांड है. डिमांड आती गई और हम बनाते गए.

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गोबर की ईंट (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर से ईंट और टाइल्स भी बनाई जा रही है. रितेश अग्रवाल बताते हैं कि ईंट और टाइल्स की खासियत यह है कि इसमें 90 फीसदी गोबर मिला है. इसकी लैब टेस्ट रिपोर्ट हमारे पास है. यह न पानी में गलता है और ना ही आग में जल्दी जलता है. गर्मी बहुत ज्यादा है लेकिन गोबर के ईंट और टाइल्स का उपयोग करते हैं तो यह ज्यादा गर्म नहीं होता है.

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गोबर की मूर्तियां (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रोडेक्ट में 90 प्रतिशत रहता है गोबर: रितेश अग्रवाल कहते हैं कि हमारे प्रोडक्ट 90% गोबर और बाकी ग्वार गम, चूना पाउडर और मैदा की लकड़ी से तैयार करते हैं. उन्होंने बताया, ''हमारे प्रोडक्ट की ऑल इंडिया डिमांड है. सबसे ज्यादा हमारा होल सेल प्रोडक्ट दिल्ली जाता है. एक महिला समूह है, जिसमें 13 दीदियां हैं और दस सेवादार परिवार हैं, जिनको रोजगार मिलता है.''

रितेश बताते हैं कि गौशाला में गाएं बहुत कम दूध देती हैं, लेकिन गोबर और गौमूत्र प्राप्त होता है. दूध हमारी प्राथमिकता नहीं है. थोड़ा बहुत दूध होता है, उसका घी बनाते हैं. गौसेवकों को घी जाता है. घी की वेटिंग चलती है. यह देसी गाय का शुद्ध घी है.

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रायपुर के रितेश अग्रवाल बनाते हैं गोबर का सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या है उद्देश्य: रितेश अग्रवाल बताते हैं कि ''हमारा उद्देश्य है कि हम गौशाला को स्वावलंबी बनाएं और महिलाओं को रोजगार दें. हम गौशाला को दान के पैसे से नहीं चलाना चाहते हैं. गौमाता को चारा मिलते रहे और लोगों को रोजगार मिले यही हमारा उद्देश्य है.''

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गाय के गोबर से सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर से बने प्रोडक्ट की कीमत: गोबर की राखी 20 से लेकर 50 रुपए तक, ब्रीफकेस 3100 रुपए से लेकर 5100 रुपए तक, गोबर से बनी प्रति ईंट की कीमत 15 रुपए, गोबर से बनी प्रति टाइल्स की कीमत 40 रुपए, गोबर से बनी मूर्तियों की कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक, गोबर की एक जोड़ी चप्पल की कीमत 400 रुपए, एक जोड़ी खड़ऊ की कीमत 500 रुपए, मंत्र जपने वाली एक माला की कीमत 201 रुपए, स्वागत सत्कार के लिए गोबर से बनी माला की कीमत 301 रुपए, एक पेंटिंग की कीमत 5000 रुपए रखी गई है.

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रायपुर: गाय के गोबर से दीए, मूर्तियां तो आपने शायद सुना है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गोबर से चप्पल, ईंट, टाइल्स समेत करीब 25 से ज्यादा प्रोडक्ट बन रहे हैं. इनकी डिमांड छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में है.

600 गौवंश पाल रहे रायपुर के रितेश अग्रवाल: आइये आपको मिलाते हैं उस शख्स से जिसने गोबर से ऐसे प्रोडक्ट बनाने के बारे में सोचा. ये रायपुर के रितेश अग्रवाल हैं, जिनके दिमाग में गोबर से अलग अलग प्रोडक्ट बनाने का ख्याल आया. रितेश अग्रवाल कहते हैं कि नंदी और गौमाता मिलाकर उनके पास 600 गौवंश हैं. सबसे पहला प्रोडक्ट हमने गोकाष्ठ यानी गोबर की लकड़ी बनाया. मुक्तिधामों में इस लकड़ी से अंतिम संस्कार होता है.

गोबर से उत्पाद (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर से ईंट, टाइल्स, घड़ी: रितेश बताते हैं कि गोकाष्ठ बिक तो रही थी लेकिन उससे पर्याप्त इनकम नहीं हो रही थी. फिर धीरे धीरे दूसरे प्रोडक्ट बनाना शुरू किया. गोबर की मूर्तियां, दीए, ईंट, टाइल्स, घड़ी तैयार किए. इससे इनकम जनरेट होती है. यहां काम करने वाली दीदियों(महिलाओं) को रोजगार मिलता है और गौमाता के लिए चारे का इंतजाम होता है.

रितेश बताते हैं कि हर त्यौहार में हम कुछ न कुछ बनाते हैं. जैसे राखी में गोबर की राखी, गणेश पूजा में गणेश मूर्ति, दीवाली में गोबर के दीए और लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाते हैं.

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गोबर का ब्रीफकेस (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर के सूटकेस में छत्तीसगढ़ का बजट: आपको ये जानकर भी ताज्जुब होगा कि रितेश ने गोबर का सूटकेस भी बनाया है. रितेश खुद कहते हैं कि पूरी दुनिया में पहले किसी ने इसके बारे में नहीं सोचा होगा. खास बात यह है कि इस सूटकेस में छत्तीसगढ़ सरकार का बजट पेश किया गया था.

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गोबर की चप्पल (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर की चप्पल की डिमांड: सबसे खास बात यहां गोबर की चप्पल भी बनाई जाती है. रितेश बताते हैं कि गोबर की चप्पल मुख्य इनकम का साधन है. देश प्रदेश में कूरियर के माध्यम से भेजते हैं. मूर्तियों भी डिमांड है. डिमांड आती गई और हम बनाते गए.

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गोबर की ईंट (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर से ईंट और टाइल्स भी बनाई जा रही है. रितेश अग्रवाल बताते हैं कि ईंट और टाइल्स की खासियत यह है कि इसमें 90 फीसदी गोबर मिला है. इसकी लैब टेस्ट रिपोर्ट हमारे पास है. यह न पानी में गलता है और ना ही आग में जल्दी जलता है. गर्मी बहुत ज्यादा है लेकिन गोबर के ईंट और टाइल्स का उपयोग करते हैं तो यह ज्यादा गर्म नहीं होता है.

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गोबर की मूर्तियां (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रोडेक्ट में 90 प्रतिशत रहता है गोबर: रितेश अग्रवाल कहते हैं कि हमारे प्रोडक्ट 90% गोबर और बाकी ग्वार गम, चूना पाउडर और मैदा की लकड़ी से तैयार करते हैं. उन्होंने बताया, ''हमारे प्रोडक्ट की ऑल इंडिया डिमांड है. सबसे ज्यादा हमारा होल सेल प्रोडक्ट दिल्ली जाता है. एक महिला समूह है, जिसमें 13 दीदियां हैं और दस सेवादार परिवार हैं, जिनको रोजगार मिलता है.''

रितेश बताते हैं कि गौशाला में गाएं बहुत कम दूध देती हैं, लेकिन गोबर और गौमूत्र प्राप्त होता है. दूध हमारी प्राथमिकता नहीं है. थोड़ा बहुत दूध होता है, उसका घी बनाते हैं. गौसेवकों को घी जाता है. घी की वेटिंग चलती है. यह देसी गाय का शुद्ध घी है.

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रायपुर के रितेश अग्रवाल बनाते हैं गोबर का सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या है उद्देश्य: रितेश अग्रवाल बताते हैं कि ''हमारा उद्देश्य है कि हम गौशाला को स्वावलंबी बनाएं और महिलाओं को रोजगार दें. हम गौशाला को दान के पैसे से नहीं चलाना चाहते हैं. गौमाता को चारा मिलते रहे और लोगों को रोजगार मिले यही हमारा उद्देश्य है.''

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गाय के गोबर से सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)

गोबर से बने प्रोडक्ट की कीमत: गोबर की राखी 20 से लेकर 50 रुपए तक, ब्रीफकेस 3100 रुपए से लेकर 5100 रुपए तक, गोबर से बनी प्रति ईंट की कीमत 15 रुपए, गोबर से बनी प्रति टाइल्स की कीमत 40 रुपए, गोबर से बनी मूर्तियों की कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक, गोबर की एक जोड़ी चप्पल की कीमत 400 रुपए, एक जोड़ी खड़ऊ की कीमत 500 रुपए, मंत्र जपने वाली एक माला की कीमत 201 रुपए, स्वागत सत्कार के लिए गोबर से बनी माला की कीमत 301 रुपए, एक पेंटिंग की कीमत 5000 रुपए रखी गई है.

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Last Updated : April 1, 2025 at 5:23 PM IST
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