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आरक्षण की सीमा बढ़ाने से जुड़े लंबित मांग के लिए क्या कर रही सरकार, सदन में कांग्रेस विधायक का सवाल - JHARKHAND BUDGET SESSION

झारखंड बजट सत्र के दौरान कांग्रेस द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर सरकार से सवाल किया गया.

Congress MLA Pradeep Yadav raised issue of 27 percent OBC reservation during Jharkhand budget session
सदन की कार्यवाही में भाग लेते कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : March 25, 2025 at 5:40 PM IST

3 Min Read

रांचीः बजट सत्र के 18वें दिन ध्यानाकर्षण के तहत कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के लंबित मांग का मामला उठाया.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि 11-11-2022 को सरकार ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत, एससी के लिए 12 प्रतिशत और एसटी के लिए 28 प्रतिशत आरक्षण से जुड़ा बिल सदन से पास कराकर राष्ट्रपति के पास भेजा था. इसमें 10 प्रतिशत ईडबल्यूएस को मिलाने पर आरक्षण की कुल सीमा 77 प्रतिशत करने की कवायद हुई थी. अब सवाल है कि क्या राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से मिलकर इस मसले को सुलझाने की कोशिश होगी. क्या इसके लिए कोई प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाना चाहेगा.

विचार के बाद सरकार लेगी कोई फैसला- दीपक बिरुआ

इसके जवाब में प्रभारी मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि कोर्ट के निर्णय की वजह से 2001 में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मामला खारिज हो गया था. लिहाजा, 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अलग से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया. उन्होंने दो टूक कहा कि प्रतिनिधिमंडल भेजने के बात अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इसपर विचार के बाद ही कोई निर्णय होगा.

Congress MLA Pradeep Yadav raised issue of 27 percent OBC reservation during Jharkhand budget session
सदन की कार्यवाही में भाग लेते मंत्री (ETV Bharat)

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि इसपर विचार करने की क्या जरुरत है. सरकार को राज्यहित में घोषणा करना चाहिए कि राज्यहित में एक प्रतिनिधिमंडल जाएगा. दिल्ली जाने के लिए भाड़ा भी नहीं लगना है. जवाब में प्रभारी मंत्री ने दोहराया कि इस पर विचार के बाद ही कोई निर्णय होगा. काउंटर करते हुए प्रदीप यादव ने पूछा कि सरकार का हां या ना में जवाब दे. इसपर मंत्री ने कहा कि विचार के बाद सरकार कोई निर्णय लेती है तो प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जा सकता है.

सिर्फ तमिलनाडु में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण

वर्तमान में सिर्फ तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण है. वहां 10 प्रतिशत ईडब्यूएस को जोड़ने पर कुल आरक्षण की सीमा 79 प्रतिशत हो जाती है. इसके लिए तमिलनाडू ने लंबा संघर्ष किया. 31 अगस्त 1994 को जब नरसिंह राव देश के पीएम थे, उस समय संसद में बिल पास हुआ था. राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने मुहर लगायी थी. 2001 में आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश तत्कालीन भाजपा की सरकार ने की थी. दिल्ली में भी भाजपा की सरकार थी. तब उसको 9वीं सूची में डाला जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

झारखंड के सात जिलों में ओबीसी को शून्य आरक्षण

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के मुताबिक अफसोस की बात है कि झारखंड के सात जिले ऐसे हैं जहां जिला स्तर की नौकरियों में ओबीसी को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. इनमें गुमला, खूंटी, सिमडेगा, लातेहार, लोहरदगा, पश्चिम चाईबासा और दुमका जिला का नाम शामिल है.

इसे भी पढ़ें- कर्नाटक में मुसलमानों के आरक्षण की गूंज पहुंची झारखंड, नेता प्रतिपक्ष ने की आलोचना

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इसे भी पढ़ें- सदन में गूंजा निजी सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा, विधायक जयराम महतो के सवाल से श्रम विभाग की खुली पोल!

रांचीः बजट सत्र के 18वें दिन ध्यानाकर्षण के तहत कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के लंबित मांग का मामला उठाया.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि 11-11-2022 को सरकार ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत, एससी के लिए 12 प्रतिशत और एसटी के लिए 28 प्रतिशत आरक्षण से जुड़ा बिल सदन से पास कराकर राष्ट्रपति के पास भेजा था. इसमें 10 प्रतिशत ईडबल्यूएस को मिलाने पर आरक्षण की कुल सीमा 77 प्रतिशत करने की कवायद हुई थी. अब सवाल है कि क्या राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से मिलकर इस मसले को सुलझाने की कोशिश होगी. क्या इसके लिए कोई प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाना चाहेगा.

विचार के बाद सरकार लेगी कोई फैसला- दीपक बिरुआ

इसके जवाब में प्रभारी मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि कोर्ट के निर्णय की वजह से 2001 में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मामला खारिज हो गया था. लिहाजा, 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अलग से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया. उन्होंने दो टूक कहा कि प्रतिनिधिमंडल भेजने के बात अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इसपर विचार के बाद ही कोई निर्णय होगा.

Congress MLA Pradeep Yadav raised issue of 27 percent OBC reservation during Jharkhand budget session
सदन की कार्यवाही में भाग लेते मंत्री (ETV Bharat)

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि इसपर विचार करने की क्या जरुरत है. सरकार को राज्यहित में घोषणा करना चाहिए कि राज्यहित में एक प्रतिनिधिमंडल जाएगा. दिल्ली जाने के लिए भाड़ा भी नहीं लगना है. जवाब में प्रभारी मंत्री ने दोहराया कि इस पर विचार के बाद ही कोई निर्णय होगा. काउंटर करते हुए प्रदीप यादव ने पूछा कि सरकार का हां या ना में जवाब दे. इसपर मंत्री ने कहा कि विचार के बाद सरकार कोई निर्णय लेती है तो प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जा सकता है.

सिर्फ तमिलनाडु में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण

वर्तमान में सिर्फ तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण है. वहां 10 प्रतिशत ईडब्यूएस को जोड़ने पर कुल आरक्षण की सीमा 79 प्रतिशत हो जाती है. इसके लिए तमिलनाडू ने लंबा संघर्ष किया. 31 अगस्त 1994 को जब नरसिंह राव देश के पीएम थे, उस समय संसद में बिल पास हुआ था. राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने मुहर लगायी थी. 2001 में आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश तत्कालीन भाजपा की सरकार ने की थी. दिल्ली में भी भाजपा की सरकार थी. तब उसको 9वीं सूची में डाला जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

झारखंड के सात जिलों में ओबीसी को शून्य आरक्षण

कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के मुताबिक अफसोस की बात है कि झारखंड के सात जिले ऐसे हैं जहां जिला स्तर की नौकरियों में ओबीसी को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. इनमें गुमला, खूंटी, सिमडेगा, लातेहार, लोहरदगा, पश्चिम चाईबासा और दुमका जिला का नाम शामिल है.

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