रांची: बोकारो में नियमित रोजगार की मांग कर रहे विस्थापित आंदोलनकारियों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज और एक व्यक्ति की मौत के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने केंद्रीय गृह मंत्री और भारी उद्योग मंत्री को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि बोकारो में अपने अधिकार की मांग कर रहे विस्थापितों पर जिस तरह से सीआईएसएफ ने बर्बरता दिखाई है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा शासन में न्याय की उम्मीद और अपने अधिकार की मांग करने का नतीजा मारपीट और मौत के रूप में सामने आता है.
केशव महतो कमलेश ने कहा कि अपने अधिकार की मांग कर रहे स्थानीय निवासियों पर की गई कार्रवाई न केवल निंदनीय है बल्कि अमानवीय भी है. विस्थापित निवासी अपनी मांगों को लेकर लगातार बोकारो स्टील प्रबंधन के समक्ष आंदोलन कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार के मंत्री उनकी मांगों को नजरअंदाज कर आंदोलन को कुचलने का प्रयास करते रहे हैं. झारखंड के निवासी संघर्ष करते हैं और परिणाम अपने पक्ष में लाते हैं, इसलिए केंद्र को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि उसकी बर्बरता के कारण स्थानीय लोग अपने अधिकार की मांग छोड़ देंगे.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विस्थापित आंदोलनकारियों के साथ है और केंद्र सरकार को उनकी सभी जायज मांगों को मानना होगा. कांग्रेस विस्थापितों के संघर्ष में तब तक साथ देगी, जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं और आंदोलनकारी संतुष्ट नहीं हो जाते.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) पर भाजपा की गिद्ध दृष्टि है. एक रोड मैप के तहत मोदी सरकार धीरे-धीरे देश के पीएसयू को अपने मित्रों की कंपनियों के हवाले कर रही है. इसी क्रम में एक योजना के तहत औद्योगिक अराजकता पैदा कर झारखंड के उद्यमों को बंदी के कगार पर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, नियमित रोजगार के अवसर बंद किए जा रहे हैं, छंटनी की प्रक्रिया अपनाने की कोशिश की जा रही है, कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है, हक मांगने पर लोगों पर दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है.
उन्होंने कहा कि बोकारो स्टील का प्रबंधन केंद्र सरकार के हाथ में है, सुरक्षा व्यवस्था गृह मंत्रालय के अधीन सीआईएसएफ के हाथ में है. सीआईएसएफ द्वारा लाठीचार्ज के बाद केंद्र सरकार की सहयोगी आजसू घटना के विरोध में बोकारो बंद में अपनी भूमिका निभा रही है. इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार अपने सहयोगियों के बीच भी अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है और यदि नहीं तो मोदी सरकार जानबूझकर बोकारो की जनता और आंदोलनकारियों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास कर रही है.
उन्होंने कहा कि केंद्र में 11 साल और झारखंड में 17 साल तक भाजपा की सरकार रही. बोकारो के विधायक और सांसद भाजपा के ही थे, लेकिन उन सभी की आंखों पर पट्टी बंधी थी. आज जब कांग्रेस की विधायक श्वेता सिंह विस्थापितों के संघर्ष में शामिल हुईं तो कुटिल नीतियों के रास्ते पर चलने वाली भाजपा सक्रिय हो गई और शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसा के रास्ते पर ले जाने का प्रयास कर रही है, जिसका कांग्रेस विरोध करती है.
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