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पेसा कानून को लेकर कांग्रेस ने चली सियासी चाल, जेएमएम की बढ़ाई चिंता - CONGRESS STATEMENT ON PESA LAW

पेसा कानून को लेकर कांग्रेस इन दिनों आक्रामक है. कांग्रेस के इस रवैये ने जेएमएम की चिंता बढ़ा दी है.

PESA law in Jharkhand
पेसा कानून पर कांग्रेस जेएमएम आमने सामने (Etv bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 9, 2025 at 3:01 PM IST

3 Min Read

रांची: पेसा कानून को लेकर राज्य सरकार उलझन में है. विभाग द्वारा जारी नियमावली पर जहां मंथन का दौर चल रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल जेएमएम-कांग्रेस-राजद के अंदर कानून को लेकर समन्वय का साफ अभाव दिख रहा है.

राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में कांग्रेस: जेएमएम

सरकार की ओर से तैयार नियमावली का कई राजनीतिक, सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं. वहीं सरना धर्मकोड के बाद पेसा कानून को लेकर कांग्रेस इन दिनों आक्रामक है. संगठन कार्यक्रम के जरिए सरकार पर दबाव बनाने में जुटी प्रदेश कांग्रेस की कोशिश ने जाहिर तौर पर जेएमएम की चिंता बढ़ा दी है. इधर कांग्रेस के बदले हुए रुख पर नजर रख रहे जेएमएम ने इसे राजनीतिक लाभ लेने के लिए की जा रही कोशिश करार दिया है.

पेसा कानून पर कांग्रेस और जेएमएम नेताओं का बयान (Etv bharat)

पेसा कानून को लेकर मुख्यमंत्री गंभीर: जेएमएम प्रवक्ता

जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि पेसा कानून जेएमएम का पुराना एजेंडा रहा है, जिसको लेकर मुख्यमंत्री गंभीर हैं और सरकार के अंदर सत्तारूढ़ दलों के बीच ऐसे मुद्दे के लिए ही समन्वय समिति है, जिसमें रखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि पार्टी पेसा कानून की पक्षधर है. इसमें काफी सोच समझकर कदम उठा रही है. हमने मुखरता के साथ इस मुद्दे पर सदन में भी समय समय पर बातों को रखा है.

पेसा को लेकर जिला स्तर पर कार्यक्रम चला रही है कांग्रेस

पेसा कानून को लेकर प्रदेश कांग्रेस इन दिनों जिला स्तर पर कार्यक्रम कर रही है. इसी के तहत 11 जून को रांची में प्रदेश स्तरीय कार्यशाला कांग्रेस ने पेसा को लेकर बुलाया है, जिसमें विभिन्न आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विचार जाने जाएंगे.

इन कार्यक्रमों के जरिए जनजातियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कांग्रेस की कोशिश ने सरकार के सबसे प्रमुख घटक दल जेएमएम की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि पेसा एक ऐसा कानूनी हथियार है जिसके जरिए जनजाति क्षेत्र में हमेशा से राजनीति होती रही है.

पेसा कानून के जरिए आदिवासियों वोट बैंक पर नजर

कांग्रेस का मानना है कि उसके काल में जनजातियों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए पेसा लाया गया था. इस पर सबसे पहले अधिकार किसी का है तो वह कांग्रेस का है.

कांग्रेस प्रवक्ता जगदीश साहू कहते हैं कि पेसा किसी पार्टी का दिया हुआ नहीं, बल्कि कांग्रेस का दिया हुआ कानून है, जिसे झारखंड में लागू करने के लिए हम कृत संकल्पित हैं. इसी के तहत इन दिनों कार्यशाला के जरिए लोगों से राय ली जा रही है, जिससे आदिवासियों को अधिक से अधिक अधिकार संपन्न बनाया जा सके.

झारखंड को छोड़कर देश के 10 राज्यों में है पेसा लागू

पेसा देश के अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में लागू है. पेसा एक्ट पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों यानी जिन इलाकों में आदिवासियों की संख्या ज्यादा है वहां लागू होता है. वर्तमान में देश के दस राज्यों में यह व्यवस्था लागू है. जिसमें झारखंड और ओडिशा को छोड़कर शेष आठ राज्य ने अपनी नियमावली बना ली है.

पंचायती राज मंत्रालय के अनुसार आठ राज्‍यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश ने अपने संबंधित पंचायती राज कानूनों के तहत अपने राज्य पेसा नियमों को अधिसूचित किया है.

ये भी पढ़ें: सरना धर्म कोड को लेकर आजसू का झामुमो और कांग्रेस को नसीहत, कहा- जनता को गुमराह करना करो बंद

झामुमो-कांग्रेस का रघुवर दास पर पलटवार, कहा– पेसा पर आदिवासी समाज को गुमराह कर रही भाजपा

टीएसी की बैठक से पहले सियासत तेज, बीजेपी ने असंवैधानिक बताकर दूर रहने का लिया फैसला

रांची: पेसा कानून को लेकर राज्य सरकार उलझन में है. विभाग द्वारा जारी नियमावली पर जहां मंथन का दौर चल रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल जेएमएम-कांग्रेस-राजद के अंदर कानून को लेकर समन्वय का साफ अभाव दिख रहा है.

राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में कांग्रेस: जेएमएम

सरकार की ओर से तैयार नियमावली का कई राजनीतिक, सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं. वहीं सरना धर्मकोड के बाद पेसा कानून को लेकर कांग्रेस इन दिनों आक्रामक है. संगठन कार्यक्रम के जरिए सरकार पर दबाव बनाने में जुटी प्रदेश कांग्रेस की कोशिश ने जाहिर तौर पर जेएमएम की चिंता बढ़ा दी है. इधर कांग्रेस के बदले हुए रुख पर नजर रख रहे जेएमएम ने इसे राजनीतिक लाभ लेने के लिए की जा रही कोशिश करार दिया है.

पेसा कानून पर कांग्रेस और जेएमएम नेताओं का बयान (Etv bharat)

पेसा कानून को लेकर मुख्यमंत्री गंभीर: जेएमएम प्रवक्ता

जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि पेसा कानून जेएमएम का पुराना एजेंडा रहा है, जिसको लेकर मुख्यमंत्री गंभीर हैं और सरकार के अंदर सत्तारूढ़ दलों के बीच ऐसे मुद्दे के लिए ही समन्वय समिति है, जिसमें रखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि पार्टी पेसा कानून की पक्षधर है. इसमें काफी सोच समझकर कदम उठा रही है. हमने मुखरता के साथ इस मुद्दे पर सदन में भी समय समय पर बातों को रखा है.

पेसा को लेकर जिला स्तर पर कार्यक्रम चला रही है कांग्रेस

पेसा कानून को लेकर प्रदेश कांग्रेस इन दिनों जिला स्तर पर कार्यक्रम कर रही है. इसी के तहत 11 जून को रांची में प्रदेश स्तरीय कार्यशाला कांग्रेस ने पेसा को लेकर बुलाया है, जिसमें विभिन्न आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विचार जाने जाएंगे.

इन कार्यक्रमों के जरिए जनजातियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कांग्रेस की कोशिश ने सरकार के सबसे प्रमुख घटक दल जेएमएम की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि पेसा एक ऐसा कानूनी हथियार है जिसके जरिए जनजाति क्षेत्र में हमेशा से राजनीति होती रही है.

पेसा कानून के जरिए आदिवासियों वोट बैंक पर नजर

कांग्रेस का मानना है कि उसके काल में जनजातियों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए पेसा लाया गया था. इस पर सबसे पहले अधिकार किसी का है तो वह कांग्रेस का है.

कांग्रेस प्रवक्ता जगदीश साहू कहते हैं कि पेसा किसी पार्टी का दिया हुआ नहीं, बल्कि कांग्रेस का दिया हुआ कानून है, जिसे झारखंड में लागू करने के लिए हम कृत संकल्पित हैं. इसी के तहत इन दिनों कार्यशाला के जरिए लोगों से राय ली जा रही है, जिससे आदिवासियों को अधिक से अधिक अधिकार संपन्न बनाया जा सके.

झारखंड को छोड़कर देश के 10 राज्यों में है पेसा लागू

पेसा देश के अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में लागू है. पेसा एक्ट पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों यानी जिन इलाकों में आदिवासियों की संख्या ज्यादा है वहां लागू होता है. वर्तमान में देश के दस राज्यों में यह व्यवस्था लागू है. जिसमें झारखंड और ओडिशा को छोड़कर शेष आठ राज्य ने अपनी नियमावली बना ली है.

पंचायती राज मंत्रालय के अनुसार आठ राज्‍यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश ने अपने संबंधित पंचायती राज कानूनों के तहत अपने राज्य पेसा नियमों को अधिसूचित किया है.

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