जयपुर : वाणिज्यिक न्यायालय, द्वितीय ने राजस्थान स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड और यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड के बीच शराब की खरीद के भुगतान के मामले में 9.11 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश रद्द कर दिया. साथ ही शराब खरीद में भ्रष्टाचार और घोटाले की आशंका जताते हुए सरकार से इसकी सीएजी और सीबीआई से जांच कराने को कहा है.
न्यायालय ने कहा कि वर्ष 2019-20 की लागत के अनुसार 205 फीसदी से 696 फीसदी तक भारी मार्जिन वसूला गया. आरएसबीसीएल, आबकारी विभाग और वित्त विभाग ने इसका पूरा बोझ भी आम जनता पर डाल दिया. शराब की कीमत में कस्टम ड्यूटी, लाइसेंस फीस, वैट, आयात परमिट शुल्क और आरएसबीसीएल का 0.50 फीसदी कमीशन भी उपभोक्ताओं से वसूला गया. न्यायालय ने आश्चर्य जताया कि आधा प्रतिशत का मुनाफा भी आपूर्तिकर्ताओं के बजाय उपभोक्ताओं से वसूला गया. अदालत ने कहा कि मनमाने ढंग से मूल कीमत बढ़ाई गई. हालांकि, अदालत ने कहा कि उसकी तकनीकी विशेषज्ञता की सीमा है और मामले की जांच की आवश्यकता जताते हुए मामला मुख्य सचिव को भेज दिया. कोर्ट ने कहा कि सीएजी से विशेष ऑडिट कराई जाए और आवश्यकता होने पर सीबीआई या एंटी करप्शन ब्यूरो में एफआईआर दर्ज करवा कर जांच करवाई जाए.
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40 लाख रुपए जुर्माना, मुख्य सचिव से 31 मई तक रिपोर्ट तलब : कोर्ट ने राजस्थान स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की याचिका स्वीकार कर 6 नवंबर 2023 को पारित पंचाट निर्णय को रद्द कर दिया है. न्यायालय ने यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड पर 40 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया है. वित्त वर्ष 2019-20 में सीमा शुल्क में अधिक भुगतान के नाम पर आपूर्तिकर्ताओं से वसूले गए 13.61 करोड़ रुपए से अधिक राशि और 20 लाख रुपए जुर्माना राज्य के समेकित कोष में जमा करने को कहा. इसके अलावा 20 लाख रुपए रजिस्ट्रार जनरल के जरिए हाईकोर्ट के पक्षकार कल्याण कोष में जमा कराए जाएंगे. अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश की प्रति भेजकर उनसे 31 मई 2025 तक कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है. इस मामले में आरएसबीसीएल ने आरोप लगाया कि यूनाइटेड स्पिरिट्स ने सीमा शुल्क में कमी की जानकारी छुपाई और 13.61 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ उठाया. मध्यस्थ के पंचाट ने कंपनी को 9.11 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया था, जिसे न्यायालय ने अब पूर्णत: रद्द कर दिया.