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सरगुजा में पोस्टमार्टम के बदले कथित रिश्वत मांगने का मामला, डॉक्टर पर गिरी गाज - COLLECTOR VILAS BHOSKAR

सरगुजा स्वास्थ्य विभाग ने कड़ा एक्शन लिया है. पोस्टमार्टम के लिए कथित रिश्वत मांगने वाले डॉक्टर को हटाया गया है.

Surguja Collector Office
सरगुजा कलेक्टर ऑफिस (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 20, 2025 at 11:50 PM IST

3 Min Read

सरगुजा: वनांचल क्षेत्र सरगुजा के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के बदले रिश्वत की मांग करने वाले डॉक्टर पर एक्शन हुआ है. सरकारी अस्पताल में दो बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टर ने रिश्वत मांगी थी. यह डॉक्टर रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में तैनात है. डॉक्टर को पद से हटा दिया गया है.

दो बच्चों की डूबने से हुई थी मौत: इस कार्रवाई को लेकर सरगुजा जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि गांव के तालाब में डूबे दो बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए कथित तौर पर रिश्वत मांगने के आरोप में डॉक्टर को हटा दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस घटना के संबंध में लापरवाही बरतने के आरोप में क्षेत्र में तैनात स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया है.

क्या है पूरी घटना समझिए ?: रविवार 18 मई को सरगुजा जिले के लुंड्रा विकास खंड के सिलसिला ढोढा गांव की यह घटना है. यहां झरिया गांव में मछली पालन के लिए बने एक छोटे से तालाब में दो पांच वर्षीय चचेरे भाई सूरज गिरी और जुगनू गिरी डूब गए. मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में तैनात एक डॉक्टर ने दो पोस्टमार्टम जांच के लिए 10-10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. स्थानीय ग्रामीणों द्वारा प्रशासन पर दबाव डालने के बाद सोमवार को पोस्टमार्टम कराया गया.

कलेक्टर ने दिए थे जांच के आदेश: इस घटना का खुलासा होने के बाद सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर ने रिश्वत के आरोपों की तुरंत जांच के आदेश दिए. जांच के आधार पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया गया और रघुनाथपुर पीएचसी में संविदा चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमन जायसवाल को उनके पद से हटा दिया गया. शुरुआती जांच में पता चला है कि डॉ. राघवेंद्र चौबे ने अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरती.

दूसरे डॉक्टर को भी पाया गया दोषी: सरगुजा जिला प्रशासन का कहना है कि डॉ. अमन जायसवाल लापरवाही के दोषी पाए गए हैं. उनका आचरण भी सेवा नियमों के विरुद्ध था. इसलिए उन्हें उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया और रायपुर में स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक को तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है.

कलेक्टर ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात: कलेक्टर ने कार्रवाई के बाद रघुनाथपुर पीएचसी का दौरा किया. उसके बाद पीड़ित परिवार से मुलाकात की है. वे दोनों बच्चों के परिवार के घर गए. उन्होंने आपदा प्रबंधन नियम के तहत मृत बच्चों के परिजनों 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराने की घोषणा दी है.

सोर्स: पीटीआई

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दो बच्चों की डूबने से हुई थी मौत: इस कार्रवाई को लेकर सरगुजा जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि गांव के तालाब में डूबे दो बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए कथित तौर पर रिश्वत मांगने के आरोप में डॉक्टर को हटा दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस घटना के संबंध में लापरवाही बरतने के आरोप में क्षेत्र में तैनात स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया है.

क्या है पूरी घटना समझिए ?: रविवार 18 मई को सरगुजा जिले के लुंड्रा विकास खंड के सिलसिला ढोढा गांव की यह घटना है. यहां झरिया गांव में मछली पालन के लिए बने एक छोटे से तालाब में दो पांच वर्षीय चचेरे भाई सूरज गिरी और जुगनू गिरी डूब गए. मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में तैनात एक डॉक्टर ने दो पोस्टमार्टम जांच के लिए 10-10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. स्थानीय ग्रामीणों द्वारा प्रशासन पर दबाव डालने के बाद सोमवार को पोस्टमार्टम कराया गया.

कलेक्टर ने दिए थे जांच के आदेश: इस घटना का खुलासा होने के बाद सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर ने रिश्वत के आरोपों की तुरंत जांच के आदेश दिए. जांच के आधार पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया गया और रघुनाथपुर पीएचसी में संविदा चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमन जायसवाल को उनके पद से हटा दिया गया. शुरुआती जांच में पता चला है कि डॉ. राघवेंद्र चौबे ने अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरती.

दूसरे डॉक्टर को भी पाया गया दोषी: सरगुजा जिला प्रशासन का कहना है कि डॉ. अमन जायसवाल लापरवाही के दोषी पाए गए हैं. उनका आचरण भी सेवा नियमों के विरुद्ध था. इसलिए उन्हें उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया और रायपुर में स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक को तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है.

कलेक्टर ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात: कलेक्टर ने कार्रवाई के बाद रघुनाथपुर पीएचसी का दौरा किया. उसके बाद पीड़ित परिवार से मुलाकात की है. वे दोनों बच्चों के परिवार के घर गए. उन्होंने आपदा प्रबंधन नियम के तहत मृत बच्चों के परिजनों 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराने की घोषणा दी है.

सोर्स: पीटीआई

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