शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह बाली के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि एक साल के भीतर आईजीएमसी और टांडा मेडिकल कॉलेज को विकसित किया जाएगा. टांडा मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट के पदों को सृजित किया जाएगा. सभी मेडिकल कॉलेज में पुरानी लिफ्टों को स्तरोन्नत किया जाएगा. ये प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय टांडा में वार्षिक मरम्मत व नियमित रखरखाव के लिए धनराशी का प्रावधान है. प्रदेश सरकार भवनों की मरम्मत व नियमित रखरखाव के लिए सभी राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालयों को मांग के अनुसार धनराशी उपलब्ध करवाती है. बीते 20 साल में एसआरशिप को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया गया. इन पदों का सरकार सृजन करेगी".
सदन में आरएस बाली ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय टांडा में रेडियोथेरेपी, एंडोक्रिनोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, ब्लड बैंक व नेफ्रोलॉजी में रेजिडेंट डॉक्टरों के पद सृजित करने का मामला उठाया. उन्होंने सरकार से टांडा मेडिकल कॉलेज में वार्षिक मरम्मत व नियमित रखरखाव के लिए धनराशि का प्रावधान करने की भी बात रखी.
'पूर्व सरकार ने बिना सोचे बना दिया मेडिकल कॉलेज'
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी के मेडिकल कॉलेज नाहन से संबंधित प्रश्न के जवाब में कहा कि कॉलेज भवन का निर्माण कार्य कंपनी ने बंद कर दिया है. पिछली सरकार ने बिना सोचे-समझे ऐसी जगह मेडिकल कॉलेज खोल दिया, जहां इसका विस्तार करना संभव नहीं है और इस पर 100 करोड़ रुपये भी खर्च किए हैं. कंपनी की ओर से 370 करोड़ रुपये मांगे जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज का विस्तार करने के लिए करीब 118 बीघा जमीन की फाइल सरकार के पास आई हैं, इसके लिए सभी विधायक मिलकर ऐसी जगह पर ही मेडिकल कॉलेज बनाएं, जहां बाद में विस्तार की संभावना हो सके.
वहीं, भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने अनुपूरक प्रश्न में इस भवन को समय पर बनाकर दिए जाने का मामला उठाया. जिस पर सीएम सुक्खू ने कहा कि इसमें 100 करोड़ रुपये का बजट खर्च हो चुका है. इस भवन को अब पूरा करना ही पड़ेगा.
प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक प्रकाश राणा के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि का पैसा रोकने के ट्रेजरी को कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं. कोई भी उपायुक्त अपने पास पैसा नहीं रोकता. बीडीओ से चर्चा कर अपने-अपने प्रस्ताव के बारे में विधायकों को पता लगाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने विधायकों को एक लाख रुपये की और ऐच्छिक निधि 29 मार्च तक खर्च करने की मोहल्लत देने का भी सदन में एलान किया.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी अनुपूरक प्रश्न किया कि उन्होंने ऐच्छिक निधि जारी करने की मांग को लेकर दो चिट्ठियां भेजी थीं. जब साल बीत गया तो बताया गया कि बजट नहीं आया. मुख्य सचिव से भी बात की गई, लेकिन पैसा नहीं मिला. अधिकारियों ने कहा कि यह पैसा लैप्स हो गया है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 4.71 लाख रुपये की मेरी ऐच्छिक निधि लैप्स हो गई, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रेजरी में पैसा नहीं रुका है. अगर पैसा स्वीकृत नहीं किया जाता है तो ही लैप्स होता है. कई बार सेंक्शन लेट होती है. बीडीओ कार्यालय से पता करें कि क्यों पैसा खर्च नहीं हुआ है. वहीं अगर पंचायत प्रधान भी एक महीने तक पैसे को खर्च नहीं करता है तो BDO उसका टेंडर लगाएगा. इस बारे में भी निर्देश जारी किए गए हैं.
किसानों को कृषि उपकरण खरीदने पर मिल रहा अनुदान
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने डॉ जनकराज के सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश के किसानों को कृषि उपकरण खरीद पर अनुदान राशि प्रदान की जा रही है। प्रदेश में तीन योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है. जिसके अन्तर्गत राज्य के कृषि समुदाय को कृषि मशीनरी और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विभाग की तरफ से बजट की उपलब्धता के अनुसार ही पात्र किसानों को स्वीकृति प्रदान की जाती है। प्रदेश में स्वीकृति प्राप्त किसानों की अनुदान राशि लंबित नहीं है। भाजपा विधायक डॉ जनकराज ने सवाल पूछा था कि क्या प्रदेश के किसानों को कृषि उपकरणों की खरीद पर अनुदान राशि प्रदान की जाती है?
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