भोपाल : राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (आईआईए) के राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ किया. कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में शुक्रवार को हुए इस आयोजन में उन्होंने उपस्थित देशभर के आर्किटेक्ट्स के साथ अपने विचार साझा किए.सीएम ने कहा कि यह अधिवेशन, परंपरा और प्रगति के बीच सामंजस्य बिठाक हमारी समृद्ध विरासत को आधुनिकता के साथ जोड़ने का महत्वपूर्ण मंच है.

सीएम मोहन यादव ने कहा कि यह अधिवेशन युवा पीढ़ी को न केवल नई दिशा प्रदान करेगा, बल्कि प्रदेश की विकास यात्रा में वास्तुशिल्प के योगदान को भी नया आयाम देगा.
आज कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (IIA) के 'राष्ट्रीय अधिवेशन-TRANSOM' का शुभारंभ कर उपस्थित आर्किटेक्ट्स के साथ विचार साझा किये। यह अधिवेशन, परंपरा और प्रगति के बीच सामंजस्य बैठाते हुए हमारी समृद्ध विरासत को आधुनिकता के साथ जोड़ने का एक… pic.twitter.com/lVuEkFQlnS
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 11, 2025
मध्यप्रदेश सबसे शांति वाला प्रदेश
सीएम ने कहा, '' मध्य प्रदेश बहुत संभावनाओं वाला प्रदेश है. आप देश दुनिया में घूमोगे तो ऐसा प्रदेश नहीं मिलेगा. देश का ऐसा कोई राज्य नहीं जो देश के मध्य में हो. राजस्थान के बाद भौगोलिक रुप से भी मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. मध्य प्रदेश एकमात्र ऐसा प्रदेश भी है, जहां कोई तूफान नहीं आता, अति बारिश नहीं होती और न ही कोई समुद्र से घिरा हुआ है. यहां सीमावर्ती राज्यों की तरह उठा पटक वाली दूसरी झंझटें भी नहीं हैं.''

सीएम ने आगे कहा, '' यहां सीधे सरल लोग हैं, इसलिए मध्य प्रदेश की कोई विशेष भाषा नहीं है, कोई अलग पहचान नहीं है. यदि सबको प्रेम करने वाला कोई प्रदेश है, तो मध्य प्रदेश है. जो जहां से भी आए, एक बार मध्य प्रदेश आए तो यहीं का होकर रह जाता है.''
LIVE: कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में IIA राष्ट्रीय अधिवेशन 2025 'TRANSOM' का शुभारंभ https://t.co/cYEfDHwuAv
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आर्किटेक्ट्स करेंगे महाकाल के दर्शन
आईआईए में शामिल होने देश-विदेश से आए वास्तुकार महाकाल के दर्शन करना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने सीएम से निवेदन किया था. सीएम ने भी आश्वस्त किया है कि उनके महाकाल दर्शन के साथ आसपास के अन्य दर्शनीय स्थलों को घुमाने का प्रबंध सरकार करेगी. वहीं सीएम ने कहा, '' जब आप लोग भस्म आरती में जाएंगे तो आप देखेंगे. लेकिन मैं आपको जीवन का प्रारूप बता रहा हूं. हमारा सबका जन्म कब हुआ, हम लोग साल और महीने से गिनते हैं. लेकिन यह अधूरा है. हम सबका जीवन एक सांस में बंधा हुआ है. यदि एक सांस हमारी अंदर से बाहर न आए तो समझ लीजिए क्या होगा. इसलिए हमारे लिए महाकाल ने स्वयं नियत कर लिया है.''
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