शिमला: हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत मामले को लेकर गुरुवार को विधानसभा में भारी हंगामा हुआ. विपक्षी दल भाजपा ने सदन में इस घटना की सीबीआई जांच किए जाने की मांग रखी, लेकिन मांग न माने जाने पर भाजपा विधायकों ने सीट पर खड़े होकर नारेबाजी की और सदन से वॉकआउट किया. भाजपा के सदन से वॉकआउट करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष को बातें बिगाड़ने की आदत है. इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पिछले दिन सदन में स्टेटमेंट देने के बाद कार्रवाई की गई है. भाजपा सरकार के समय सुंदरनगर में शराब पीने से 7 लोग मर गए थे, जिस पर FIR नहीं की गई. वहीं पूर्व सरकार के समय में पुलिस भर्ती मामले में पर पेपर लीक हुआ. इस मामले पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "हम चीफ इंजीनियर के मौत मामले को लेकर कानून के हिसाब से कार्रवाई करेंगे. जगत सिंह नेगी ने भी संवेदनशीलता से मामला उठाया. विमल नेगी के परिजन मुझसे मिलने आए थे. जिसको लेकर डीजीपी को आदेश दिए गए थे. इस मामले को लेकर ACS के नेतृत्व में जांच बिठाई गई है. वहीं परिवार की मांग पर पहले ही अधिकारियों की ट्रांसफर कर दी गई है. उसके बाद परिवार की मांग पर ही अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. ACS की जांच रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी".
सीएम सुक्खू ने कहा कि यदि किसी भी अधिकारी द्वारा किसी भी कर्मचारी को प्रताड़ित किया जाता है तो उसकी जांच करना किसी भी सरकार का दायित्व बनता है. हमने जांच के आर्डर कर दिए हैं. मैं विपक्ष के नेताओं को यह भी कहना चाहता हूं कि अपने कार्यकाल के समय को देखें, लेकिन हम उन बातों पर नहीं जाना चाहते हैं. जब मेरी उस परिवार के सदस्यों व उनकी धर्मपत्नी से बात हुई तो उन्होंने जो कहा, वह मैं आपको बताना चाहता हूं.
सीएम सुक्खू ने बताया कि विमल नेगी की पत्नी ने कहा कि आपने जो एक्शन लिया है, हम उससे संतुष्ट है, हम वापिस जा रहे हैं. उनकी धर्मपत्नी जी ने कहा कि मैं आपसे मिलने आऊंगी. मैंने उन्हें कहा आप क्यों मिलने आएंगे, मैं स्वयं आपके पास आऊंगा. यह होती है, सरकार की संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण. यह सब बात मेरी उनसे हो चुकी है. वह परिवार और उनके रिश्तेदार संतुष्ट हैं, लेकिन सिर्फ भारतीय जनता पार्टी संतुष्ट नहीं है. अब यह देखने वाली बात है कि भारतीय जनता पार्टी जनता के हित उठाने की बजाय वहां सड़क पर बैठ कर नारे लगा रहे हैं.
किन्नौर से भाजपा के पूर्व विधायक भी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे हैं. वह अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं. उस परिवार के प्रति जिसके घर से किसी को नुकसान हुआ है, एक पत्नी ने अपने पति को खोया, एक भाई ने अपने भाई को खोया उसके प्रति इनकी संवेदनशीलता नहीं है. वह शव जो 7 दिनों से पानी में पड़ा हुआ था, जिसके कारण उससे बदबू आ रही थी, लेकिन इनकी उसके प्रति संवेदनशीलता नहीं है और ये राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए की जांच की मांग कर रहे हैं. आप पांच वर्ष तक सत्ता में रहे, आपने पुलिस घोटाले की सीबीआई से जांच करवाई थी, वह अभी तक क्यों नहीं हुई? मैं सदन को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम निष्पक्ष जांच करेंगे और जो दोषी होगें, उन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
नियम 67 के तहत दिया था स्थगन प्रस्ताव का नोटिस
वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे पर नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने नामंजूर कर दिया. प्रश्नकाल शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विमल नेगी की मौत का मामला उठाया. जयराम ने कहा, "विमल नेगी के परिवार से मिलना हुआ. हम सब संवेदना प्रकट करने वहां गए थे. इस दौरान परिवार का आग्रह था कि मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. उस समय तक अधिकारियों की ट्रांसफर करने का आदेश प्राप्त नहीं हुआ था, लेकिन बाद में निदेशक देशराज का सस्पेंशन किया गया है, लेकिन बाकी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है. मुझे जानकारी निदेशक देशराज के सस्पेंड होने की है".
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार को इस पूरे घटनाक्रम को गंभीर लेना चाहिए. इस पूरे मामले में कई गंभीर सवाल खड़े हुए है और पावर कारपोरेशन की कार्यप्रणाली पहले दिन से ही विवादों के घेरे में है. चीफ इंजीनियर को पावर कारपोरेशन में मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता था. उन्होंने यह भी पूछा कि देशराज को पांच लोगों को सुपरसीड कर क्यों निदेशक बनाया गया था. उन्होंने कहा कि मामले की जांच सीबीआई से होगी तो परिजन भी संतुष्ट होंगे और सारे तथ्य भी सामने आयेंगे. जिस पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान सीट पर खड़े हुए, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कार्रवाई की है. इस मामले पर बजट स्पीच में भी चर्चा हो सकती है. कल भी नेता प्रतिपक्ष ने मामला उठाया है.
मामले को दिया जा रहा राजनीतिक रंग
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि बहुत ही दुखद स्थिति है. एक उच्च अधिकारी की मानसिक तनाव से मृत्यु हुई है. दूसरी तरफ इस मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. जिस दिन चीफ इंजीनियर के लापता होने का मामला ध्यान में आया, मेरा उनके बड़े भाई से भी संपर्क हुआ. पूरा प्रशासन उनकी तलाश में लगा था. HPPCL की टीम भी जगह-जगह पर तलाश करने को भेजा गया था. इस मामले में हमारी तरफ से कोई कमी नहीं रही है.
उन्होंने कहा कि अगर ऑफिस में कोई प्रताड़ना हुई है, उसकी जांच का जिम्मा ACS को दिया गया है, जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देंगे. इस मामले में FIR भी दर्ज हो गई है. जिसमें दो नाम FIR में दिए गए हैं. अब मामले में अगली कार्रवाई हो रही है. बीते दिन नेता प्रतिपक्ष ने CBI से जांच की मांग नहीं की, पावर कारपोरेशन के निदेशक देशराज को सस्पेंड कर दिया गया है. ऐसे में अब सारा मामला शांत हो गया है. परिजन भी सब चीजों से संतुष्ट है, लेकिन बीजेपी संतुष्ट नहीं है. जिस पर सदन में काफी हंगामा हुआ.
IAS अधिकारी करेगा, IAS अधिकारी के खिलाफ जांच
भाजपा के ही रणधीर शर्मा ने मामला उठते हुए कहा कि दुखद घटना में सरकार की कार्रवाई की जानकारी मंत्री ने दी है. इस मामले में एफआईआर जरूर दर्ज की है, लेकिन इसमें सिर्फ पावर कारपोरेशन के निदेशक देशराज का ही नाम है, जबकि दूसरे की एफआईआर पद के नाम पर है. जब एफआईआर हुई तब वह MD नहीं था. दूसरे अधिकारी का नाम भी एफआईआर में आना चाहिए था. इसलिए एफआईआर नाम से दर्ज होनी चाहिए. अन्यथा यह माना जाएगा कि सरकार के चार मंत्रियों ने आधी रात को मृतक के परिजनों को गुमराह किया.
उन्होंने कहा कि इस मामले में IAS अधिकारी का नाम आ रहा है और इस मामले की जांच भी एक IAS अधिकारी करेगा. ऐसे इस मामले में निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं रहती है. जब से सरकार सत्ता में आई है, HPPCL विवादों में रहा है. ऐसे में HPPCL की गतिविधियों की भी सीबीआई से जांच होनी चाहिए.
जिस पर मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि रणधीर शर्मा का वक्तव्य राजनीति से प्रेरित है. चार मंत्री जगत सिंह नेगी, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह और राजेश धर्माणी ने कोई दबाव नहीं डाला. मैं इसका खंडन करता हूं, दबाव डालने का काम आपने किया है. जिस पर भाजपा ने सदन में हंगामा किया. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा से निवेदन है कि इस मामले को राजनीतिक रंग ना दे. अगर विमल नेगी से किसी ने गलत किया है तो उसे दंड मिलना चाहिए. ऐसे में सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया और फिर पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया.
विधानसभा अध्यक्ष ने लिया संज्ञान
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, "विमल नेगी की मौत बेहद संवेदनशीनल मुद्दा है. दुख की इस घड़ी में सत्ता पक्ष, विपक्ष और विधानसभा पीड़ित परिवार के साथ है.विधानसभा ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और वह स्वयं इस मामले को देखेंगे.
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था देते हुए कहा कि उन्हें विमल नेगी की मौत के मामले में भाजपा के जयराम ठाकुर, डाॅ. जनकराज, रणधीर शर्मा, विपिन सिंह परमार और अन्य की और से नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव आज ही प्राप्त हुआ है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने चूंकि इस मामले में पहले ही अपेक्षित कार्रवाई कर दी है, ऐसे में इस मामले को नियम-67 के तहत उठाने का अब कोई औचित्य नहीं है.
वहीं, सदन के बाहर कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया से बातचीत में विपक्ष पर निशाना साधा. विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "विपक्ष इस मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहा हैं. इस मामले को सीबीआई को सौंपना उचित नहीं है. क्योंकि हिमाचल पुलिस मामले को सुलझाने में सक्षम है. विमल नेगी के परिजनों को विश्वास दिलाया गया है कि प्रदेश पुलिस द्वारा मामले की गहनता से जांच की जाएगी. जांच के लिए पुलिस अधिकारियों की एसआईटी गठित की जाएगी और दोषियों को सजा जरूर मिलेगी".
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