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सिविल सर्विसेज 2024: 8वीं कक्षा में आंखों की रोशनी गंवाई, हौसला नहीं...जयपुर के मनु गर्ग की ऑल इंडिया में 91वीं रैंक - VISUALLY IMPAIRED MANU SELECTED IAS

आईएएस में चयनित जयपुर के मनु की कहानी ऐसे लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है, जो जरा सी परेशानी में हार मान बैठते हैं.

manu garg
मनु गर्ग (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 22, 2025 at 9:45 PM IST

4 Min Read

जयपुर : बचपन से क्लास टॉपर रहने वाले मनु गर्ग ने आठवीं कक्षा में आंखों की रोशनी गंवा दी, लेकिन हौसला नहीं खोया. यही वजह है कि पग-पग पर चुनौतियां मिलने के बावजूद आज उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में टॉप 100 में जगह बनाई. मनु ने देशभर में 91वीं रैंक हासिल की है. इस कामयाबी के जरिए मनु ने ऐसे लोगों को संदेश दिया, जो जरा सी परेशानी में हार मान बैठते हैं या गलत कदम उठा लेते हैं. प्रतिभा किसी सहारे का मोहताज नहीं, यह सिद्ध किया जयपुर के मनु ने, जिन्होंने नेत्र बाधित होने के बावजूद मिसाल कायम की. उनके घर पर फिलहाल जश्न का माहौल है. इस जश्न के बीच ईटीवी भारत की टीम ने मनु गर्ग और उनके परिजनों से खास बातचीत की. मनु ने अपनी जर्नी शेयर की. उन्होंने बताया कि यूपीएससी की उनकी जर्नी 2 साल की रही, लेकिन तैयारी करीब 4 साल पहले शुरू कर दी थी. यूपीएससी में उन्होंने दूसरे प्रयास में बाजी मारी. पहले अटेम्प्ट में मेंस क्वालीफाई नहीं हो पाया था.

ब्रेल नहीं, तकनीक की मदद से की पढ़ाई: मनु ने बताया कि जब वो आठवीं में था, तब धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम होती गई. देखने में परेशानी आने लगी. एक गंभीर बीमारी के चलते आंखों की पूरी रोशनी गंवा बैठे, लेकिन फैमिली सपोर्ट के दम पर हार नहीं मानी. इसे चुनौती के रूप में लिया व पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने स्कूली शिक्षा सामान्य स्कूल से की. आज तक भी ब्रेल लिपि नहीं आती. वे टेक्नो फ्रेंडली हैं, ऐसे में तकनीक का सहारा लेकर आम छात्र की तरह ही पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने टॉकबैक नामक मोबाइल फीचर का इस्तेमाल किया. इससे किसी भी टेक्स्ट फाइल को आसानी से पढ़ने में मदद मिली. उन्होंने बताया कि जब शुरू में तकनीक के बारे में नहीं पता था तब माताजी ने एनसीईआरटी के नोट्स और किताबें पढ़कर सुनाई थी.

मनु गर्ग ने बताया कितना मुश्किल रहा यूपीएससी तक का सफर (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें:24 साल की उम्र में बने आईएएस, मिली 20वीं रैंक, कहा-खुद पर विश्वास रख करें तैयारी -

चाहत-ऐसे अफसर के रूप में पहचान बने: उन्होंने बताया कि लोग उन्हें ऐसे सिविल सर्वेंट के रूप में जाने, जिसने डिसेबिलिटी सेक्टर, हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में कुछ काम किया हो. और वो इन्हीं सेक्टर में योगदान देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वैसे एक सिविल सर्वेंट की जिम्मेदारी हर सेक्टर में योगदान की होती है, लेकिन यदि मौका मिला तो वो प्राथमिकता पर इन तीन सेक्टर में कुछ विशेष प्रयास करेंगे. साथ ही बताया कि यदि कोई भी बच्चा सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हुए किसी तरह की गाइडेंस उनसे चाहता है तो वो उसे गाइड करने को तैयार हैं. उन्होंने परीक्षाओं में असफल होकर गलत कदम उठाने वाले छात्रों को संदेश दिया कि किसी भी टारगेट को जिंदगी ना मानें. यूपीएससी भी जिंदगी नहीं है. ये लाइफ का हिस्सा भर है. इसे इसी तरह देखना चाहिए. ये सिर्फ प्रक्रिया है, लेकिन लाइफ का अंतिम मोड़ नहीं. अगर प्रयास करते रहेंगे तो कभी ना कभी लक्ष्य जरूर मिलेगा.

Family members feeding sweets to Manu garg
मनु का मुंह मीठा कराते परिजन (ETV Bharat Jaipur)

परिवार के लिए गर्व के क्षण: मनु गर्ग के नाना ताराचंद जैन ने बताया कि बचपन में बेटी के ससुराल में हुई खींचतान में जो ठेस लगी थी, उस पर आज जाकर मरहम लगा है। तब उन्होंने तय कर लिया था कि वो अपने नाती को कलेक्टर ही बनाएंगे. हालांकि काफी उतार चढ़ाव आए. जब आठवीं में मनु की आंखों की रोशनी चली गई तो धक्का भी लगा, लेकिन हार नहीं मानी. मनु ने लगातार हर क्लास में टॉप किया. 12वीं एग्जाम के दौरान स्कूल प्रिंसिपल तक ने मनु के प्रतिभा सराही थी और सम्मानित किया था. मनु की माता वंदना जैन ने बताया कि ये प्राउड मोमेंट है. आज पूरा परिवार खुश है. आज उनका मनु आईएएस बन गया. आगे वो इस पद पर रहते अपनी काबिलियत सिद्ध करेगा.

Manu Garg with family after the results
रिजल्ट के बाद परिवार के साथ मनु गर्ग (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : बचपन से क्लास टॉपर रहने वाले मनु गर्ग ने आठवीं कक्षा में आंखों की रोशनी गंवा दी, लेकिन हौसला नहीं खोया. यही वजह है कि पग-पग पर चुनौतियां मिलने के बावजूद आज उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में टॉप 100 में जगह बनाई. मनु ने देशभर में 91वीं रैंक हासिल की है. इस कामयाबी के जरिए मनु ने ऐसे लोगों को संदेश दिया, जो जरा सी परेशानी में हार मान बैठते हैं या गलत कदम उठा लेते हैं. प्रतिभा किसी सहारे का मोहताज नहीं, यह सिद्ध किया जयपुर के मनु ने, जिन्होंने नेत्र बाधित होने के बावजूद मिसाल कायम की. उनके घर पर फिलहाल जश्न का माहौल है. इस जश्न के बीच ईटीवी भारत की टीम ने मनु गर्ग और उनके परिजनों से खास बातचीत की. मनु ने अपनी जर्नी शेयर की. उन्होंने बताया कि यूपीएससी की उनकी जर्नी 2 साल की रही, लेकिन तैयारी करीब 4 साल पहले शुरू कर दी थी. यूपीएससी में उन्होंने दूसरे प्रयास में बाजी मारी. पहले अटेम्प्ट में मेंस क्वालीफाई नहीं हो पाया था.

ब्रेल नहीं, तकनीक की मदद से की पढ़ाई: मनु ने बताया कि जब वो आठवीं में था, तब धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम होती गई. देखने में परेशानी आने लगी. एक गंभीर बीमारी के चलते आंखों की पूरी रोशनी गंवा बैठे, लेकिन फैमिली सपोर्ट के दम पर हार नहीं मानी. इसे चुनौती के रूप में लिया व पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने स्कूली शिक्षा सामान्य स्कूल से की. आज तक भी ब्रेल लिपि नहीं आती. वे टेक्नो फ्रेंडली हैं, ऐसे में तकनीक का सहारा लेकर आम छात्र की तरह ही पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने टॉकबैक नामक मोबाइल फीचर का इस्तेमाल किया. इससे किसी भी टेक्स्ट फाइल को आसानी से पढ़ने में मदद मिली. उन्होंने बताया कि जब शुरू में तकनीक के बारे में नहीं पता था तब माताजी ने एनसीईआरटी के नोट्स और किताबें पढ़कर सुनाई थी.

मनु गर्ग ने बताया कितना मुश्किल रहा यूपीएससी तक का सफर (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें:24 साल की उम्र में बने आईएएस, मिली 20वीं रैंक, कहा-खुद पर विश्वास रख करें तैयारी -

चाहत-ऐसे अफसर के रूप में पहचान बने: उन्होंने बताया कि लोग उन्हें ऐसे सिविल सर्वेंट के रूप में जाने, जिसने डिसेबिलिटी सेक्टर, हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में कुछ काम किया हो. और वो इन्हीं सेक्टर में योगदान देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वैसे एक सिविल सर्वेंट की जिम्मेदारी हर सेक्टर में योगदान की होती है, लेकिन यदि मौका मिला तो वो प्राथमिकता पर इन तीन सेक्टर में कुछ विशेष प्रयास करेंगे. साथ ही बताया कि यदि कोई भी बच्चा सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हुए किसी तरह की गाइडेंस उनसे चाहता है तो वो उसे गाइड करने को तैयार हैं. उन्होंने परीक्षाओं में असफल होकर गलत कदम उठाने वाले छात्रों को संदेश दिया कि किसी भी टारगेट को जिंदगी ना मानें. यूपीएससी भी जिंदगी नहीं है. ये लाइफ का हिस्सा भर है. इसे इसी तरह देखना चाहिए. ये सिर्फ प्रक्रिया है, लेकिन लाइफ का अंतिम मोड़ नहीं. अगर प्रयास करते रहेंगे तो कभी ना कभी लक्ष्य जरूर मिलेगा.

Family members feeding sweets to Manu garg
मनु का मुंह मीठा कराते परिजन (ETV Bharat Jaipur)

परिवार के लिए गर्व के क्षण: मनु गर्ग के नाना ताराचंद जैन ने बताया कि बचपन में बेटी के ससुराल में हुई खींचतान में जो ठेस लगी थी, उस पर आज जाकर मरहम लगा है। तब उन्होंने तय कर लिया था कि वो अपने नाती को कलेक्टर ही बनाएंगे. हालांकि काफी उतार चढ़ाव आए. जब आठवीं में मनु की आंखों की रोशनी चली गई तो धक्का भी लगा, लेकिन हार नहीं मानी. मनु ने लगातार हर क्लास में टॉप किया. 12वीं एग्जाम के दौरान स्कूल प्रिंसिपल तक ने मनु के प्रतिभा सराही थी और सम्मानित किया था. मनु की माता वंदना जैन ने बताया कि ये प्राउड मोमेंट है. आज पूरा परिवार खुश है. आज उनका मनु आईएएस बन गया. आगे वो इस पद पर रहते अपनी काबिलियत सिद्ध करेगा.

Manu Garg with family after the results
रिजल्ट के बाद परिवार के साथ मनु गर्ग (ETV Bharat Jaipur)
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