रायपुर : रायपुर कलचुरी कालीन राजाओं की राजधानी हुआ करती थी. प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित कुछ जिलों में प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं जो 14वीं शताब्दी के मध्य से लेकर 18 वीं शताब्दी के मध्य निर्मित हुए थे. प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण कलचुरीकाल में कलचुरी राजाओं ने कराया था. रायपुर के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में सिद्धपीठ मां महामाया मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, कंकाली मंदिर, हटकेश्वरनाथ धाम, बंजारी मंदिर और हनुमान मंदिर प्रमुख हैं. वैसे भी रायपुर मंदिर और तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता है, लेकिन वर्तमान परिवेश में तालाब का अस्तित्व खतरे में आ गया है. रही बात मंदिरों की तो प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर विकसित होते चले गए.
600 साल पुराने हैं मंदिर : इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि रायपुर चारों ओर से तालाबों से घिरा हुआ था. रायपुर को मंदिरों के नगर के रूप में देखते हैं. कलचुरी राजाओं के शासनकाल में पिछले 600 साल पहले मंदिरों का निर्माण हुआ है, जिसमें राजधानी रायपुर का मां महामाया मंदिर, मां महामाया कल्चुरी राजाओं की आराध्य और कुलदेवी थी. वर्तमान में लोग इसे सिद्ध पीठ मां महामाया के नाम से जानते हैं. मंदिर के ठीक पीछे कलचूरी राजाओं का किला हुआ करता था. महामाया मंदिर में मां महामाया के साथ ही माता समलेश्वरी का भी मंदिर है. इसके साथ ही कुछ कलचुरी कालीन मूर्तियां भी इस मंदिर में विराजमान है. इसी मंदिर से लगा हुआ कुछ दूरी पर मां शीतला का मंदिर है जहां पर माता शीतला विराजमान है. ऐसी मान्यता है कि लोगों को चेचक या माता का प्रकोप होता है तो माता शीतला के जल को लगाने से उन्हें आराम मिलता है.
नागा साधुओं के समय बना कंकाली मंदिर : राजधानी रायपुर में प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में कंकाली मां का मंदिर भी अपनी अलग पहचान रखता है. इस मंदिर का निर्माण नागा साधुओं के समय में हुआ था. उस समय कंकाली मंदिर के प्रमुख कृपाल गिरी गोस्वामी हुआ करते थे. उस जमाने में कंकाली मंदिर जंगल झाड़ियों के बीच में हुआ करता था. कंकाली मां के इस मंदिर में एक कुंड भी बना हुआ है, जिसे लोग आज कंकाली तालाब के नाम से जानते हैं. यहां पर एक सुरंग भी मिलता है जिसका रास्ता बूढ़ा तालाब के पास स्थित किला तक पहुंचता है. मान्यता ये भी है कि राज परिवार के लोग इसी सुरंग के माध्यम से कंकाली मंदिर के पास बने इस कुंड में स्नान कर कंकाली माता के दर्शन किया करते थे.
पुरानी बस्ती में दंतेश्वरी माता का भी मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि जिस समय दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी की स्थापना हुई थी. उस काल में इस मंदिर का निर्माण हुआ है. बस्तर के राजगुरु ठाकुर परिवार के थे और उनके घर बस्तर के साथ ही रायपुर में भी मिलता है. रायपुर से बिलासपुर मार्ग पर 10 किलोमीटर की दूरी पर मां बंजारी का मंदिर है, जिसे लोग बंजारी धाम के नाम से जानते हैं. यह मंदिर भी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है. भोसले राजाओं के शासन में तत्यापारा चौक और गोल बाजार में स्थित हनुमान मंदिर भी काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर माना गया है- डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र इतिहासकार
मां महामाया मंदिर : रायपुर की पुरानी बस्ती में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण कलचुरी काल में 14 वीं शताब्दी में हुआ था. महामाया मंदिर में 7 साल की कुंवारी कन्या के द्वारा गर्भगृह का प्रथम जोत प्रज्वलित कराया जाता है.
मां दंतेश्वरी मंदिर : रायपुर के पुरानी बस्ती में ही मां दंतेश्वरी का मंदिर है. ये भी एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में है. मां दंतेश्वरी के इस मंदिर को दंतेवाड़ा की दंतेश्वरी मंदिर के समकालीन माना गया है.
मां कंकाली मंदिर : रायपुर के कंकालीपारा में स्थित मां कंकाली मंदिर का निर्माण नागा साधुओं के समय में कृपाल गिरी गोस्वामी ने 1660 में कराया था. यहां पर एक कुंड था जिसे लोग आज कंकाली तालाब के नाम से जानते हैं. तालाब के अंदर एक सुरंग भी है. जो बूढ़ा तालाब के पास स्थित किले के पास जाता था.
दूधाधारी मंदिर : रायपुर का दूधाधारी मंदिर छत्तीसगढ़ के पुराने और ऐतिहासिक मंदिरों में माना जाता है. इसका निर्माण कलचुरी काल में 1610 ईस्वी में कराया गया था.
हटकेश्वरनाथ धाम मंदिर : रायपुर के रायपुरा स्थित खारुन नदी के तट पर हटकेश्वरनाथ धाम है. इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है. इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में राजा हाजी राज ने कराया था.
बंजारी धाम मंदिर : रायपुर बिलासपुर मार्ग पर रायपुर से 10 किलोमीटर दूर बंजारी धाम है. जहां पर मां बंजारी विराजमान है. यह भी ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों में से प्रमुख माना गया है.
हनुमान मंदिर : रायपुर के तात्यापारा चौक और गोल बाजार में स्थित हनुमान मंदिर भोसला राजाओं के शासनकाल में बना था. इस मंदिर में हनुमान की मूर्ति काफी प्राचीन होने के साथ ही ऐतिहासिक मूर्तियों में गिनी जाती है.
शीतला माता मंदिर : रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित शीतला माता का मंदिर भी कलचुरी कालीन राजाओं के समय में बना था. ये मंदिर भी रायपुर की पहचान है.
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