खूंटी: जिले में धर्मप्रांत के बिशप विनय कंडुलना के नेतृत्व में रविवार को ईसाई समुदाय ने खजूर की डालियों के साथ शोभायात्रा निकाली. खजूर रविवार के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा में खूंटी के पुरोहित विशु बी आईंद, चर्च के सभी पुरोहित, येसु संघी पुरोहित, उर्सुलाइन धर्मबहने, संत अन्ना की धर्मबहने समेत कैथलिक सभा, महिला संघ और युवा संघ तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण हाथों में खजूर की डालियों को लहराते हुए ईसा मसीह का जयकारा किया.
शोभायात्रा चर्च से निकलकर खूंटी चाईबासा रोड होते हुए भगत सिंह चौक और खूंटी तोरपा रोड से चलकर संत मिखाईल विद्यालय परिसर पहुंची और खजूर रविवार का विशेष मिस्सा अनुष्ठान संपन्न किया गया. ईसाई समुदाय गुड फ्राइडे के पहले रविवार को खजूर रविवार का त्योहार मनाते हैं. खजूर रविवार ईसा मसीह के आज से 2025 वर्ष पूर्व की यरूशलेम शहर में प्रवेश की याद दिलाती है. यीशू मसीह गदहे पर सवार होकर यरूशलेम में भ्रमण करते हैं. उस काल में ईसाई समुदाय येसु को राजा मानते हुए खजूर की डालियों और उस क्षेत्र में मौजूद वृक्षों की डालियों को सड़कों पर बिछाकर ईसा की जय जयकार करते थे. धनी लोग सड़कों पर कपड़े बिछाते हैं और ईसा का सम्मान करते हैं.
खजूर रविवार के बाद पुण्य सप्ताह प्रारंभ होता है. पुण्य सप्ताह में पुण्य गुरूवार, गुड फ्राइडे और पास्का पर्व अथवा ईस्टर की खास महत्ता होती है. मान्यता है कि पुण्य सप्ताह के गुरूवार के दिन ईसा मसीह अपने चेलों के साथ अंतिम डिनर करते हैं. इसके साथ ही सभी 12 चेलों के पैर धोकर संसार को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह इस दुनिया का राजा नहीं है, बल्कि सेवा करने आया है. दुनिया के लोगों के लिए क्रूस यातना द्वारा मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने पिता परमेश्वर द्वारा पुत्र को भेजा गया है.
ऐसा मान्यता है कि क्रूस मरण तक ईसा मसीह दुख सहकर भी आज्ञाकारी बने रहे. ईसी मसीह ने पूरी दुनिया के लोगों को पाप से मुक्त करने के लिए अपनी बलि चढ़ा दी. ईसाई समुदाय द्वारा पास्का के दिन मध्यरात्रि में ईसा मसीह के जीवित स्वर्ग पहुंचने की स्मृति में त्योहार मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष चालीसा काल के बाद पुण्य सप्ताह ईसाई समुदाय के लिए उपवास परहेज और आत्मिक शुद्धिकरण का समय होता है. इसी विश्वास के आधार पर यूखरिस्त की स्थापना को पूरे विश्व में मसीही समुदाय प्रार्थना और चिंतन मनन के द्वारा आगे बढ़ाते हैं. खजूर रविवार ईसा मसीह के यरूशलेम शहर में प्रवेश के समय धनी और गरीबों द्वारा किया गया जय जयकार का याद दिलाता है.
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