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अब 'चिली स्मोक' से भागेंगे हाथी, कर्नाटक के एक्सपर्ट ने बताया खास फार्मूला

कर्नाटक के हाथियों की फील्ड के एक्सपर्ट डॉ. रुद्रा ने सिरमौर जिले में लोगों को बताई हाथियों को भगाने की तकनीक.

CHILLI SMOKE TECHNIQUE TO KEEP ELEPHANTS AWAY
कर्नाटक के एक्सपर्ट ने सिखाए हाथियों को भगाने के तरीके (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 18, 2024, 1:29 PM IST

Updated : Oct 18, 2024, 1:56 PM IST

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के तहत पांवटा साहिब व नाहन वन मंडलों के अधीन आने वाले प्रभावित इलाकों में में हाथियों ने खूब आतंक मचाया हुआ है. हाथियों से लोगों की सुरक्षा के लिए वन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं. इसके साथ-साथ लोगों को हर उस तरीके से जागरूक किया जा रहा है, जिससे हाथियों के आवागमन से बचाव हो सके.

हाथियों को दूर रखेगा 'चिली स्मोक'!

इसी कड़ी में अब वन विभाग ने कर्नाटक से आए एक्पर्ट के साथ मिलकर लोगों को ‘चिली स्मोक’ से हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर रखने का फार्मूला बताया है. दरअसल वन विभाग ने कर्नाटक से आए वेटरनरी डॉक्टर एवं हाथियों के फील्ड के एक्सपर्ट डॉ. रुद्रा को यहां आमंत्रित किया. जिन्होंने पांवटा साहिब व नाहन वन मंडल के हाथी प्रभावित इलाकों में लोगों को ‘चिली स्मोक’ के बारे में जानकारी दी.

डॉ. रुद्रा, वेटनरी डॉक्टर एंड एक्पर्ट (ETV Bharat)

कौन है डॉ. रुद्रा ?

बता दें कि डॉ. रुद्रा पिछले 30-35 सालों से ये काम कर रहे हैं. उन्होंने नेपाल, भूटान, असम आदि जगहों पर हाथियों पर काम किया है. काफी सालों तक उन्होंने हाथियों का ईलाज किया है. साथ ही हाथियों को लेकर कई काम किए हैं. वह इसके एक्सपर्ट के तौर पर जाने जाते हैं. वन विभाग की टीम के साथ डॉ. रुद्रा ने पहले पांवटा साहिब और फिर नाहन वन मंडल के तहत हाथी प्रभावित इलाकों कोलर, कटासन, बड़ाबन, शंभूवाला, बोहलियों आदि में तकरीबन 350 लोगों को हाथियों को लेकर जागरूक किया. साथ ही चिली स्मोक मेथड से लोगों के साथ-साथ वन कर्मियों को भी अवगत करवाया.

CHILLI SMOKE TECHNIQUE TO KEEP ELEPHANTS AWAY
हाथियों को भगाने के लिए चिली स्मोक का इस्तेमाल (ETV Bharat)

ऐसे यूज करें ‘चिली स्मोक’ टेक्नीक

डॉ. रुद्रा ने प्रभावित इलाकों में हाथियों को भगाने के लिए लोगों को चिली स्मोक (मिर्ची का धुआं) इस्तेमाल करने का आग्रह किया. उन्होंने बताया कि एक टीन के कनस्तर का एक हिस्सा काटकर उसमें गोबर के कुछ उपले रखें. थोड़े से डीजल का प्रयोग कर उपलों को आग लगाएं. धुएं के बीच 10 मिनट बाद उपलों के ऊपर 200 ग्राम लाल सूखी मिर्ची डाल दें. जैसे-जैसे यह लाल मिर्ची उपलों के बीच जलेगी, वैसे-वैसे चारों दिशाओं में यह धुआं फैलेगा. चिली स्मोक की इस गंद से हाथी रिहायशी इलाकों का रुख नहीं करेंगे और जंगल में ही रहेंगे. दूसरा तरीका यह है कि डंडे पर टाट या बोरी की तीन परत बनाकर उस पर भी मिर्ची का प्रयोग किया जा सकता है. इन्हें ऐसे स्थानों पर गाड़ दें, जहां पर हाथियों की आमद अधिक रहती है. हाथियों के आने पर यह तकनीक अपनाएं. मिर्ची के धुएं से परेशान होकर हाथी वापस जंगल में भाग जाते हैं.

अफ्रीका समेत इंडिया में ये टेक्नीक कामयाब

डॉ. रुद्रा ने बताया कि चिली स्मोक की यह तकनीक असम, कर्नाटक, अफ्रीका आदि जहां-जहां हाथी प्रभावित इलाके हैं, वहां-वहां कामयाब रही है. हाथियों को आबादी में आने से रोकने के लिए यह प्रक्रिया काफी कारगर साबित हो रही है. बता दें कि डॉ. रुद्रा न केवल हाथी प्रभावित इलाकों में पिछले कई सालों से लोगों को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि वन विभाग के कर्मचारियों को भी इस बारे प्रशिक्षित करते आ रहे हैं.

CHILLI SMOKE TECHNIQUE TO KEEP ELEPHANTS AWAY
लोगों को बताई हाथियों को दूर भगाने की तकनीक (ETV Bharat)

एनाइडर सिस्टम भी कारगर साबित हो रहा

वन विभाग ने हाथी प्रभावित इलाकों में कई एनाइडर सिस्टम भी स्थापित किए हैं. विभाग की मानें तो जहां-जहां यह सिस्टम स्थापित किए गए हैं, फिलहाल उन इलाकों में हाथियों की मूवमेंट नहीं देखी गई है. बता दें कि एनाइडर सिस्टम यानी एनिमल इंट्रजन डिटेक्शन एंड रेपेलेंट सिस्टम, ये एक ऐसा वार्निंग एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए बेहद कारगर माना जाता है. यह उपकरण अपनी रेंज में आने वाले जंगली जानवरों की आहट को दूर से ही भांप लेता है. यह उपकरण सोलर लाइट पर आधारित है, जो दिन के साथ-साथ रात में भी काम करता है. 30 मीटर तक की दूरी तक सेंसर के जरिए से किसी भी जंगली जानवर को सेंस करके यह उपकरण एलईडी फ्लैश से उन्हें चौंकाकर अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हुए अलार्म बजाता है. जिससे डरकर जंगली जानवर गांव की तरफ न आकर जंगलों की तरफ भाग जाते हैं.

2 सालों में 2 लोगों को मौत ने बढ़ाई चिंता

लंबे अरसे से हाथी सिरमौर जिले में फसलों इत्यादि को नुकसान पहुंचाते आ रहे थे, लेकिन चिंता उस वक्त ज्यादा बढ़ गई, जब पिछले दो सालों में ही हाथियों ने अलग-अलग घटनाओं में एक महिला समेत दो लोगों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. इन दोनों ही घटनाओं के बाद से वन विभाग लगातार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में जुटा हुआ है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. बता दें कि एक लंबे अरसे से हाथी उत्तराखंड से पांवटा साहिब घाटी में दाखिल हो रहे हैं. अब ये नाहन वन मंडल तक के क्षेत्रों तक आ पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: अब एनाइडर सिस्टम करेगा हाथियों के हमले से लोगों की सुरक्षा, जानें इससे कैसे दूर भागेंगे जंगली जानवर

ये भी पढ़ें: हिमाचल में हाथियों का आतंक जारी, प्रभावित इलाकों में लगाए जा रहे एनाइडर सिस्टम, जानें कैसे करता है ये काम?

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के तहत पांवटा साहिब व नाहन वन मंडलों के अधीन आने वाले प्रभावित इलाकों में में हाथियों ने खूब आतंक मचाया हुआ है. हाथियों से लोगों की सुरक्षा के लिए वन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं. इसके साथ-साथ लोगों को हर उस तरीके से जागरूक किया जा रहा है, जिससे हाथियों के आवागमन से बचाव हो सके.

हाथियों को दूर रखेगा 'चिली स्मोक'!

इसी कड़ी में अब वन विभाग ने कर्नाटक से आए एक्पर्ट के साथ मिलकर लोगों को ‘चिली स्मोक’ से हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर रखने का फार्मूला बताया है. दरअसल वन विभाग ने कर्नाटक से आए वेटरनरी डॉक्टर एवं हाथियों के फील्ड के एक्सपर्ट डॉ. रुद्रा को यहां आमंत्रित किया. जिन्होंने पांवटा साहिब व नाहन वन मंडल के हाथी प्रभावित इलाकों में लोगों को ‘चिली स्मोक’ के बारे में जानकारी दी.

डॉ. रुद्रा, वेटनरी डॉक्टर एंड एक्पर्ट (ETV Bharat)

कौन है डॉ. रुद्रा ?

बता दें कि डॉ. रुद्रा पिछले 30-35 सालों से ये काम कर रहे हैं. उन्होंने नेपाल, भूटान, असम आदि जगहों पर हाथियों पर काम किया है. काफी सालों तक उन्होंने हाथियों का ईलाज किया है. साथ ही हाथियों को लेकर कई काम किए हैं. वह इसके एक्सपर्ट के तौर पर जाने जाते हैं. वन विभाग की टीम के साथ डॉ. रुद्रा ने पहले पांवटा साहिब और फिर नाहन वन मंडल के तहत हाथी प्रभावित इलाकों कोलर, कटासन, बड़ाबन, शंभूवाला, बोहलियों आदि में तकरीबन 350 लोगों को हाथियों को लेकर जागरूक किया. साथ ही चिली स्मोक मेथड से लोगों के साथ-साथ वन कर्मियों को भी अवगत करवाया.

CHILLI SMOKE TECHNIQUE TO KEEP ELEPHANTS AWAY
हाथियों को भगाने के लिए चिली स्मोक का इस्तेमाल (ETV Bharat)

ऐसे यूज करें ‘चिली स्मोक’ टेक्नीक

डॉ. रुद्रा ने प्रभावित इलाकों में हाथियों को भगाने के लिए लोगों को चिली स्मोक (मिर्ची का धुआं) इस्तेमाल करने का आग्रह किया. उन्होंने बताया कि एक टीन के कनस्तर का एक हिस्सा काटकर उसमें गोबर के कुछ उपले रखें. थोड़े से डीजल का प्रयोग कर उपलों को आग लगाएं. धुएं के बीच 10 मिनट बाद उपलों के ऊपर 200 ग्राम लाल सूखी मिर्ची डाल दें. जैसे-जैसे यह लाल मिर्ची उपलों के बीच जलेगी, वैसे-वैसे चारों दिशाओं में यह धुआं फैलेगा. चिली स्मोक की इस गंद से हाथी रिहायशी इलाकों का रुख नहीं करेंगे और जंगल में ही रहेंगे. दूसरा तरीका यह है कि डंडे पर टाट या बोरी की तीन परत बनाकर उस पर भी मिर्ची का प्रयोग किया जा सकता है. इन्हें ऐसे स्थानों पर गाड़ दें, जहां पर हाथियों की आमद अधिक रहती है. हाथियों के आने पर यह तकनीक अपनाएं. मिर्ची के धुएं से परेशान होकर हाथी वापस जंगल में भाग जाते हैं.

अफ्रीका समेत इंडिया में ये टेक्नीक कामयाब

डॉ. रुद्रा ने बताया कि चिली स्मोक की यह तकनीक असम, कर्नाटक, अफ्रीका आदि जहां-जहां हाथी प्रभावित इलाके हैं, वहां-वहां कामयाब रही है. हाथियों को आबादी में आने से रोकने के लिए यह प्रक्रिया काफी कारगर साबित हो रही है. बता दें कि डॉ. रुद्रा न केवल हाथी प्रभावित इलाकों में पिछले कई सालों से लोगों को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि वन विभाग के कर्मचारियों को भी इस बारे प्रशिक्षित करते आ रहे हैं.

CHILLI SMOKE TECHNIQUE TO KEEP ELEPHANTS AWAY
लोगों को बताई हाथियों को दूर भगाने की तकनीक (ETV Bharat)

एनाइडर सिस्टम भी कारगर साबित हो रहा

वन विभाग ने हाथी प्रभावित इलाकों में कई एनाइडर सिस्टम भी स्थापित किए हैं. विभाग की मानें तो जहां-जहां यह सिस्टम स्थापित किए गए हैं, फिलहाल उन इलाकों में हाथियों की मूवमेंट नहीं देखी गई है. बता दें कि एनाइडर सिस्टम यानी एनिमल इंट्रजन डिटेक्शन एंड रेपेलेंट सिस्टम, ये एक ऐसा वार्निंग एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए बेहद कारगर माना जाता है. यह उपकरण अपनी रेंज में आने वाले जंगली जानवरों की आहट को दूर से ही भांप लेता है. यह उपकरण सोलर लाइट पर आधारित है, जो दिन के साथ-साथ रात में भी काम करता है. 30 मीटर तक की दूरी तक सेंसर के जरिए से किसी भी जंगली जानवर को सेंस करके यह उपकरण एलईडी फ्लैश से उन्हें चौंकाकर अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हुए अलार्म बजाता है. जिससे डरकर जंगली जानवर गांव की तरफ न आकर जंगलों की तरफ भाग जाते हैं.

2 सालों में 2 लोगों को मौत ने बढ़ाई चिंता

लंबे अरसे से हाथी सिरमौर जिले में फसलों इत्यादि को नुकसान पहुंचाते आ रहे थे, लेकिन चिंता उस वक्त ज्यादा बढ़ गई, जब पिछले दो सालों में ही हाथियों ने अलग-अलग घटनाओं में एक महिला समेत दो लोगों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. इन दोनों ही घटनाओं के बाद से वन विभाग लगातार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में जुटा हुआ है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. बता दें कि एक लंबे अरसे से हाथी उत्तराखंड से पांवटा साहिब घाटी में दाखिल हो रहे हैं. अब ये नाहन वन मंडल तक के क्षेत्रों तक आ पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: अब एनाइडर सिस्टम करेगा हाथियों के हमले से लोगों की सुरक्षा, जानें इससे कैसे दूर भागेंगे जंगली जानवर

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Last Updated : Oct 18, 2024, 1:56 PM IST
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