देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय शुभारंभ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक स्वाति एस भदौरिया ने गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज के छात्रों को कृमि मुक्ति की दवाई खिलाई. साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के महत्व के बारे में बताया और बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति सुधारने के लिए सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का जिक्र भी किया.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम विगत आठ वर्षों से सभी जनपदों में संचालित किया जा रहा है और इस बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के 16वां चरण का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य 1 से 19 वर्ष के सभी बच्चों के पेट में होने वाले कृमि संक्रमण का उपचार करना है.
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के इस चरण में 37.29 लाख बच्चों और किशोर व किशोरियों को लगभग 23 हजार निजी और सरकारी स्कूलों समेत 20 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कृमि नियंत्रण की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है. चूंकि 1 से 19 वर्ष के लगभग सभी बच्चे, किशोर व किशोरियां सरकारी -निजी स्कूलों, महाविद्यालयों, अन्य शिक्षण संस्थानों, कोचिंग व आंगनबाडी केन्द्रों में दर्ज होते हैं. इसलिए इन सभी संस्थानों की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य विभाग बच्चों व किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए लगातार प्रतिबद्ध है. स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य बीमारियां, संक्रमण और मृत्यु दर को कम करने के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि बच्चों व किशोर-किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य व पोषण हेतु स्वास्थ्य विभाग लगातार राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन भारत सरकार के सहयोग से करता आ रहा है.
स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस एक अहम कदम है. यह कदम बच्चों की एक दुरुस्त पीढ़ी के निर्माण में मदद करता है. उन्होंने कहा कि बच्चों, किशोर-किशोरियों में एनीमिया के स्तर को कम करने के लिये सभी बच्चों को कृमि मुक्त करना अति आवश्यक है.
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