गढ़वा: जिले में कुपोषण से प्रभावित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है. यह समस्या खासकर भंडरिया, गढ़वा सदर, मझिआंवा और नगर उंटारी प्रखंडों में ज्यादा देखने को मिल रही है. हालांकि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था ने इस चुनौती का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. जिसके लिए जिले में चार प्रमुख कुपोषण केंद्रों में बच्चों का इलाज किया जा रहा है.
केंद्र में मिलती है अच्छी सुविधा
सीएस से मिली जानकारी के अनुसार गढ़वा में मार्च 2024 से मार्च 2025 तक कुल 1127 बच्चे प्रभावित हुए हैं. जिसमें से सबसे अधिक 759 बच्चे भंडरिया प्रखंड में पाए गए. इसके अलावा गढ़वा सदर प्रखंड से 102, मझिआंवा प्रखंड से 143 और नगर उंटारी प्रखंड से 123 बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए. इन बच्चों को स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती किया गया है, जहां उन्हें आवश्यक चिकित्सा और पोषण प्रदान किया गया. जिले में चार कुपोषण केंद्रों गढ़वा सदर, मझिआंवा, भंडरिया और नगर उंटारी में कुपोषित बच्चों का इलाज किया जा रहा है.
कुपोषण केंद्रों में बच्चों को एक विशेष डाइट चार्ट के अनुसार पोषणयुक्त आहार दिया जाता है. जो उनकी सेहत को सुधारने के लिए जरूरी होता है. इसके अलावा उनके परिजनों को हर दिन 130 रुपए नगद भी दिए जाते हैं. ताकि बच्चों की देखभाल में कोई कमी न हो. कुपोषित बच्चों के परिजनों का कहना है कि उन्हें कुपोषण केंद्रों में रहकर अपने बच्चों का इलाज कराने में काफी मदद मिलती है. एक परिजन ने बताया 'कुपोषण केंद्र का वातावरण बहुत अच्छा है. हमारे बच्चे का सही इलाज हो रहा है और हमें कोई भी परेशानी नहीं हो रही है'. कुपोषण केंद्रों में बच्चों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी बहुत सहयोगी हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि केंद्र में बच्चों को सही पोषण मिले.
इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती: सीएस
कुपोषण केंद्रों में इलाज के बाद अब तक अधिकांश बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं. सिविल सर्जन डॉ अशोक ने बताया कि कुपोषण से जूझ रहे इन बच्चों को अब अपनी जीवनशैली में सुधार करने का एक और अवसर मिला है. यह सभी प्रयास जिला प्रशासन और राज्य सरकार की तरफ से उठाए गए सकारात्मक कदमों का परिणाम है. सरकार की यह पहल न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर रही है, बल्कि यह परिवारों को भी आर्थिक रूप से सहारा दे रही है. यह अभियान कुपोषण जैसी गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
सिविल सर्जन डॉ अशोक ने बताया कि उम्मीद की जा रही है कि इसके जरिए गढ़वा जिले में कुपोषण की समस्या को जल्द ही नियंत्रित किया जाएगा. कुपोषण से पीड़ित बच्चों के इलाज में किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ी जाती है. बच्चों को इलाज के दौरान उच्च गुणवत्तापूर्ण भोजन दिया जाता है और उनका स्वास्थ्य सुधारने के लिए निरंतर निगरानी की जाती है. सिविल सर्जन ने बताया कि इन केंद्रों पर बेड की कोई कमी नहीं है. अगर किसी बच्चे को उच्च स्तर के इलाज की आवश्यकता होती है, तो उसे हायर सेंटर भेज दिया जाता है.
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