छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): पेंच टाइगर रिजर्व में इन दिनों एक शातिर और चालाक जानवर के दीदार हो रहे हैं. यह जानवर शिकार करने के लिए छिपकर बैठा रहता है और शिकार को पता भी नहीं होता कि कब उसकी शामत आ गई. आइए जानते हैं इस जानवर के बारे में जिसे माउंटेनियर भी कहा जाता है. तेंदुओं की धब्बेदार त्वचा के चलते वह घने जंगलों, चट्टानों और पेड़ों में आसानी से छिप जाते हैं. जिससे शिकार पर अचानक हमला करना उनके लिए आसान हो जाता है. स्नो लेपर्ड को पहाड़ों का भूत भी कहते हैं.
दिमाग का तेज, छिपकर करता है शिकार
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डॉक्टर अंकित मेश्राम ने बताया कि, ''तेंदुआ बहुत ही तेज दिमाग वाला चालक जानवर है. लेकिन इसकी खासियत यह है कि यह सामने से शिकार नहीं बल्कि छिपकर वार करता है. बड़ी झाड़ियां में या घास के बीच में ऐसे छिपकर बैठता है जैसे किसी को भनक तक नहीं लगे. जैसे ही टारगेट उसके पास आता है उस पर हमला कर देता है. तेंदुआ एक अकेला, चुपके से रहने वाला बड़ा जानवर है जो जंगलों और घास के मैदानों से लेकर चट्टानी इलाकों तक के कई आवासों में अपनी अनुकूलन क्षमता के लिए जाना जाता है.''
पहाड़ों पर चढ़ पेड़ों में जाकर करता है लंच-डिनर
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डॉक्टर अंकित मेश्राम ने बताया कि, ''यह इतना फुर्तीला होता है कि आसानी से पहाड़ों पर भी चढ़ जाता है और शिकार का बचा हुआ मांस कोई छोटा जानवर ना खा सके, इसलिए पेड़ों पर चढ़कर शिकार किए हुए जानवर को खाता है.''

साल भर बच्चों को देते हैं जन्म
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि, ''तेंदुआ साल भर प्रजनन करता है. लगभग 90-105 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2-4 शावकों को जन्म देती है. शावक स्वतंत्र होने से पहले 2 साल तक माँ के साथ रहते हैं. तेंदुआ मांसाहारी और अवसरवादी शिकारी होते हैं. वे हिरण, जंगली सूअर, बंदर, पक्षी और कभी-कभी घरेलू पशुओं को खाते हैं.''
खुले से ज्यादा कैद में रहने से बढ़ जाती है उम्र
वाइल्डलाइफ एक्सपोर्ट डॉक्टर अंकित मेश्राम ने बताया कि, ''तेंदुए की उम्र जंगल में 12 से 17 साल तक होती है. लेकिन अगर यही कैद में रहते हैं तो उनकी उम्र बढ़कर 23 साल तक हो जाती है. तेंदुआ 50 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है.''
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तेंदुए का नहीं होता इलाका
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी उप संचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि, ''जिस तरीके से बाघ अपना इलाका निर्धारित कर उसमें रहता है और उसमें किसी का डिस्टर्ब पसंद नहीं करता. तेंदुआ इसके विपरीत नेचर वाला प्राणी है. इसका कोई इलाका नहीं होता और यह आसानी से कहीं पर भी घूमता नजर आता है. इसके साथ ही इसकी काउंटिंग करना भी मुश्किल होता है. इसलिए कहना मुश्किल है की पेंच टाइगर रिजर्व में तेंदुओं की संख्या कितनी है. लेकिन पर्यटकों को आसानी से दीदार हो रहे हैं.''