लखीमपुर : उत्तर प्रदेश की थारू जनजाति की पारंपरिक कढ़ाई कला को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में थारू समाज की छिद्दो देवी को जीआई टैग प्रमाणपत्र से सम्मानित किया. साथ ही उनकी तारीफ भी की.
पलिया तहसील के थारू क्षेत्र के गांव बलेरा में हस्तशिल्प उत्पादन और बिक्री केंद्र स्थित है. यहां केले के जूट और जलकुंभी से विभिन्न उत्पाद बनाए जाते हैं. इनमें जूता, चप्पल, टोपी, दरी, डलिया, टोकरी और बैग शामिल हैं.
गांव परसिया की रहने वाली छिद्दो देवी ने अपने घर में भी हस्तशिल्प केंद्र खोला है. यहां करीब 40 महिलाएं काम करती हैं. इन महिलाओं की उम्र 20 से 60 वर्ष के बीच है. ये सभी प्राकृतिक सामग्री से उत्पाद तैयार करती हैं. छिद्दो देवी ने अपने हुनर के बलबूते महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया है.
छिद्दो देवी पिछले 15 साल से थारू जनजाति की पारंपरिक हस्तकला को आधुनिक बाजार से जोड़ने का कार्य कर रही हैं. छिद्दो देवी के घर पर भी हथकरघा (लूम) चलता है.
कढ़ाई कला पारंपरिक कार्य : थारू जनजाति का मूल निवास उत्तर प्रदेश और नेपाल के बीच का तराई क्षेत्र है. खीरी जिले के दुधवा नेशनल पार्क क्षेत्र में इनकी बड़ी आबादी है. कढ़ाई कला इनका पारंपरिक कार्य है. नई पीढ़ी ने इस कला को भुला दिया था, लेकिन थारू समाज की कुछ महिलाओं ने इसे फिर से जीवंत किया है.
थारू समाज में शादी-विवाह और त्योहारों पर हाथ से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व है. इनकी कढ़ाई कला को लोककथाओं, देवी-देवताओं और प्रकृति से जोड़कर देखा जाता है. छिद्दो देवी ने बताया, कढ़ाई कला उनके पूर्वजों की विरासत है, जिसे वे किसी भी कीमत पर नहीं भूल सकती हैं.

लखीमपुर में थारू कढ़ाई की खोज : 2019 में उतर प्रदेश सरकार की ODOP स्कीम के तहत पहली बार लखीमपुर में UPID ने कैंप लगाया गया. शिल्पगाथा संस्था की डिजाइन टीम की वंदना और मोहिनी ट्रेनिंग देने पहुंची. यहां उनकी मुलाकात छिद्दो देवी से हुई. छिद्दो देवी थारू जनजाति की पारंपरिक कढ़ाई कला पर काम कर रही थीं.
महिलाओं को दी गई ट्रेनिंग : शिल्पगाथा संस्था ने छिद्दो देवी और उनके साथ काम कर रही महिलाओं का वस्त्र मंत्रालय से निशुल्क कारीगर पहचान पत्र बनवाया. फिर बरेली हस्तशिल्प विकास आयुक्त पुलकित जैन के द्वारा विभाग की तरफ से जागरूकता कार्यक्रम, EDP प्रोग्राम तथा डिजाइन प्रोग्राम चलाए गए. टीम ने थारू कढ़ाई और जलकुंभी शिल्प पे डिजाइन की ट्रेनिंग दी.
2023 में थारू एंब्रॉयरी का जीआईटैग लखीमपुर को मिला : महिलाओं को थारू एंब्रॉयरी से कुशन कवर, टेबल कवर, बेल्ट, तोरन, पाउच, हैंड बैग जैसे नए डिजाइन बनाना सिखाया. 2023 में लखनऊ के नाबार्ड विभाग कार्यालय में इंटरव्यू और प्रेजेंटेशन के बाद उत्तर प्रदेश की थारू एंब्रॉयरी का जीआई टैग लखीमपुर खीरी को मिला. 2024 में छिद्दो देवी को थारू एंब्रॉयरी में हस्तशिल्प राज्य पुरस्कार मिला.