भोपाल। छतरपुर में पुलिस कोतवाली पर पथराव की घटना और हिंसा के बाद आरोपियों के घरों को बुलडोजर से गिराने के मामले को विपक्षी दलों ने सरकार की एकतरफा कार्रवाई की निंदा की है. इस मामले को लेकर कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और समानता दल के प्रतिनिधियों ने छतरपुर जाकर घटना की जांच की है. इसके बाद पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. इस मामले में सभी 6 दलों के प्रतिनिधियों ने भोपाल में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया.
यहूदियों की तरह बना दिया एंटीनेशनल
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा "जिस प्रकार से हिटलर ने यहूदियों को टारगेट किया था. हिटलर ने कहा था कि जो यूहूदियों को सहयोग करेगा, वह एंटीनेशनल है. उसी से सीखकर आरएसएस ने देश में एक विशेष वर्ग को एंटी नेशनल साबित करने के लिए और अपनी विचारधार को आगे बढ़ाने के लिए ये कुटिल प्रयास किया है. जिस प्रकार अंग्रेजों ने देश में बांटकर राज किया. उसी से सीखकर आरएसएस, जनसंघ और भाजपा देश में बंटवारा कराना चाहती है."
बेकसूर लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने का विरोध
दिग्विजय सिंह ने कहा "भाजपा शासनकाल में बिना किसी कृत्य के बेदर्दी से लोगों के मकान तोड़े गए. चाहे खरगोन की घटना हो या छतरपुर की, बड़वानी में तो जिसके दोनों हाथ नहीं थे, उस पर भी पत्थर फेंकने का आरोप लगाते हुए घर गिरा दिया गया है. इन सबको लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका में कोर्ट ने एक गाइडलाइन रेखांकित की है. लेकिन एमपी सरकार इस गाइडलाइन का पालन भी नहीं कर रही है. ऐस में हमने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है."
छतरपुर पुलिस ज्ञापन ले लेती तो पथराव नहीं होता
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जसविंदर सिंह ने बताया "6 दलों के प्रतिनिधियों ने मौके पर जाकर जांच की तो पुलिस और प्रशासन के द्वारा की गई कार्रवाई की पोल खुल रही है. अभद्र टिप्पणी को लेकर विशेष वर्ग में नाराजगी थी. इसी को लेकर लोग थाने में ज्ञापन देने पहुंचे थे. लेकिन पुलिस ने उनका ज्ञापन लेने की बजाय घटना को दूसरी दिशा में मोड़ दिया. भीड़ पर लाठीचार्ज किया गया." प्रशासन का कहना है "प्रदर्शनकारी अपने साथ पत्थर और हथियार लेकर आए थे." लेकिन मौके पर जाकर देखा गया तो जब भीड़ पर लाठीचार्ज हुआ तो लोग वहां से पत्थर उठाकर फेंकने लगे. संबंधित थाने के टीआई ने भी स्वीकार किया है कि उसने भी खुद को बचाने के लिए उसी टूटे घर के पत्थरों को उठाकर भीड़ की ओर फेंका था. यदि पुलिस ज्ञापन ले लेती तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती.
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वसूली का जरिया बनी अज्ञात के नाम रिपोर्ट
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता राजा पटेरिया ने बताया "सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि मानसून के मौसम में किसी का मकान नहीं तोड़ा जा सकता है. इसलिए जुलाई से सितंबर तक अतिक्रमण हटाना प्रतिबंधित है. इसके बावजूद प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए हाल में ही बने भवनों पर बुलडोजर चलवा दिया. जांच दल को पूरी बस्ती में एक भी पुरुष नहीं मिला. सब आतंक और भय के कारण गायब थे. महिलाएं भी खुलकर बात करने के लिए तैयार नहीं थी."