छतरपुर(मनोज सोनी): यहां के एक रिटायर्ड शिक्षक मुगल शासक शाहजहां से कम नहीं हैं. शाहजहां ने मुमताज के प्यार में आगरा में ताजमहल बनवाया था,तो वहीं छतरपुर के एक शिक्षक ने अपनी जीवन भर की पूंजी से पत्नी की याद में एक प्रेम मंदिर बनवा दिया.
रिटायर्ड शिक्षक की प्रेम कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है. हर किसी की जुबान पर एक दंपत्ति की प्यार की अनोखी दास्तां सुनाई दे रही है.
पत्नी की याद में प्रेम मंदिर
इस मंदिर को देखने और दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोगो का तांता लगता है. दरसल छतरपुर शहर के चौबे कॉलोनी में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक बीपी चंसोरिया ने अपनी पत्नी स्व. वंदना चंसोरिया की याद में प्रेम मंदिर का निर्माण करवाया है. करोड़ों की लागत से छतरपुर के नरसिंह मंदिर परिसर में एक भव्य मंदिर बनवा दिया. रिटायर्ड शिक्षक बीपी चंसोरिया ने अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी इस मंदिर के निर्माण में लगा दी. पत्नी की याद में बनवाए इस मंदिर को उन्होंने प्रेम मंदिर का नाम दिया है.
पत्नी ने जाहिर की थी इच्छा
रिटायर्ड शिक्षक बीपी चंसोरिया बताते हैं कि "जीवित रहते हुए पत्नी ने चित्रकूट में मंदिर और आश्रम बनाने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन कुछ माह बाद ही उनका निधन हो गया. जिसका उनको बहुत बड़ा सदमा लगा. सदमे से उबरने के बाद पत्नी की इच्छा पूर्ति के लिए छतरपुर के पन्ना रोड पर बने नरसिंह मंदिर के परिसर में भव्य राधा-कृष्ण मंदिर का निर्माण करवा दिया." अब यह मंदिर प्रेम के प्रतीक के रूप में जाना जा रहा है. इस मंदिर का नाम प्रेम प्रतीक मंदिर रखा गया है.


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6 साल में बनकर तैयार हुआ मंदिर
छतरपुर के उत्कृष्ट विद्यालय के रिटार्यड शिक्षक बीपी चंसोरिया की पत्नी का 30 नवंबर 2016 को अचानक निधन हो गया. बीपी चंसोरिया अपनी पत्नी वंदना से बेइंतहा प्यार करते हैं. पत्नी की मौत के बाद काफी टूट गए थे लेकिन पत्नी का प्रेम ही उनके लिए सबसे बड़ी ताकत थी. जिसको जीवंत रूप देने के लिए मंदिर बनवाने का फैसला लिया. इसके बाद उन्होंने मोहब्बत की मिसाल पेश करते हुए करीब डेढ़ करोड़ की लागत से राधा-कृष्ण का दिव्य और भव्य मंदिर बनवाया. इसे राजस्थान के कलाकारों ने बनाया है. जिसका भूमि पूजन 13 मई 2017 को नरसिंह मंदिर परिसर में किया गया था. 2023 में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ था.