ETV Bharat / state

साक्षात भगवान का प्रसाद है छतरपुर का ये पेड़, बीजों से संतान सुख मिलने की है मान्यता - CHHATARPUR PUTRANJIVA TREE

छतरपुर का संतान जीवा वृक्ष कई इतिहास समेटे हुए है. जहां इस पेड़ में औषधीय गुण हैं वहीं इससे जुड़ी है एक खास मान्यता.

CHHATARPUR PUTRANJIVA TREE
छतरपुर संतान जीवा वृक्ष (ETV Graphics)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 30, 2025 at 5:14 PM IST

Updated : May 30, 2025 at 5:29 PM IST

5 Min Read

छतरपुर(मनोज सोनी) : हिन्दू धर्म में आज भी पेड़ों का बहुत महत्व है. हमारे शास्त्र कहते हैं पेड़ में भगवान सहित देवी देवताओं का वास होता है. तभी तो भारत में पौराणिक काल से ही पेड़ों की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति की कामना की जा रही है. छतरपुर जिले में एक ऐसा प्राचीन रियासत काल का पेड़ मौजूद है जो संतानहीन लोगों को संतान की प्राप्ति करवाता है. मान्यता है कि अगर आप नियम के अनुसार इस पेड़ की पूजा करेंगे तो आपकी गोद भर जायेगी.

छतरपुर में इस पेड़ को संतान जीवा वृक्ष कहते हैं. वैसे इसे भारतीय उपमहाद्वीप में पुत्रंजीवा वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है. इस वृक्ष में बहुत से औषधीय गुण भी होते हैं जिसके बारे में भी हम आपको आगे बताएंगे. सबसे पहले आपको इस पेड़ को लेकर प्रचलित मान्यता के बारे में बताते हैं.

संतान जीवा वृक्ष को लेकर प्रचलित मान्यता (ETV Bharat)

संतान जीवा वृक्ष को लेकर प्रचलित मान्यता

छतरपुर जिले में एक ऐसा दुर्लभ पेड़ मौजूद है जिसे संतान प्राप्ति के लिए जाना जाता है. यहां के लोगों की इस पेड़ में गहरी आस्था है. ग्रामीणों का मानना है कि इस पेड़ की छाल का सेवन करने से संतान की प्राप्ति होती है. इनका कहना है कि इसके कई प्रमाण भी जिले में मौजूद हैं. तभी तो महिलाएं इस पेड़ की पूजा अर्चना कर वरदान मांगती हैं और सच्चे मन से की गई पूजा का महिलाओं को वरदान भी मिलता है.

बिजावर रियासत के जानकी निवास मंदिर में है ये पेड़

छतरपुर जिले से 35 किलोमीटर दूर बिजावर रियासत है जिसे गोंड साम्राज्य के द्वारा बसाया गया था. आज भी यह इलाका अपने अंदर कई प्राचीन महल, मंदिर और इतिहास समेटे हुए है, जिसकी चर्चाएं लोगों की जुबान पर रहती है. वहीं, इस बिजावर इलाके में एक ऐसा प्राचीन रियासत काल का पेड़ भी मौजूद है जो संतान हीन परिवारों को संतान सुख देने के लिए जाना जाता है. इस पेड़ की पहचान संतान जीवा वृक्ष के नाम है बनी हुई है.

Chhatarpur Putranjiva Tree
बीजों से संतान सुख मिलने की है मान्यता (ETV Graphics)

जानकी निवास मंदिर के पास लगे इस प्राचीन पेड़ की देख रेख के साथ साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. मंदिर के पुजारी मनमोहन उपाध्याय बताते हैं- "इस पेड़ की महिमा अद्भुत है, इस पेड़ की पूजा करने से जिस महिला को सन्तान नहीं होती उसको सन्तान की प्राप्ति होती है, जिस महिला की संतान जीवित नहीं रहती वह जीवित रहती है. बस नियम के अनुसार पूजा करनी पड़ती है..."

CHHATARPUR PUTRANJIVA TREE
छतरपुर संतान जीवा वृक्ष (ETV Bharat)

संतान जीवा वृक्ष का इतिहास

पुजारी मनमोहन उपाध्याय आगे बताते हैं कि- "यह पेड़ प्राचीन है, महाराजा सावंत सिंह के द्वारा लगवाया गया था, पुत्रंजीवा के नाम से जाना जाता है. इस पेड़ की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से संतान की प्राप्ति होती है. वहीं, जिनकी संतान जीवित नहीं रहती वो भी इस पेड़ से मनोकामना करते हैं कि उनकी संतान जीवित रहे. इस पेड़ की छाल को ले जाकर बछड़े वाली गाय के दूध के साथ सेवन करने से संतान प्राप्ति होती है."

PUTRANJIVA TREE IMPORTANCE
पुत्रंजीवा वृक्ष पेड़ का महत्व (ETV Bharat)

संतान जीवा या पुत्रंजीवा पेड़ की कैसे करें विधि विधान से पूजा

पुत्रंजीवा वृक्ष की पूजा करने के नियम भी अपने आप में अगल और अद्भुत हैं. बुधवार के दिन आना पड़ता है और फिर पूजा-अर्चना, आरती करनी होती है. पेड़ को अपनी मनोकामनापूर्ण करने के लिए निमंत्रण देना पड़ता है, फिर गुरुवार को आना होता है. इस बार इसकी छाल ले जानी होती है फिर उस का उपयोग गाय के दूध के साथ किया जाता है.

PUTRANJIVA TREE IMPORTANCE
पुत्रंजीवा वृक्ष का महत्व (ETV Graphics)

पुत्रंजीवा वृक्ष का महत्व

पुत्रंजीवा पेड़ के पत्तों, फलों और बीजों का उपयोग सदियों से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है. पुत्रजीवा के बीजों को संतान प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसमें चमकदार हरे पत्तों होते हैं और इसे संस्कृत में पुत्रंजीव, गर्भकर, कुमारजीव आदि नामों से भी जाना जाता है. इसको लगाने से पर्यावरण भी शुद्ध होता है.

छतरपुर आयुर्वेद हॉस्पिटल के डॉ. विज्ञान देव मिश्रा ने बताया कि "पुत्रंजीवा वृक्ष के उपयोग का एक लंबा इतिहास है. इसकी छाल, पत्तियों और बीजों का कई रूपों में उपयोग होता है. बुखार,खांसी और अस्थमा के इलाज में ये कारगर साबित होता है. इसकी पत्तियों का घाव, त्वचा और पाचन संबंधी विकारों में भी इस्तेमाल होता है. वहीं, पुत्रंजीवा वृक्ष के बीजों का उपयोग पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस पर कई रिसर्च भी हुई हैं जिसमें अधिकांश पॉजिटिव रही हैं."

Putranjiva Tree bark leaves and seeds used as medicine
पुत्रंजीवा वृक्ष का आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल (ETV Bharat)

वहीं, छतरपुर के जिला हॉस्पिटल में पदस्थ डॉ. शरद मिश्रा बताते हैं कि "अभी तक मेडिकल साइंस में तो ऐसा कुछ नहीं हुआ है कि कोई भी पेड़ की छाल या काढ़ा पीने से प्रेग्नेंसी होती हो. प्रेग्नेंसी मेल के स्पर्म फीमेल के ओवम में आपस में कैसे मिलते है इस पर निर्भर करता है. पेड़ की छाल से प्रेग्नेंसी होना सम्भव नहीं है, लेकिन किसी ने पिया होगा और प्रेग्नेंसी हो गई तो वह उसकी आस्था है लेकिन ऐसा होता नहीं है.

छतरपुर(मनोज सोनी) : हिन्दू धर्म में आज भी पेड़ों का बहुत महत्व है. हमारे शास्त्र कहते हैं पेड़ में भगवान सहित देवी देवताओं का वास होता है. तभी तो भारत में पौराणिक काल से ही पेड़ों की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति की कामना की जा रही है. छतरपुर जिले में एक ऐसा प्राचीन रियासत काल का पेड़ मौजूद है जो संतानहीन लोगों को संतान की प्राप्ति करवाता है. मान्यता है कि अगर आप नियम के अनुसार इस पेड़ की पूजा करेंगे तो आपकी गोद भर जायेगी.

छतरपुर में इस पेड़ को संतान जीवा वृक्ष कहते हैं. वैसे इसे भारतीय उपमहाद्वीप में पुत्रंजीवा वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है. इस वृक्ष में बहुत से औषधीय गुण भी होते हैं जिसके बारे में भी हम आपको आगे बताएंगे. सबसे पहले आपको इस पेड़ को लेकर प्रचलित मान्यता के बारे में बताते हैं.

संतान जीवा वृक्ष को लेकर प्रचलित मान्यता (ETV Bharat)

संतान जीवा वृक्ष को लेकर प्रचलित मान्यता

छतरपुर जिले में एक ऐसा दुर्लभ पेड़ मौजूद है जिसे संतान प्राप्ति के लिए जाना जाता है. यहां के लोगों की इस पेड़ में गहरी आस्था है. ग्रामीणों का मानना है कि इस पेड़ की छाल का सेवन करने से संतान की प्राप्ति होती है. इनका कहना है कि इसके कई प्रमाण भी जिले में मौजूद हैं. तभी तो महिलाएं इस पेड़ की पूजा अर्चना कर वरदान मांगती हैं और सच्चे मन से की गई पूजा का महिलाओं को वरदान भी मिलता है.

बिजावर रियासत के जानकी निवास मंदिर में है ये पेड़

छतरपुर जिले से 35 किलोमीटर दूर बिजावर रियासत है जिसे गोंड साम्राज्य के द्वारा बसाया गया था. आज भी यह इलाका अपने अंदर कई प्राचीन महल, मंदिर और इतिहास समेटे हुए है, जिसकी चर्चाएं लोगों की जुबान पर रहती है. वहीं, इस बिजावर इलाके में एक ऐसा प्राचीन रियासत काल का पेड़ भी मौजूद है जो संतान हीन परिवारों को संतान सुख देने के लिए जाना जाता है. इस पेड़ की पहचान संतान जीवा वृक्ष के नाम है बनी हुई है.

Chhatarpur Putranjiva Tree
बीजों से संतान सुख मिलने की है मान्यता (ETV Graphics)

जानकी निवास मंदिर के पास लगे इस प्राचीन पेड़ की देख रेख के साथ साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. मंदिर के पुजारी मनमोहन उपाध्याय बताते हैं- "इस पेड़ की महिमा अद्भुत है, इस पेड़ की पूजा करने से जिस महिला को सन्तान नहीं होती उसको सन्तान की प्राप्ति होती है, जिस महिला की संतान जीवित नहीं रहती वह जीवित रहती है. बस नियम के अनुसार पूजा करनी पड़ती है..."

CHHATARPUR PUTRANJIVA TREE
छतरपुर संतान जीवा वृक्ष (ETV Bharat)

संतान जीवा वृक्ष का इतिहास

पुजारी मनमोहन उपाध्याय आगे बताते हैं कि- "यह पेड़ प्राचीन है, महाराजा सावंत सिंह के द्वारा लगवाया गया था, पुत्रंजीवा के नाम से जाना जाता है. इस पेड़ की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से संतान की प्राप्ति होती है. वहीं, जिनकी संतान जीवित नहीं रहती वो भी इस पेड़ से मनोकामना करते हैं कि उनकी संतान जीवित रहे. इस पेड़ की छाल को ले जाकर बछड़े वाली गाय के दूध के साथ सेवन करने से संतान प्राप्ति होती है."

PUTRANJIVA TREE IMPORTANCE
पुत्रंजीवा वृक्ष पेड़ का महत्व (ETV Bharat)

संतान जीवा या पुत्रंजीवा पेड़ की कैसे करें विधि विधान से पूजा

पुत्रंजीवा वृक्ष की पूजा करने के नियम भी अपने आप में अगल और अद्भुत हैं. बुधवार के दिन आना पड़ता है और फिर पूजा-अर्चना, आरती करनी होती है. पेड़ को अपनी मनोकामनापूर्ण करने के लिए निमंत्रण देना पड़ता है, फिर गुरुवार को आना होता है. इस बार इसकी छाल ले जानी होती है फिर उस का उपयोग गाय के दूध के साथ किया जाता है.

PUTRANJIVA TREE IMPORTANCE
पुत्रंजीवा वृक्ष का महत्व (ETV Graphics)

पुत्रंजीवा वृक्ष का महत्व

पुत्रंजीवा पेड़ के पत्तों, फलों और बीजों का उपयोग सदियों से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है. पुत्रजीवा के बीजों को संतान प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसमें चमकदार हरे पत्तों होते हैं और इसे संस्कृत में पुत्रंजीव, गर्भकर, कुमारजीव आदि नामों से भी जाना जाता है. इसको लगाने से पर्यावरण भी शुद्ध होता है.

छतरपुर आयुर्वेद हॉस्पिटल के डॉ. विज्ञान देव मिश्रा ने बताया कि "पुत्रंजीवा वृक्ष के उपयोग का एक लंबा इतिहास है. इसकी छाल, पत्तियों और बीजों का कई रूपों में उपयोग होता है. बुखार,खांसी और अस्थमा के इलाज में ये कारगर साबित होता है. इसकी पत्तियों का घाव, त्वचा और पाचन संबंधी विकारों में भी इस्तेमाल होता है. वहीं, पुत्रंजीवा वृक्ष के बीजों का उपयोग पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस पर कई रिसर्च भी हुई हैं जिसमें अधिकांश पॉजिटिव रही हैं."

Putranjiva Tree bark leaves and seeds used as medicine
पुत्रंजीवा वृक्ष का आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल (ETV Bharat)

वहीं, छतरपुर के जिला हॉस्पिटल में पदस्थ डॉ. शरद मिश्रा बताते हैं कि "अभी तक मेडिकल साइंस में तो ऐसा कुछ नहीं हुआ है कि कोई भी पेड़ की छाल या काढ़ा पीने से प्रेग्नेंसी होती हो. प्रेग्नेंसी मेल के स्पर्म फीमेल के ओवम में आपस में कैसे मिलते है इस पर निर्भर करता है. पेड़ की छाल से प्रेग्नेंसी होना सम्भव नहीं है, लेकिन किसी ने पिया होगा और प्रेग्नेंसी हो गई तो वह उसकी आस्था है लेकिन ऐसा होता नहीं है.

Last Updated : May 30, 2025 at 5:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.