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गुप्त कमरे-बेहिसाब सुरंगें, एयर कंडीशनर को भी फेल करती 17वीं शताब्दी की शीतल गढ़ी - CHHATARPUR SHEETAL GARHI

महाराजा छत्रसाल के शासनकाल में छतरपुर के धुबेला में बनी थी शीतल गढ़ी. यहां सेना करती थी आराम और भीषण गर्मी से होता था बचाव.

CHHATARPUR SHEETAL GARHI
छतरपुर की शीतल गढ़ी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 11, 2025 at 9:04 AM IST

Updated : June 11, 2025 at 10:35 AM IST

4 Min Read

छतरपुर: जिले को बसाने वाले महाराजा छत्रसाल की कर्म भूमि धुबेला में आज भी एक ऐसी प्राचीन गढ़ी बनी हुई है, जो इतिहास की अमर गाथा सुनाती है. जिसका निर्माण महाराजा छत्रसाल के नाती द्वारा 17वीं शताब्दी में करवाया था. यह प्रसिद्ध स्मारक समृद्ध बुंदेली कला का उदाहरण है, जो आज के एयर कंडीशनर को भी फेल करती है. इस किले का निर्माण आवासीय उद्देश्य और सुरक्षा की दृष्टि से करवाया गया था. इसके अंदरूनी हिस्से को पत्तेदार पैटर्न से सजाया गया है. जिसको देखने दूर दूर से लोग आते हैं. सेना के आराम, भीषण गर्मी से बचाव और सुरक्षा के लिए यहां गुप्त कमरे व सुरंग आज भी बनी हुई है.

इतिहास समेटे है शीतल गढ़ी
महाराजा छत्रसाल का नाम इतिहास में एक पराक्रमी राजा और बुंदेलखंड के शूरवीर के रूप में दर्ज है. उन्हीं से ही बुंदेलखंड की पहचान होती है. कभी बुंदेलखंड को मुगल आक्रांताओं से बचाकर रखने वाले महाराजा छत्रसाल के समय स्थापित की गई पुरातात्विक धरोहर को आज लोग देखने और इसका इतिहास जानने देश दुनिया से लोग छतरपुर के धुबेला आते हैं. यहां बनी पुरानी इमारतें, महल, गढ़ी का रहस्य जानने की कोशिश करते हैं. उन्हीं में से एक शीतल गढ़ी है जो आज भी अपने अंदर कई इतिहास समेटे हुए है.

एयर कंडीशनर को भी फेल करती 17वीं शताब्दी की शीतल गढ़ी (ETV Bharat)

महाराजा छत्रसाल के नाती ने करवाया था गढ़ी का निर्माण
दरअसल, छतरपुर जिले से 15 किलोमीटर दूर बसे महाराजा छत्रसाल की कर्म भूमि धुबेला में आज भी एक प्राचीन शीतल गढ़ी बनी हुई है, जो पहाड़ी पर बनाई गई थी. प्राचीन समय में इस गढ़ी का निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से ऊंचाई पर करवाया गया था, इस इमारत का निर्माण दीवान कीरत सिंह, जो महाराजा छत्रसाल के नाती एवं द्वितीय पुत्र जगत राज के पुत्र थे, उन्होंने करवाया था. यह 2 मंजिला इमारत है, लेकिन अब यह इमारत खंडहर में धीरे धीरे तब्दील होती जा रही है. लेकिन आज भी इस इमारत की खूबसूरती को देखने दूर दूर से लोग आते हैं.

SHEETAL GARHI LIKE AIR CONDITIONER
एयरकंडीशनर को भी फैल करती है शीतल गढ़ी (ETV Bharat)

सेना के आराम के लिए बनी शीलत गढ़ी में बने गुप्त कमरे
छतरपुर के धुबेला में बनी शीतल गढ़ी बादल महल के सामने स्थित दो मंजिला किला है. जिसको महाराजा छत्रसाल के नाती दीवान कीरत सिंह ने गश्त, सुरक्षा और निगरानी के उद्देश्य से 17वीं शताब्दी में पहाड़ की ऊंचाई पर बनवाया था. शीतल गढ़ी को बनाने के पीछे कई उद्देश्य थे, अगर भीषण गर्मी भी पड़े तो इस गढ़ी में ठंडक रहती थी. इसके अंदर कई गुप्त कमरे बने हुए हैं, जिनमे सेना आराम करती थी. कई गुप्त सुरंगें भी बनी हुई हैं. अगर कोई आक्रमण करे तो सुरंग के जरिये हथियार लाये जा सकें.

CHHATRASAL REIGN SHEETAL GARHI
धुबेला में मौजूद है शीतगढ़ी (ETV Bharat)

यह प्रसिद्ध स्मारक समृद्ध बुंदेली कला का आज भी उदाहरण बनी हुई है, इसके अंदरूनी हिस्से को पत्तेदार पैटर्न से सजाया गया है. वहीं, शीतल गढ़ी की देखरेख करने वाले सिक्योरिटी गार्ड बालादीन दीक्षित बताते हैं, ''यह बहुत प्राचीन गढ़ी है, महाराज ने सेना के लिए बनवाई थी. बगल में प्राणनाथ जी का मंदिर है, बादल महल भी बना है. एक समय ऐसा था जब यहं हमेशा अंधेरा रहता था लेकिन आज हर दम उजाला रहता है.''

sheetal garhi protect army from heat
शीतल गढ़ी में मौजूद हैं सुरंगें (ETV Bharat)
sheetal garhi protect army from heat
भीषण गर्मी से होता था बचाव (ETV Bharat)
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दूर-दूर से देखने आते हैं लोग (ETV Bharat)

क्या कहते हैं इतिहासकार
वहीं, छतरपुर के इतिहासकार शंकर लाल सोनी बताते हैं ''शीतल गढ़ी का निर्माण 17वीं शताब्दी में महाराजा छत्रसाल के नाती दीवान कीरत सिंह ने करवाया था. जो छत्रसाल के दूसरे पुत्र जगत सिंह के बेटे थे. इसका उद्देश्य सेना की सुरक्षा, महल की निगरानी सहित भीषण गर्मी से सेना को बचाने के लिए किया गया था. इसके अंदर कई कमरे मौजूद हैं, सुरंगें भी बनी हुई हैं जो महल के अंदर तक जाती हैं.''

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महाराजा छत्रसाल के शासनकाल में बनी थी शीतल गढ़ी (ETV Bharat)

छतरपुर: जिले को बसाने वाले महाराजा छत्रसाल की कर्म भूमि धुबेला में आज भी एक ऐसी प्राचीन गढ़ी बनी हुई है, जो इतिहास की अमर गाथा सुनाती है. जिसका निर्माण महाराजा छत्रसाल के नाती द्वारा 17वीं शताब्दी में करवाया था. यह प्रसिद्ध स्मारक समृद्ध बुंदेली कला का उदाहरण है, जो आज के एयर कंडीशनर को भी फेल करती है. इस किले का निर्माण आवासीय उद्देश्य और सुरक्षा की दृष्टि से करवाया गया था. इसके अंदरूनी हिस्से को पत्तेदार पैटर्न से सजाया गया है. जिसको देखने दूर दूर से लोग आते हैं. सेना के आराम, भीषण गर्मी से बचाव और सुरक्षा के लिए यहां गुप्त कमरे व सुरंग आज भी बनी हुई है.

इतिहास समेटे है शीतल गढ़ी
महाराजा छत्रसाल का नाम इतिहास में एक पराक्रमी राजा और बुंदेलखंड के शूरवीर के रूप में दर्ज है. उन्हीं से ही बुंदेलखंड की पहचान होती है. कभी बुंदेलखंड को मुगल आक्रांताओं से बचाकर रखने वाले महाराजा छत्रसाल के समय स्थापित की गई पुरातात्विक धरोहर को आज लोग देखने और इसका इतिहास जानने देश दुनिया से लोग छतरपुर के धुबेला आते हैं. यहां बनी पुरानी इमारतें, महल, गढ़ी का रहस्य जानने की कोशिश करते हैं. उन्हीं में से एक शीतल गढ़ी है जो आज भी अपने अंदर कई इतिहास समेटे हुए है.

एयर कंडीशनर को भी फेल करती 17वीं शताब्दी की शीतल गढ़ी (ETV Bharat)

महाराजा छत्रसाल के नाती ने करवाया था गढ़ी का निर्माण
दरअसल, छतरपुर जिले से 15 किलोमीटर दूर बसे महाराजा छत्रसाल की कर्म भूमि धुबेला में आज भी एक प्राचीन शीतल गढ़ी बनी हुई है, जो पहाड़ी पर बनाई गई थी. प्राचीन समय में इस गढ़ी का निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से ऊंचाई पर करवाया गया था, इस इमारत का निर्माण दीवान कीरत सिंह, जो महाराजा छत्रसाल के नाती एवं द्वितीय पुत्र जगत राज के पुत्र थे, उन्होंने करवाया था. यह 2 मंजिला इमारत है, लेकिन अब यह इमारत खंडहर में धीरे धीरे तब्दील होती जा रही है. लेकिन आज भी इस इमारत की खूबसूरती को देखने दूर दूर से लोग आते हैं.

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एयरकंडीशनर को भी फैल करती है शीतल गढ़ी (ETV Bharat)

सेना के आराम के लिए बनी शीलत गढ़ी में बने गुप्त कमरे
छतरपुर के धुबेला में बनी शीतल गढ़ी बादल महल के सामने स्थित दो मंजिला किला है. जिसको महाराजा छत्रसाल के नाती दीवान कीरत सिंह ने गश्त, सुरक्षा और निगरानी के उद्देश्य से 17वीं शताब्दी में पहाड़ की ऊंचाई पर बनवाया था. शीतल गढ़ी को बनाने के पीछे कई उद्देश्य थे, अगर भीषण गर्मी भी पड़े तो इस गढ़ी में ठंडक रहती थी. इसके अंदर कई गुप्त कमरे बने हुए हैं, जिनमे सेना आराम करती थी. कई गुप्त सुरंगें भी बनी हुई हैं. अगर कोई आक्रमण करे तो सुरंग के जरिये हथियार लाये जा सकें.

CHHATRASAL REIGN SHEETAL GARHI
धुबेला में मौजूद है शीतगढ़ी (ETV Bharat)

यह प्रसिद्ध स्मारक समृद्ध बुंदेली कला का आज भी उदाहरण बनी हुई है, इसके अंदरूनी हिस्से को पत्तेदार पैटर्न से सजाया गया है. वहीं, शीतल गढ़ी की देखरेख करने वाले सिक्योरिटी गार्ड बालादीन दीक्षित बताते हैं, ''यह बहुत प्राचीन गढ़ी है, महाराज ने सेना के लिए बनवाई थी. बगल में प्राणनाथ जी का मंदिर है, बादल महल भी बना है. एक समय ऐसा था जब यहं हमेशा अंधेरा रहता था लेकिन आज हर दम उजाला रहता है.''

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शीतल गढ़ी में मौजूद हैं सुरंगें (ETV Bharat)
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भीषण गर्मी से होता था बचाव (ETV Bharat)
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दूर-दूर से देखने आते हैं लोग (ETV Bharat)

क्या कहते हैं इतिहासकार
वहीं, छतरपुर के इतिहासकार शंकर लाल सोनी बताते हैं ''शीतल गढ़ी का निर्माण 17वीं शताब्दी में महाराजा छत्रसाल के नाती दीवान कीरत सिंह ने करवाया था. जो छत्रसाल के दूसरे पुत्र जगत सिंह के बेटे थे. इसका उद्देश्य सेना की सुरक्षा, महल की निगरानी सहित भीषण गर्मी से सेना को बचाने के लिए किया गया था. इसके अंदर कई कमरे मौजूद हैं, सुरंगें भी बनी हुई हैं जो महल के अंदर तक जाती हैं.''

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महाराजा छत्रसाल के शासनकाल में बनी थी शीतल गढ़ी (ETV Bharat)
Last Updated : June 11, 2025 at 10:35 AM IST
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