छतरपुर के 1000 साल पुराने मंदिर की अद्भुत इंजीनियरिंग, नक्काशी देख फटी रह जाएंगी आंखें
खजुराहो का प्राचीन लक्ष्मण मंदिर अद्भुत वास्तुकला का है नमूना, मंदिर की दीवारों पर कामुकता भरी नक्काशी के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : August 14, 2025 at 6:38 PM IST
|Updated : August 14, 2025 at 8:28 PM IST
छतरपुर: बुंदेलखंड का खजुराहो पर्यटन स्थल देश-दुनिया के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. यहां कई ऐसे प्राचीन मंदिर स्थित हैं जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां आने वाले कई पर्यटक महीनों तक रिसर्च करते हैं और मंदिरों की नक्काशी में छिपी कहानियों को समझने की कोशिश करते हैं. यहां पर एक प्राचीन चंदेलकालीन लक्ष्मण मंदिर है, जिसको करीब 16 हजार शिल्पकारों ने 7 वर्षों की मेहनत से पंचायतन शैली में तैयार किया है. इसके चारों कोनों पर उपमंदिर और ऊंची शिला पर गर्भगृह, मंडप, महामंडप का भव्य निर्माण आज भी अद्भुत इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण है.
मूर्तियों में जीवन, संस्कृति और कामुकता के दर्शन
चंदेलकालीन लक्ष्मण मंदिर का निर्माण 930 से 950 ईस्वी के बीच चंदेल राजा यशोवर्मन ने कराया था. मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों अलौकिक मूर्तियां उकेरी गई हैं, जो उस काल की जीवनशैली, परंपराओं और मान्यताओं को दर्शाती हैं. इनमें नृत्य, संगीत, युद्ध, शिकार जैसे दृश्य, साथ ही विष्णु, शिव, अग्निदेव, गंधर्व, सुर-सुंदरी, देवदासी, तांत्रिक और मिथुन मूर्तियां शामिल हैं. एक विशेष मूर्ति में नायक-नायिका का नख-दंत प्रयोग कामसूत्र के सिद्धांतों का संकेत देता है.
चंदेलकालनी वास्तुकला और मूर्तिकला का अद्भुत उदाहरण
मंदिर की कई मूर्तियां खंडित होने के कारण यहां नियमित पूजा नहीं होती, केवल दर्शन किए जाते हैं. गर्भगृह में भगवान विष्णु की त्रिमूर्ति विराजमान हैं. बाहरी दीवारों और चबूतरे पर युद्ध, शिकार, अप्सराएं और सामूहिक मैथुन के दृश्य भी उकेरे गए हैं, जो खजुराहो की कामुक कला की पहचान हैं. लक्ष्मण मंदिर के सामने 2 छोटे मंदिर हैं. इनमें एक लक्ष्मी मंदिर व दूसरा वराह मंदिर बना हुआ है. ये भी चंदेलकालीन वास्तुकला और मूर्तिकला के अद्भुत उदाहरण हैं.

शानदार इंजीनियरिंग का है नमूना
इतिहासकार सीएम शुक्ला बताते हैं कि "इस मंदिर को देखकर ये एहसास होता है कि उस समय की इंजीनियरिंग कितनी शानदार रही होगी जो इस मंदिर को इतना अद्भुत बना दिया. इस मंदिर की लंबाई 29 मीटर और चौड़ाई 13 मीटर है. मंदिर बलुआ पत्थरों से बनाया गया है.

मंदिर के अर्धमंडप, मंडप, महामंडप और गर्भगृह की बाहरी दीवारों पर कुछ प्रतिमाएं बनीं हुईं है, जिन्हें देवी-देवतागण, युग्म और मिथुन कहा जाता है. इसके अलावा मंदिर के बाहरी हिस्से की दीवारों तथा चबूतरे पर युद्ध, शिकार, हाथी, घोड़े, सैनिक, अप्सराओं और मिथुनाकृतियों की नक्काशी की गई है."

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कामुकता भरी नक्काशी के लिए पूरी दुनिया में विख्यात

छतरपुर निवासी और खजुराहो के मंदिरों की समझ रखने वाले जितेंद्र रिक्षरिया बताते हैं कि "खजुराहो के मंदिर हजारों साल पुराने हैं और अपनी शानदार वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं. लक्ष्मण मंदिर अपनी वास्तुकला और कामुकता भरी नक्काशी के लिए विश्व विख्यात है. बड़े-बड़े मंडप, बारीक नक्काशी और मूर्तियों की कलात्मकता इसे अद्वितीय बनाती है. मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान के दर्शन के साथ कला का अद्भुत अनुभव होता है"

