छतरपुर: खजुराहो को मंदिरों की भूमि कहा जाता है. यहां पर कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिर आज भी मौजूद हैं, जिनसे जुड़ी कई कथाएं और रहस्य प्रचलित हैं. इन्हीं में से एक 9वीं शताब्दी का बना चौसठ योगिनी मंदिर है. यहां छोटे-छोटे 64 मंदिर बने हैं. यह मंदिर तंत्र-मंत्र क्रिया के लिए भी देश में प्रसिद्ध है. इस मंदिर का रहस्य जानने और तंत्र क्रिया के लिए आज भी भारी संख्या में लोग यहां आते हैं. हालांकि अति प्राचीन होने के कारण ज्यादातर मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गए हैं. वर्तमान में सिर्फ 35 मंदिर ही ठीकठाक स्थिति में बचे हुए हैं.
'भारत का इकलौता आयताकार मंदिर है'
इतिहासकार शंकर लाल सोनी ने बताया कि "9वीं शताब्दी का बना ये मंदिर भारत का इकलौता मंदिर है जो आयताकार में बना है. यहां अघोरी अपने तंत्र-मंत्र से 64 देवियों को प्रसन्न करने के लिए साधना करते हैं. इस मंदिर की कलाकृति अद्भुत है, खासकर इसमें लगे पत्थर बहुत सुंदर हैं.
इस मंदिर की एक सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह दक्षिण से पश्चिम दिशा में आयताकार में बना है. आज भी यहां बाबा और बैरागी लोग तंत्र-मंत्र और अपनी सिद्धी पूरी करने के लिए आते हैं. हालांकि आज ये मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है, लेकिन फिर भी यहां देश-विदेश से लोग आते हैं और अद्भुत कलाकृति देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.


क्या होता है चौसठ योगिनी मंदिर?
चौसठ योगिनी हिंदू धर्म की तांत्रिक परंपरा में देवी शक्ति के 64 रूपों का एक समूह है. ये योगिनियां देवी के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जैसे ज्ञान, शक्ति, सौंदर्य और करुणा. चौसठ योगिनी मंदिरों को अक्सर गोलाकार या आयताकार संरचनाओं में बनाया जाता है, जिनमें प्रत्येक में 64 छोटे कक्ष होते हैं, जो प्रत्येक योगिनी को समर्पित होते हैं.

ये माना जाता है कि चंदेल राजाओं के द्वारा यहां पर समय-समय पर तांत्रिक अनुष्ठान कराए जाते थे. ऐसी मान्यता है कि यदि खजुराहो क्षेत्र में कोई भी विकट समस्या आती थी तो चौसठ जोगनी मंदिर में पूजा और अनुष्ठान करा कर उसको शांत किया जाता था. इसको तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है.