शिमला: सरकारी नौकरियों की दौड़ में अब फर्जी पहचान और हाईटेक नकल के जरिए छलावा भी आम हो चला है. नवोदय विद्यालय समिति की परीक्षा में ऐसा ही मामला सामने आया जहां एक युवक किसी और की जगह परीक्षा देने पहुंचा, वो भी पूरी तैयारी के साथ. पर तकनीकी सुरक्षा में एक छोटी सी चूक ने नकल के इस जाल को उजागर कर दिया.राजधानी शिमला के डीएवी न्यू शिमला परीक्षा केंद्र में यह फर्जी परीक्षार्थी बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन तक तो पहुंच गया, लेकिन आधार कार्ड की फोटो और हस्ताक्षर से उसकी सच्चाई सामने आ गई.
बायोमेट्रिक पास, पहचान फेल
पकड़े गए आरोपी की पहचान जतिन पुत्र शिवराज सिंह निवासी फिरोजफर (उत्तर प्रदेश) के रूप में हुई है. यह युवक असली अभ्यर्थी आलोक शर्मा की जगह परीक्षा देने आया था. बायोमेट्रिक मिलान में फिंगरप्रिंट सही पाए गए, लेकिन जब आधार कार्ड और एडमिट कार्ड की जांच की गई तो फोटो और हस्ताक्षर में फर्क नजर आया. इस पर परीक्षा केंद्र में तैनात कर्मियों को शक हुआ. परीक्षा नियंत्रक लवलीन राजन ने तत्काल न्यू शिमला थाने को सूचित किया और आरोपी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
हरियाणा गिरोह की साजिश, 39 के खिलाफ केस
एसपी शिमला संजीव गांधी ने बताया कि जवाहर नवोदय विद्यालय समिति (NVS) की नॉन-टीचिंग और लिमिटेड डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिटिव एग्जाम (LDCE) के दौरान शिमला के छह परीक्षा केंद्रों पर कुल 39 उम्मीदवारों (34 पुरुष और 5 महिलाएं) को नकल या अन्य अनुचित साधनों के इस्तेमाल करते हुए पकड़ा गया है. ये सभी हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से संबंधित हैं.
इन सभी पर पब्लिक एग्जाम (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की प्रासंगिक धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और बाकी मामलों में जांच जारी है.
जांच एजेंसियां सतर्क, सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर परीक्षा प्रणाली की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जबकि बायोमेट्रिक जांच को सबसे सुरक्षित उपाय माना जाता रहा है, यह घटना बताती है कि नकल गिरोह अब तकनीक को भी मात देने की कोशिश में लगे हैं.
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