शिमला: हिमाचल में मई महीने से लाखों परिवारों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. डिपो संचालकों ने सरकार को अल्टीमेटम जारी किया है कि अगर 30 अप्रैल तक डिपो में स्थापित की गई POS मशीनों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी को बहाल नहीं किया गया तो 1 मई से प्रदेश भर के डिपुओं में सस्ते राशन का वितरण की व्यवस्था को बंद किया जाएगा. ऐसे में लाखों उपभोक्ताओं को पेश आने वाली परेशानी के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी.
डिपो संचालकों का तर्क है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने डिपो संचालकों से राशन वितरण के एवज में प्रति माह 20 हजार रुपए मासिक वेतन और डिपुओं में नेट कनेक्टिविटी को बहाल किए जाने का भरोसा दिया था, लेकिन प्रदेश में सरकार बने दो साल से अधिक का समय हो गया है, फिर भी अभी तक सरकार ने अपने वादे को पूरा नहीं किया है. इस तरह से अब डिपो संचालकों के सब्र का बांध टूट गया है, जिसके बाद डिपुओं में सस्ते राशन के वितरण को रोके जाने का निर्णय लिया गया है.
5G के जमाने में 2G से चलाया जा रहा काम
हिमाचल भी टेक्नोलॉजी के दौर में लगातार आगे बढ़ रहा है. प्रदेश में नेटवर्क पर 5G की सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं, प्रदेशभर के डिपुओं में स्थापित की गई POS मशीनों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी अभी 2G से आगे नहीं बढ़ पाई है. यही नहीं टेक्नोलॉजी के दौर में 8 से 10 दिनों तक सर्वर भी डाउन रहता है, जिससे उपभोक्ताओं को भी डिपुओं के कई चक्कर काटने पड़ रहे हैं. जिससे उनका कीमती समय बर्बाद हो रहा है.
वहीं, डिपो संचालकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन बार-बार विभाग के ध्यान में मामले लाए जाने के बाद भी डिपो संचालकों की समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है. ऐसे में अब डिपो संचालकों में पहली मई से राशन वितरण न करने का अल्टीमेट जारी कर दिया है.
वहीं, उपभोक्ता कमल ने कहा, "इंटरनेट की स्पीड कम होने से राशन खरीदने में समय बर्बाद हो जाता है. इसलिए सरकार की डिपो में 5G की सुविधा देनी चाहिए, ताकि राशन खरीदने में उपभोक्ताओं का समय बर्बाद न हो".
4 फीसदी कमीशन कर काम कर रहे डिपो संचालक
हिमाचल में कुल 5300 डिपुओं के माध्यम से उपभोक्ताओं का राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, इसकी एवज में मुनाफे के नाम पर डिपो संचालकों को कुल बिक्री पर 4 फीसदी कमीशन दिया जा रहा है. यानी 1 लाख की बिक्री पर डिपो संचालकों को 4 हजार कमीशन मिलता है. वहीं, डिपो संचालकों के मुताबिक इसी कमीशन से दुकानों का किराया भी चुकाना पड़ता है. इसके अतिरिक्त बिजली बिल और 8 साल पुरानी POS मशीनों में इंटरनेट की व्यवस्था के लिए हर महीने 470 रुपए इंटरनेट पर खर्च करने पड़ रहे हैं.
वहीं होलसेल गोदाम से राशन उठाने के लिए पहले ही सिविल सप्लाई कारपोरेशन के खाते में एडवांस में पैसे डालने पड़ रहे है. इसी तरह से प्रति वर्ष 800 रुपए लाइसेंस नवीकरण पर खर्च हो रहे हैं. इसके अलावा डिपो संचालकों को हर साल वेइंग मशीन के पास करने पर भी जेब से पैसा खर्च करना पड़ रहा है.
ऐसे में पूरा कमीशन राशन वितरण की व्यवस्था में ही खत्म हो जाता है, जिसमें डिपो संचालकों की जेब में मुनाफे के नाममात्र ही पैसा आ रहा है. इसलिए डिपो संचालकों ने सरकार को 6 महीने में 20 हजार रुपए मासिक वेतन देने का भी अल्टीमेटम जारी कर दिया है. अगर सरकार इस मांग को पूरा नहीं करती है तो प्रदेश भर में होलसेल गोदामों से राशन उठाना बंद कर दिया जाएगा.
हिमाचल प्रदेश डिपो संचालक समिति के अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा, "डिपो में जब POS मशीनों को लगाने के लिए कंपनी को ठेका दिया गया था तो MoU के मुताबिक इंटरनेट कनेक्टिविटी भी कंपनी की जिम्मेवारी थी, लेकिन अब इंटरनेट के लिए डिपो संचालकों को ही अपनी जेब से ही पैसा खर्च करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अभी भी नेट कनेक्टिविटी 2G के सहारे चल रही है, जिससे राशन वितरण में भारी परेशानी हो रही है. साथ ही उपभोक्ताओं का भी समय बर्बाद हो रहा है. इसलिए सरकार को 30 अप्रैल तक कनेक्टिविटी बहाल करने का अल्टीमेटम दिया गया है. अगर इस अवधि में डिपो संचालक की मांग पूरी नहीं होती है तो प्रदेश भर में 1 मई से डिपुओं के माध्यम से राशन वितरण की व्यवस्था को बंद कर दिया जाएगा".
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