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चैत्र नवरात्रि 2025: मां ब्रह्म्चारिणी और चंद्रघंटा की पूजा एक साथ, शीतला माता मंदिर में लगा भक्तों का तांता - CHAITRA NAVRATRI 2025

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां बह्मचारिणी-चंद्रघंटा की एक साथ अराधना हो रही है. गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर में भक्तों का तांता लगा है.

Chaitra Navratri 2025
चैत्र नवरात्रि 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : March 31, 2025 at 11:56 AM IST

Updated : March 31, 2025 at 12:19 PM IST

3 Min Read

गुरुग्राम: आज यानी सोमवार, 31 मार्च को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत पवित्र और दिव्य माना जाता है. नवरात्रि के दूसरे दिन भी शीतला माता मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. माता शीतला मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किया. दूसरा और तीसरा नवरात्र आज ही मनाया जा रहा है. इसलिए आज मां चंद्रघंटा की भी पूजा की जाती है.

मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें भोग:मां ब्रह्मचारिणी को मीठे पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है. विशेष रूप से मां को दूध, मिश्री से बनी मिठाइयों या पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग गुलाबी होता है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा पूजा के समय मां ब्रह्मचारिणी के एक साथ मां चंद्रघंटा की भी पूजा करें. दोनों ही माताओं के मंत्रों का जाप करें. साथ ही देवी दुर्गा के दोनों स्वरूपों की आरती भी करें. इससे एक ही दिन में आपको दनों नवरात्रि की पूजा का फल मिलेगा.

Chaitra Navratri 2025
मां ब्रह्म्चारिणी और चंद्रघंटा की पूजा एक साथ (Etv Bharat)

कठिन तप से की थी भगवान शिव की प्राप्ति: गुरुग्राम के प्रसिद्ध माता शीतला मंदिर में आज बड़ी संख्या में भक्तों ने माता के दर्शन किए. चैत्र मास और नवरात्रि के दूसरे दिन दुर्गा माता की ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा की जाती है. यह मान्यता है कि मां दुर्गा ने ब्रह्मचारिणी का रूप धारण कर भगवान शिव की तपस्या की थी और इसी तपस्या के आधार पर शिव की प्राप्ति हुई थी. आज के दिन मां का व्रत रखने से और दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. तो वहीं, ब्रह्मचारिणी के रूप में मां को लक्ष्मी का भी रूप दिया गया है.

महाभारत काल में हुआ था मंदिर का निर्माण (Etv Bharat)

महाभारत काल में हुआ था मंदिर का निर्माण: गुरुग्राम में सदियों पुराने मंदिर मां शीतला के दरबार में नवरात्रि के पहले दिन से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. दूर-दराज से भक्त आकर मां शीतला का दर्शन कर रहे हैं. मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा कर रहे हैं. बताया जाता है कि गुरुग्राम में शीतला माता मंदिर का निर्माण महाभारत काल के समय से ही किया गया था. मान्यता है कि शीतला मां दुख-दर्द के साथ सभी कष्टों को हर लेती हैं. लोगों को एक सुखमय जीवन प्रदान करती हैं. माता शीतला मंदिर में नवरात्रि के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे हैं.

ये भी पढ़ें: चैत्र नवरात्र का रख रहे हैं व्रत तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान, बनी रहेगी देवी की कृपा

ये भी पढ़ें: आज का राशिफल: नए सप्ताह का पहला दिन इस राशि के जातकों को देगा खुशखबरी, पढ़ें भविष्यफल

गुरुग्राम: आज यानी सोमवार, 31 मार्च को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत पवित्र और दिव्य माना जाता है. नवरात्रि के दूसरे दिन भी शीतला माता मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. माता शीतला मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किया. दूसरा और तीसरा नवरात्र आज ही मनाया जा रहा है. इसलिए आज मां चंद्रघंटा की भी पूजा की जाती है.

मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें भोग:मां ब्रह्मचारिणी को मीठे पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है. विशेष रूप से मां को दूध, मिश्री से बनी मिठाइयों या पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है. चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग गुलाबी होता है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा पूजा के समय मां ब्रह्मचारिणी के एक साथ मां चंद्रघंटा की भी पूजा करें. दोनों ही माताओं के मंत्रों का जाप करें. साथ ही देवी दुर्गा के दोनों स्वरूपों की आरती भी करें. इससे एक ही दिन में आपको दनों नवरात्रि की पूजा का फल मिलेगा.

Chaitra Navratri 2025
मां ब्रह्म्चारिणी और चंद्रघंटा की पूजा एक साथ (Etv Bharat)

कठिन तप से की थी भगवान शिव की प्राप्ति: गुरुग्राम के प्रसिद्ध माता शीतला मंदिर में आज बड़ी संख्या में भक्तों ने माता के दर्शन किए. चैत्र मास और नवरात्रि के दूसरे दिन दुर्गा माता की ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा की जाती है. यह मान्यता है कि मां दुर्गा ने ब्रह्मचारिणी का रूप धारण कर भगवान शिव की तपस्या की थी और इसी तपस्या के आधार पर शिव की प्राप्ति हुई थी. आज के दिन मां का व्रत रखने से और दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. तो वहीं, ब्रह्मचारिणी के रूप में मां को लक्ष्मी का भी रूप दिया गया है.

महाभारत काल में हुआ था मंदिर का निर्माण (Etv Bharat)

महाभारत काल में हुआ था मंदिर का निर्माण: गुरुग्राम में सदियों पुराने मंदिर मां शीतला के दरबार में नवरात्रि के पहले दिन से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. दूर-दराज से भक्त आकर मां शीतला का दर्शन कर रहे हैं. मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा कर रहे हैं. बताया जाता है कि गुरुग्राम में शीतला माता मंदिर का निर्माण महाभारत काल के समय से ही किया गया था. मान्यता है कि शीतला मां दुख-दर्द के साथ सभी कष्टों को हर लेती हैं. लोगों को एक सुखमय जीवन प्रदान करती हैं. माता शीतला मंदिर में नवरात्रि के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे हैं.

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Last Updated : March 31, 2025 at 12:19 PM IST
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