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चौथे दिन ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा, दूर होंगे सभी रोग, भय से मिलेगी मुक्ति - CHAITRA NAVRATRI 2025

आज चैत्र नवरात्रि का चौथा नवरात्र है. चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है.

Chaitra Navratri 2025
चौथे नवरात्र पर होती है मां कुष्मांडा की उपासना (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 1, 2025 at 6:46 AM IST

Updated : April 1, 2025 at 7:31 AM IST

3 Min Read

शिमला: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. आज यानि कि 1 अप्रैल को देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है. नवरात्रि पर हर एक दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.

"इस बार दूसरा और तीसरा नवरात्र एक साथ था, इसलिए द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी) और तृतीया (मां चंद्रघंटा) की पूजा एक साथ की गई. ऐसे में आज चौथा नवरात्र मनाया जा रहा है. चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति के सभी रोग, भय और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. भगवती पुराण में देवी कुष्मांडा को अष्टभुजा से युक्त बताया है." - नरेश कुमार, पुजारी, कामना देवी मंदिर शिमला

मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य माना गया है. उनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण किए हुए हैं. मां कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. उनका यह स्वरूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है.

Chaitra Navratri 2025
मां कुष्मांडा (ETV Bharat GFX)

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि: पूजा करने से पहले स्नान करें और अपने शरीर और मन को शुद्ध करें.
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक सुंदर और स्वच्छ आसन बिछाएं.
  3. पूजा की सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि फूल, अक्षत, धूप, दीप, और प्रसाद तैयार रखें.
  4. मां कुष्मांडा की पूजा: मां कुष्मांडा की पूजा करें और उन्हें लाल फूल और लाल चुनरी चढ़ाएं.
  5. मंत्र जाप: मां कुष्मांडा के मंत्र "ॐ कुष्माण्डायै नमः" का जाप करें.

इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडा देवी नमः"

Chaitra Navratri 2025
चैत्र नवरात्रि 2025 (ETV Bharat GFX)

नवरात्रि में इन नियमों का करें पालन

  • मांस-मछली या मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें.
  • बाल-दाढ़ी और नाखून कटवाने या काटने से बचें.
  • घर पर कलह-क्लेश जैसी स्थिति उत्पन्न न करें और वाद-विवाद से दूर रहें.
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और घर को गंदा बिल्कुन न रखें.

मां कुष्मांडा की आरती

जय अम्बे कुष्मांडा, मां जय अम्बे कुष्मांडा,
जगदम्बे जय जगदम्बे, मां जय अम्बे कुष्मांडा.

चन्द्र समान मुख मंडल तेरा, नयन त्रय शोभित मां,
स्वर्ण वर्ण तन चमके निरंतर, रत्न जटित श्रृंगार. जय अम्बे कुष्मांडा.

अष्ट भुजा धारिणी माता, शस्त्र सजी तेरी भुजा.
कमल, कमंडल, धनुष, बाण, जप माला, गदा. जय अम्बे कुष्मांडा.

रक्त बीज को संहारा तुमने, असुरों का किया अंत,
भक्तों की रक्षा करती तुम, दुष्टों का करती अंत. जय अम्बे कुष्मांडा.

सिद्धि बुद्धि की दाता तुम हो, ऋद्धि की भी दाता,
तुम्हें ध्याये तुम्हें पूजे, सब इच्छा हो पूरी माता. जय अम्बे कुष्मांडा.

ये भी पढ़ें: चैत्र नवरात्रि में खरमास का इन राशियों पर पड़ेगा अशुभ प्रभाव, कोई शुभ कार्य करने से पहले जान लें ये बातें

ये भी पढ़ें: इस बार सिर्फ 8 दिनों की होगी नवरात्रि, एक ही दिन होगी मां ब्रह्मचारिणी और चंद्रघंटा की पूजा

ये भी पढ़ें: नवरात्रि के व्रत में क्या नहीं खाया जाता, ये हैं फास्टिंग के नियम और लाभ

ये भी पढ़ें: नवरात्रि के 9 दिन इन रंगों के पहने कपड़े, जानें कैसे लगाएं देवी को भोग

शिमला: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. आज यानि कि 1 अप्रैल को देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है. नवरात्रि पर हर एक दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.

"इस बार दूसरा और तीसरा नवरात्र एक साथ था, इसलिए द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी) और तृतीया (मां चंद्रघंटा) की पूजा एक साथ की गई. ऐसे में आज चौथा नवरात्र मनाया जा रहा है. चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति के सभी रोग, भय और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. भगवती पुराण में देवी कुष्मांडा को अष्टभुजा से युक्त बताया है." - नरेश कुमार, पुजारी, कामना देवी मंदिर शिमला

मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य माना गया है. उनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण किए हुए हैं. मां कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. उनका यह स्वरूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है.

Chaitra Navratri 2025
मां कुष्मांडा (ETV Bharat GFX)

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि: पूजा करने से पहले स्नान करें और अपने शरीर और मन को शुद्ध करें.
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक सुंदर और स्वच्छ आसन बिछाएं.
  3. पूजा की सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि फूल, अक्षत, धूप, दीप, और प्रसाद तैयार रखें.
  4. मां कुष्मांडा की पूजा: मां कुष्मांडा की पूजा करें और उन्हें लाल फूल और लाल चुनरी चढ़ाएं.
  5. मंत्र जाप: मां कुष्मांडा के मंत्र "ॐ कुष्माण्डायै नमः" का जाप करें.

इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडा देवी नमः"

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नवरात्रि में इन नियमों का करें पालन

  • मांस-मछली या मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें.
  • बाल-दाढ़ी और नाखून कटवाने या काटने से बचें.
  • घर पर कलह-क्लेश जैसी स्थिति उत्पन्न न करें और वाद-विवाद से दूर रहें.
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और घर को गंदा बिल्कुन न रखें.

मां कुष्मांडा की आरती

जय अम्बे कुष्मांडा, मां जय अम्बे कुष्मांडा,
जगदम्बे जय जगदम्बे, मां जय अम्बे कुष्मांडा.

चन्द्र समान मुख मंडल तेरा, नयन त्रय शोभित मां,
स्वर्ण वर्ण तन चमके निरंतर, रत्न जटित श्रृंगार. जय अम्बे कुष्मांडा.

अष्ट भुजा धारिणी माता, शस्त्र सजी तेरी भुजा.
कमल, कमंडल, धनुष, बाण, जप माला, गदा. जय अम्बे कुष्मांडा.

रक्त बीज को संहारा तुमने, असुरों का किया अंत,
भक्तों की रक्षा करती तुम, दुष्टों का करती अंत. जय अम्बे कुष्मांडा.

सिद्धि बुद्धि की दाता तुम हो, ऋद्धि की भी दाता,
तुम्हें ध्याये तुम्हें पूजे, सब इच्छा हो पूरी माता. जय अम्बे कुष्मांडा.

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Last Updated : April 1, 2025 at 7:31 AM IST
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