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चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन आज, मां कुष्मांडा को प्रसन्न कर सफल होता है व्रत, जानें पूजा का सही विधि-विधान - CHAITRA NAVRATRI 2025

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की आराधना की जाती है. माता की पूजा करने से धन-बल की प्राप्ति की मान्यता है.

Chaitra Navratri 2025
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन आज (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 1, 2025 at 11:00 AM IST

3 Min Read

चैत्र नवरात्रि स्पेशल: आज मंगलवार, 1 अप्रैल को नवरात्रि का चौथा दिन है. आज मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. इस दिन विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना होती है. भक्त माता रानी को भोग में मिठाई, फल और मालपुआ अर्पित करते हैं. मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन माता की पूजा-अर्चना करने से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. देवी पुराण के अनुसार, विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. माता कुष्मांडा का व्रत करने से बुद्धि का भी विकास होता है.

माता रानी का दिव्य स्वरूप: मां कुष्मांडा 8 भुजाओं वाली दिव्य शक्ति हैं. माता कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. उन्हें परमेश्वरी का रूप माना जाता है. देवी पुराण में बताया गया है कि विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा जरूर करनी चाहिए. मां दुर्गा उनकी बुद्धि का विकास करने में सहायक होती हैं. माता रानी कामों में आने वाली सभी रुकावटों को दूर कर देती हैं. देवी कुष्मांडा, दुर्गा मां का चौथा रूप है. देवी भागवत पुराण में उनकी महिमा का वर्णन है.

मां मुस्कान से दूर कर देती हैं अंधेरा: मान्यता है कि माता कुष्मांडा की एक हल्की सी मुस्कान अंधकार को दूर कर देती हैं. इसलिए आज के दिन माता रानी को प्रसन्न करना भक्तों के लिए बहुत शुभ माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता कुष्मांडा ने अपनी हल्की सी मुस्कान से ब्रह्मांड बनाया था और सृष्टि के अंधकार को अपनी हल्की सी मुस्कान से ही दूर कर दिया था. माता में सूर्य की गर्मी सहने की शक्ति है. इसलिए उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति और ऊर्जा मिलती है.

ऐसे करें माता कुष्मांडा को प्रसन्न: नवरात्रि के चौथे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पूजा की तैयारी करें. मां कुष्मांडा के व्रत का संकल्प लें. सबसे पहले गंगाजल से पूजा के स्थान को पवित्र करें और फिर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. मां की प्रतिमा स्थापित करने के बाद माता कुष्मांडा का ध्यान करें. पूजा में पीले वस्त्र फूल, फल, मिठाई, दीप, धूप, अक्षत अर्पित करें. इसके बाद माता रानी की आरती उतारें और भोग लगाएं. इसके बाद अपनी भूल-चूक की भी माता रानी से क्षमा याचना करें और फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

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चैत्र नवरात्रि स्पेशल: आज मंगलवार, 1 अप्रैल को नवरात्रि का चौथा दिन है. आज मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. इस दिन विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना होती है. भक्त माता रानी को भोग में मिठाई, फल और मालपुआ अर्पित करते हैं. मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन माता की पूजा-अर्चना करने से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. देवी पुराण के अनुसार, विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. माता कुष्मांडा का व्रत करने से बुद्धि का भी विकास होता है.

माता रानी का दिव्य स्वरूप: मां कुष्मांडा 8 भुजाओं वाली दिव्य शक्ति हैं. माता कुष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. उन्हें परमेश्वरी का रूप माना जाता है. देवी पुराण में बताया गया है कि विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा जरूर करनी चाहिए. मां दुर्गा उनकी बुद्धि का विकास करने में सहायक होती हैं. माता रानी कामों में आने वाली सभी रुकावटों को दूर कर देती हैं. देवी कुष्मांडा, दुर्गा मां का चौथा रूप है. देवी भागवत पुराण में उनकी महिमा का वर्णन है.

मां मुस्कान से दूर कर देती हैं अंधेरा: मान्यता है कि माता कुष्मांडा की एक हल्की सी मुस्कान अंधकार को दूर कर देती हैं. इसलिए आज के दिन माता रानी को प्रसन्न करना भक्तों के लिए बहुत शुभ माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता कुष्मांडा ने अपनी हल्की सी मुस्कान से ब्रह्मांड बनाया था और सृष्टि के अंधकार को अपनी हल्की सी मुस्कान से ही दूर कर दिया था. माता में सूर्य की गर्मी सहने की शक्ति है. इसलिए उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति और ऊर्जा मिलती है.

ऐसे करें माता कुष्मांडा को प्रसन्न: नवरात्रि के चौथे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पूजा की तैयारी करें. मां कुष्मांडा के व्रत का संकल्प लें. सबसे पहले गंगाजल से पूजा के स्थान को पवित्र करें और फिर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. मां की प्रतिमा स्थापित करने के बाद माता कुष्मांडा का ध्यान करें. पूजा में पीले वस्त्र फूल, फल, मिठाई, दीप, धूप, अक्षत अर्पित करें. इसके बाद माता रानी की आरती उतारें और भोग लगाएं. इसके बाद अपनी भूल-चूक की भी माता रानी से क्षमा याचना करें और फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

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