रायपुर: प्रदेश में डीएमएफ घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू का एक्शन जारी है. आर्थिक अपराध शाखा ने मंगलवार को इस घोटाले में सात सरकारी कर्मियों और दो अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है. पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान डीएमएफ घोटाले के आरोप है.
रायपुर की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल: आर्थिक अपराध शाखा ने अपने एक बयान में यह कहा कि करीब 6,000 पन्नों का आरोपपत्र राजधानी रायपुर की एक विशेष अदालत में दाखिल किया गया, जिसमें सात सरकारी कर्मचारियों समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया है.
किन किन कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज हुआ चार्जशीट?: जिन आरोपियों के नाम इस आरोप पत्र में शामिल हैं. उनमें निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, जो उस समय कोरबा जिले की कलेक्टर के पद पर तैनात थीं, उनका नाम शामिल है. इसके अलावा इन लोगों के नाम आरोप पत्र में शामिल हैं.
- मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया
- आदिवासी विकास विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर
- तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर और डीएमएफ (कोरबा) के नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर
- तीन तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) मुनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र राठौर और राधेश्याम मिर्झा का नाम है.
- व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी और बिचौलिया मनोज द्विवेदी को भी आरोपी बनाया गया है
- सभी आरोपी फिलहाल न्यायिक रिमांड पर सेंट्रल जेल रायपुर में बंद हैं
आरोप पत्र में क्या कहा गया ?: EOW के आरोप पत्र में कहा गया है कि साल 2021-22 और 2022-23 में आरोपियों ने अपने प्रायोजित प्रोपराइटर विक्रेता के माध्यम से आपराधिक साजिश रचकर कोरबा जिले में डीएमएफ फंड के तहत टेंडरिंग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताएं कीं और अपने लिए अनुचित लाभ प्राप्त किया. सुनियोजित साजिश के तहत प्रायोजित प्रोपराइटर विक्रेता को टेंडर आवंटित किया गया और आरोपियों (लोक सेवकों) द्वारा कुल टेंडर मूल्य का लगभग 40 प्रतिशत (लगभग 75 करोड़ रुपये) कमीशन प्राप्त कर सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाया गया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कथित डीएमएफ घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रहा है.
ईडी की रिपोर्ट पर EOW ने दर्ज किया था केस: ईडी की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्लू ने धारा 120 बी 420 के तहत मामला दर्ज किया है.डीएमएफ कोरबा जिले के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमिताएं की गई है.टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया.टेंडर करने वाले संजय शिंदे,अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू ,अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए .ऐसा ईडी का आरोप है.
ईडी ने क्या दावा किया था: ईडी का दावा है कि टेंडर हासिल करने के लिए ठेकेदारों ने अफसर और नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है .यह राशि ठेके का 25% से 40% तक था। इसमें कई आपत्तिजनक विवरण, फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है. तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया है.आठ बैंक खाता सीज किए गए हैं. इन खातों में 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फॉर्मा से संबंधित विभिन्न स्टांप, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जप्त किए गए हैं.
सरकारी खजाने को पहुंचाया गया नुकसान: डीएमएफ घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो जांच कर रही है. दोनों की जांच में यह सामने आया है कि जिला खनिज निधि में भ्रष्टाचार हुआ है.आरोप है कि राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनेताओं की मिली भगत से डीएमएफ ठेकेदार द्वारा सरकारी खजाने से रकम निकाली गई है
ईडी ने कहां कहां की थी कार्रवाई ?: इससे पहले ईडी ने कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर ,सूरजपुर, बलरामपुर और बैकुंठपुर में छापेमारी की थी . बालोद के डोंडीनगर में पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया के प्रतिनिधि पियूष सोनी, बैकुंठपुर जनपद के सीईओ राधेश्याम मिर्झा और कोरबा में कांग्रेस नेता जेपी अग्रवाल के घर कार्रवाई की गई है . छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में ईडी ने चार जगह छापे मार की कार्रवाई की थी, यहां से 1.11 करोड़ रुपये कैश, बैंक जमा और दस्तावेज सीज किए गए हैं.
छत्तीसगढ़ डीएमएफ घोटाला मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, छत्तीसगढ़ राज्य सेवा अधिकारी माया वारियर, एनजीओ के सेक्रेटरी मनोज कुमार द्विवेदी, रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद है . चार आरोपियों में राधेश्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज ,वीरेंद्र कुमार राठौर और भरोसा राम ठाकुर को भी गिरफ्तार किया गया है.