दमोह: मिशन अस्पताल में हुई सात मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग के जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. जांच में यह सामने आया है कि फर्जी दस्तावेज के जरिए कैथलैब का अवैध रूप से संचालन हो रहा था.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संदीप मिश्रा ने आज मीडिया को बताया "मिशन अस्पताल में जिस कैथलैब को सील किया गया था जब उसकी जांच मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा गठित दल ने की तो पाया कि कैथलैब का अवैध रूप से संचालन हो रहा था. जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर अखिलेश दुबे के फर्जी हस्ताक्षर करके कैथलैब संचालन की अनुमति बनाई गई थी. जिसमें कुछ मरीजों की एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी करना पाया गया.
पुलिस ने नौ लोगों को मामले में बनाया है आरोपी
स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर कोतवाली में अपराध संख्या 245/25 318 (4), 336 (2), 340 (2), 105, 3, 5 बीएनएस मध्य प्रदेश उपचार एवं रूजोपचार अधिनियम रजिस्ट्रीकरण एवं अधिज्ञापन अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 2021 की धारा 12 के अपराध के तहत केस दर्ज किया गया है. जिन नौ लोगों को मामले में आरोपी बनाया गया है उनमें असीम, फ्रैंक हैरिसन, इंदु, जीवन, रोशन, कदीर युसूफ, डॉ अजय लाल, संजीव लैंबर्ट तथा विजय लैंबर्ट के नाम शामिल हैं.
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मिशन अस्पताल के फर्जीवाड़े के मामले सामने आने के बाद अब लाल बंधुओ और संचालक मंडल की परेशानियां और बढ़ने वाली हैं. पुलिस अधीक्षक द्वारा एसटीएफ का गठन किए जाने के बाद मामले की गहन जांच शुरू हो गई है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर अलग से जांच कर रहा है.
मामले में आवेदन दिए जाने के डेढ़ माह बाद भी प्रशासन ने नहीं लिया था कोई एक्शन
गौरतलब है कि मामले के सुर्खियों में आने के बाद प्रदेश सरकार ने इसको संज्ञान में लिया था. जब यह पाया कि आवेदन दिए जाने के डेढ़ माह बाद भी प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया तब स्वयं एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नाराजगी जाहिर की थी. जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया एवं मामले की जांच शुरू हुई तथा मुकदमा दर्ज किया गया.