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पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कल होगी पहली बैठक, मंत्रिमंडलीय उप समिति में ये नेता शामिल - CABINET SUB COMMITTEE FORMATION

पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद धामी सरकार ने मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की है.

Directorate Uttarakhand Panchayati Raj
निदेशालय उत्तराखंड पंचायती राज (FILE PHOTO ETV Bharat))
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : June 6, 2025 at 11:11 AM IST

3 Min Read

देहरादून: हरिद्वार जिला छोड़ प्रदेश के 12 जिलों के पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसे में राज्य सरकार ने पंचायत को संकट से बाहर निकालने के लिए राह तलाशने को मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की है. कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में गठित उप समिति में रेखा आर्य और सौरभ बहुगुणा को बतौर सदस्य नामित किया गया है. ऐसे में 7 जून को मंत्रिमंडलीय उप समिति की पहली बैठक होने जा रही है. जिसमें पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करने पर चर्चा की जाएगी.

दरअसल, 4 जून को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान त्रिस्तरीय पंचायत को लेकर अनौपचारिक चर्चा की गई थी. इसके बाद 5 जून को मुख्यमंत्री ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारण को वर्मा आयोग की संस्कृतियों के आधार पर नियमावली के परीक्षण के लिए तीन सदस्य मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित कर दी है. यह समिति पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को नए सिरे से तैयार करेगा, ताकि इसे राज भवन भेजा जा सके. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करने को लेकर भले ही राज्य सरकार तैयारी का दावा कर रही हो, लेकिन मानसून सीजन के दौरान चुनाव कराना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. यही वजह है कि सरकार चुनाव कराने की दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है.

Cabinet sub-committee formation
शासन द्वारा जारी कॉपी (Uttarakhand Government)

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करना तभी संभव है जब ओबीसी आरक्षण नियमावली को मंजूरी मिल जाए. ऐसे में ओबीसी आरक्षण के लिए गठित एकल समर्पित वर्मा आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को पहले ही सौंप दिया है. इस रिपोर्ट के आधार पर नगर निकाय चुनाव कराए जा चुके हैं, ऐसे में इसी रिपोर्ट के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायत में ओबीसी आरक्षण तय करने और इससे संबंधित पहलुओं का परीक्षण करने के लिए ही उप समिति गठित की गई है यह समिति 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. समिति की पहली बैठक 7 जून को होने जा रही है जिसमें वर्मा आयोग की तीसरी रिपोर्ट उप समिति के समझ रखी जाएगी. पंचायत में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए पंचायती राज अधिनियम में अध्यादेश के जरिए संशोधन होना जरूरी है, जबकि संशोधन अध्यादेश राजभवन वापस लौट चुका है.

गौर हो कि उत्तराखंड में 28 मई को ग्राम पंचायत, 30 मई को क्षेत्र पंचायत और 1 जून को जिला पंचायतों मैं तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने की स्थिति में पंचायती राज विभाग की ओर से पंचायती राज संशोधन एक्ट के अध्यादेश को राजभवन भेजा गया था. जिसके बाद राजभवन ने अध्यादेश को वापस विधायी विभाग को भेज दिया था.

पढ़ें-

देहरादून: हरिद्वार जिला छोड़ प्रदेश के 12 जिलों के पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसे में राज्य सरकार ने पंचायत को संकट से बाहर निकालने के लिए राह तलाशने को मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की है. कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में गठित उप समिति में रेखा आर्य और सौरभ बहुगुणा को बतौर सदस्य नामित किया गया है. ऐसे में 7 जून को मंत्रिमंडलीय उप समिति की पहली बैठक होने जा रही है. जिसमें पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करने पर चर्चा की जाएगी.

दरअसल, 4 जून को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान त्रिस्तरीय पंचायत को लेकर अनौपचारिक चर्चा की गई थी. इसके बाद 5 जून को मुख्यमंत्री ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारण को वर्मा आयोग की संस्कृतियों के आधार पर नियमावली के परीक्षण के लिए तीन सदस्य मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित कर दी है. यह समिति पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को नए सिरे से तैयार करेगा, ताकि इसे राज भवन भेजा जा सके. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करने को लेकर भले ही राज्य सरकार तैयारी का दावा कर रही हो, लेकिन मानसून सीजन के दौरान चुनाव कराना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. यही वजह है कि सरकार चुनाव कराने की दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है.

Cabinet sub-committee formation
शासन द्वारा जारी कॉपी (Uttarakhand Government)

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करना तभी संभव है जब ओबीसी आरक्षण नियमावली को मंजूरी मिल जाए. ऐसे में ओबीसी आरक्षण के लिए गठित एकल समर्पित वर्मा आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को पहले ही सौंप दिया है. इस रिपोर्ट के आधार पर नगर निकाय चुनाव कराए जा चुके हैं, ऐसे में इसी रिपोर्ट के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायत में ओबीसी आरक्षण तय करने और इससे संबंधित पहलुओं का परीक्षण करने के लिए ही उप समिति गठित की गई है यह समिति 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. समिति की पहली बैठक 7 जून को होने जा रही है जिसमें वर्मा आयोग की तीसरी रिपोर्ट उप समिति के समझ रखी जाएगी. पंचायत में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए पंचायती राज अधिनियम में अध्यादेश के जरिए संशोधन होना जरूरी है, जबकि संशोधन अध्यादेश राजभवन वापस लौट चुका है.

गौर हो कि उत्तराखंड में 28 मई को ग्राम पंचायत, 30 मई को क्षेत्र पंचायत और 1 जून को जिला पंचायतों मैं तैनात प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने की स्थिति में पंचायती राज विभाग की ओर से पंचायती राज संशोधन एक्ट के अध्यादेश को राजभवन भेजा गया था. जिसके बाद राजभवन ने अध्यादेश को वापस विधायी विभाग को भेज दिया था.

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