बुरहानपुर: नेपानगर में स्थित एशिया के पहले कागज कारखाना से रिटायर्ड अधिकारी एरिक साइमन बेजुबान वन्य जीवों की सेवा करने में जुटे हैं. भीषण गर्मी में पशु-पक्षी और जंगली जानवरों की प्यास बुझाने का काम करते हैं. इसके लिए उन्होंने नेपानगर से लेकर चांदनी गांव तक जगह-जगह पानी की व्यवस्था की है. वे पक्षी प्रेमी हैं और इलाके में नि:शुल्क स्नेक रेस्क्यू करते हैं.
18 जगह पर लगाए हैं सिकोरे
एरिक साइमन ने नेपानगर से चांदनी गांव तक जंगलों में 18 जगहों पर सिकोरे (चिड़ियों के दाना पानी का बर्तन) बांध रखा है. इसके साथ ही कई जगहों पर गड्ढा बनाकर भी पानी डाल देते हैं. वे रोजाना अपनी बाइक से इन सिकोरे और गड्ढों में पानी डालते हैं. एरिक साइमन बतातें है कि "वन्य प्राणियों के सामने पानी का संकट पैदा न हो. किसी भी जानवर की मौत प्यास की वजह से न हो जाए, इसलिए उन वन प्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था करते हैं." इसमें उनके 2 बेटे भी मदद करते हैं और अपनी सहभागिता निभाते हैं.
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एक यात्रा ने सिखाया प्यास की पीड़ा
एरिक साइमन बताते हैं कि "एक यात्रा के दौरान मुझे प्यास से जूझना पड़ा. जिससे मेरी हालात खराब हो गई थी. दूसरे दिन मुझे सलाइन वॉटर चढ़ाना पड़ा था. उस दिन से केवल मानव जीवन के लिए नहीं बल्कि बेजुबान जानवरों के लिए भी काम शुरू कर दिया." एरिक साइमन ने पूरे इलाके में एक मिसाल पेश की है. वे अपने क्षेत्र में सर्प मित्र के नाम से प्रसिद्ध हैं. बताते हैं कि करीब बीते 25 सालों में हजारों से अधिक जहरीले सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं.
