जयपुर: प्रदेश में भजनलाल सरकार का गठन हुए भले ही अभी डेढ़ साल का समय भी पूरा नहीं हुआ, लेकिन सरकार में अभी से ही नौकरशाही के हावी होने का मामला चर्चा में है. विपक्षी दलों के नेता ही नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक और मंत्री भी अब खुले तौर पर नौकरशाही के हावी होने का राग अलाप रहे हैं.
अपनी ही पार्टी के विधायकों की ओर से नौकरशाही के हावी होने की बात कहने पर अब विपक्षी नेता भी इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक के निशाने पर ब्यूरोक्रेसी : लंबे समय से शांत बैठीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अब ब्यूरोक्रेसी को लेकर आक्रामक रुख अपना लिया है. हाल ही में अपने विधानसभा क्षेत्र झालावाड़ के रायपुर में दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने पानी की किल्लत को लेकर नौकरशाहों पर निशाना साधा और कहा कि अफसर सो रहे हैं और जनता रो रही है. मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.
राजे ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने 42 हजार करोड़ जल जीवन मिशन में दिए हैं. पाई-पाई का हिसाब दो कि झालावाड़ के हिस्से की राशि का आपने क्या किया? पेयजल संकट निवारण के लिए हमारी सरकार तो पैसा दे रही है, लेकिन अफसर योजनाओं की सही क्रियान्विति नहीं कर रहे. इसलिए राजस्थान के लोग प्यास से व्याकुल है.
वहीं, सिविल लाइंस से भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने भी वैशाली नगर में अतिक्रमण को लेकर जेडीए की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर भी नौकरशाही पर सवाल खड़े किए थे कि सरकार में नौकरशाही हावी है और यह भाजपा सरकार के अनुकूल नहीं है. गोपाल शर्मा पहले भी कई बार नौकरशाही को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं.
कैबिनेट मंत्री किरोड़ी ने भी उठाए थे सवाल : कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने भी कई बार नौकरशाही को लेकर सवाल खड़े किए हैं. किरोड़ी ने राज्य सरकार पर अपनी जासूसी करवाने और सीआईडी को पीछे लगाने के भी आरोप लगाए. यही नहीं, उन्होंने जयपुर के महेश नगर में तैनात एक महिला सीआई के तबादले को लेकर भी कहा था कि उनके कहने के बावजूद भी महिला सीआई की का तबादला नहीं किया जा रहा है.
विपक्ष ने कसा सरकार पर तंज : वहीं, भाजपा विधायकों की ओर से नौकरशाही के हावी होने का बयान देने के बाद अब विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना है कि हम तो पहले ही कह रहे थे कि सरकार में नौकरशाही हावी है. मंत्री और विधायकों की नहीं चल रही है. अब इस बात को खुद प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के अन्य विधायक खुले आम तौर पर कह रहे हैं. इससे साफ है कि सरकार में नौकरशाही की मर्जी के बगैर कोई काम नहीं हो रहे.
पूर्ववर्ती सरकार में भी नौकरशाही के हावी होने की रही थी गूंज : दिलचस्प ये भी है कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में भी लगातार नौकरशाही के अभी होने की गूंज सुनाई देती रही थी. तत्कालीन सरकार के कई मंत्रियों का अफसर से सीधे टकराव हुआ था, जिसके चलते कई आईएएस अधिकारी डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए थे. तत्कालीन पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, खेल मंत्री अशोक चांदना का खुले तौर पर अफसरों से टकराव हुआ था.
सरकार के सामने छवि बनाए रखने की चुनौती : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजीव जैन का कहना है कि भाजपा सरकार के डेढ़ साल के शासन में ही नौकरशाही के हावी होने के जो आरोप लग रहे थे. हाल ही में हुई कुछ घटनाओं के बाद वो सही साबित होते दिख रहे हैं. सत्ताधारी पार्टी के विधायकों और नेताओं की सुनवाई नहीं हो रही है. पहले नेता दबी जवान में नौकरशाही के हावी होने की बात करते थे, लेकिन अब खुलकर बोलने लगे हैं. सरकार को अगर अपनी छवि बनाए रखनी है तो नेताओं और विधायकों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए और उन्हें संतुष्ट रखना चाहिए, जिससे कि नाराजगी खुलकर सामने नहीं आ सके.