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एक ही पौधे में उगेगा बैंगन और टमाटर, 'ब्रिमैटो' तकनीक से किसानों को होगा डबल मुनाफा - BRINJAL AND TOMATO IN ONE PLANT

क्या आपने एक ही डाल पर बैंगन और टमाटर देखा है? बिहार में ऐसी अदभुत खेती होती है. 'ब्रिमैटो' तकनीक डबल मुनाफे की गारंटी है.

Brimato technology in Gaya
एक पौधे पर बैंगन और टमाटर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 12, 2025 at 5:49 PM IST

Updated : April 12, 2025 at 6:09 PM IST

8 Min Read

गया: बिहार के गया में 'ब्रिमैटो' तकनीक से खेती कर किसान डबल मुनाफा कमाने की तकनीक सीख रहे हैं. एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर के साथ-साथ ही आलू की भी फसल उगाई जा रही है. इसकी खेती ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से ट्रायल और प्रशिक्षण के रूप में गया में स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कृषि संकाय द्वारा किया गया है. यह विधि आने वाले समय में क्रांतिकारी साबित हो सकती है.

'ब्रिमैटो' तकनीक डबल मुनाफे की गारंटी: विश्वविद्यालय की पोषण वाटिका में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमंत कुमार सिंह बताते हैं कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के सहयोग से ब्रिमैटो और पोमाटो नामक विकसित उन्नत ग्राफ्टेड पौधों को लगाया गया है, इसका उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर उनको अधिक लाभकारी टिकाऊ और उत्पादक कृषि प्रणाली अपनाने के अवसर प्रदान करना है.

गया में ब्रिमैटो तकनीक से खेती (ETV Bharat)

जड़ एक, फसल दो: डॉ. हेमंत कुमार सिंह ब्रिमैटो के बारे में बताते हैं कि सामान्य रूप से जैसे पारंपरिक खेती की जाती है, उसी तरह इसकी भी खेती होती है लेकिन इस विधि से सब्जी करने के लिए पहले बीच से इसके पौधे तैयार किए जाते हैं. जिन मौसम में टमाटर और बैंगन की फसल लगती है, उसी मौसम में इसको करना अधिक लाभदायक है.

Brimato technology in Gaya
एक पौधे पर बैंगन और टमाटर की खेती (ETV Bharat)

एक ही पौधे से बैंगन-टमाटर की खेती: बीज से पौधे तैयार होने में 22 से 25 दिनों का समय लगता है. जब वो पौधे 10 से 12 सेंटीमीटर के होते हैं, तब उन में 'ब्रिमैटो' के लिए बैंगन के पौधे की जड़ को उखाड़कर उस के ऊपर टमाटर के पौधे की 'डंडी' को अच्छे और बेहतर ढंग से बनाकर टमाटर की जड़ के ऊपर ग्राफ्टिंग की जाती है, फिर उसे उचित वातावरण में लगभग 10 से 15 दिनों तक रखा जाता है. इस अवधि के बाद ही पौधा रोपण होता है.

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ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

क्या है ग्राफ्टिंग, कैसे की जाती है इसे?: असल में ग्राफ्टिंग में दो पौधों के तने को काटकर एक-दूसरे पर जोड़ देते हैं. जब बैंगन के पौधे 25-30 दिन और टमाटर के पौधे 22-25 दिन के हो जाते हैं, तब उनकी ग्राफ्टिंग की जाती है. इस प्रक्रिया में नीचे बैंगन की रूटस्टॉक का प्रयोग होता है. उसके बाद उसमें टमाटर और बैंगन की एक दूसरी किस्म के पौधे की ग्राफ्टिंह की जाती है.

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ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

'पोमाटो' तकनीक में क्या होता है?: इसी तरह 'पोमाटो' में आलू और टमाटर की बीज से अलग-अलग पौधे तैयार किए जाते हैं. आलू की जड़ और टमाटर की डंडी को ग्राफ्ट किया जाता है. इसमें आलू की जड़ होती है. इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद पौधा रोपण होता है. लगभग 60 से 70 दिनों में टमाटर और बैंगन फलने शुरू हो जाते हैं.

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अन्य फसलों की तरह ही सामान्य सिंचाई: इस विधि के माध्यम से खेती करने की सभी प्रक्रिया वही है, जो आलू, टमाटर और बैंगन की खेती करने में होती है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसका पटवन भी एक-दो बार ही होता है. बस पौधों में लगने वाले कीड़ों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. बाकी देखरेख पारंपरिक खेती की विधि जैसी ही होती है.

नई तकनीक, उत्पादन अधिक: वैसे टमाटर, आलू और बैंगन की खेती पुरानी है लेकिन इसमें कुछ नई तकनीक है, जिस वजह से एक पौधे में दो तरह की सब्जियों की पैदावार होती है. हालांकि इस नई तकनीक की खेती में भी समय उतना ही लगता है, जितना कि टमाटर-बैंगन और आलू की सामान्य रूप से होने वाली खेती में लगता है लेकिन इस तकनीक की फसल का फायदा उत्पादन में होता है.

Brimato technology in Gaya
एक पौधे पर बैंगन और टमाटर (ETV Bharat)

कम जगह में ज्यादा मुनाफा: कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक पुरानी तकनीक से जितना बैंगन-टमाटर और आलू का उत्पादन होता है, उस से कहीं ज्यादा इस विधि से होता है. कम जगह पर अधिक मुनाफा वाली यह तकनीक काफी सफल और कारगर मानी जा रही है. उदाहरण के रूप में अगर एक कट्ठा में टमाटर लगाते हैं तो 150 किलो तक उसका उत्पादन हो सकता है, जबकि उतनी जगह पर ब्रिमैटो तकनीक अपनाकर खेती की जाए तो उतने ही टमाटर के साथ-साथ उतना ही बैंगन भी उपजेगा.

कितनी उपज होगी?: डॉ हेमंत कुमार सिंह बताते हैं कि ब्रिमैटो तकनीक से खेती में एक पौधे में टमाटर का उत्पादन ढाई किलो होता है, उसी तरह बैंगन भी एक पौधे में 10 से 12 फलते हैं, जिसका वजन ढाई से 3 किलो तक होते हैं. वे कहते हैं कि पोमाटो विधि के तहत टमाटर के एक पौधे में लगभग ढाई से 3 किलो तक फल उत्पादित होंगे, जबकि आलू भी एक पौधे की जड़ में 500 से 700 ग्राम तक उत्पादित होंगे.

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गया में ब्रिमेटो और पोमाटो तकनीक से खेती (ETV Bharat)

"अगर एक ही फसल करेंगे तो सिर्फ एक ही फसल उत्पादित होगी लेकिन नई तकनीक से अगर हम एक कट्ठा में करते हैं तो दो तरह की फसल का उत्पादन होगा और उसके उत्पादन का वजन भी सामान्य रूप से अधिक होगा. ब्रिमैटो और पोमाटो तकनीक छोटे किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है."- डॉ. हेमंत कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, पोषण वाटिका विभाग, दक्षिण बिहार विश्वविद्यालय

छोटे किसानों को होगा लाभ: डॉ. हेमंत कुमार सिंह कहते हैं कि पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. यह जलभराव और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति अधिक सहनशील बनता है. सीमित भूमि में अधिक उत्पादन किया जा सकता है और विशेष रूप से सीमांत एवं छोटे किसानों को लाभ मिल सकता है, क्योंकि इन संयंत्रों के माध्यम से किसानों को एक ही पौधे से दो प्रकार की फसलें, रोगों और कीटों से बेहतर सुरक्षा, सीमित संसाधनों में अधिक उत्पादन और बदलते मौसम में भी स्थिर उत्पादकता जैसे कई लाभ प्राप्त होते हैं.

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गया में ब्रिमैटो तकनीक से खेती (ETV Bharat)

क्या है उद्देश्य?: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह की कोशिश है कि किसानों को व्यावसायिक कृषि की ओर प्रेरित करना और कृषि शिक्षा को व्यावहारिक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना है.

"ब्रिमैटो जैसी तकनीक जैविक और अजैविक तनावों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता की सब्जी उत्पादन में सहायक हो सकती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता, युवाओं की भागीदारी और हरित अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और विश्वविद्यालय द्वारा प्रदर्शित यह नवाचार आने वाले समय में कृषि आधारित स्टार्टअप्स एवं तकनीक-आधारित खेती के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है."- मोहम्मद मुदस्सीर आलम, जनसंपर्क पदाधिकारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय

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गया का दक्षिण बिहार विश्वविद्यालय (ETV Bharat)

तकनीक को सीखने पहुंच रहे हैं किसान: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण के लिए लगभग 300 पौधे लगे हुए हैं. यहां रोजाना गया के किसान आकार ब्रिमैटो और पोटामो विधि वाली खेती के बारे में सीख रहे हैं. किसान बभन यादव बताते हैं कि वह यहां पिछले 5 दिनों से आकर नई तकनीक की खेती के बारे में जान रहे हैं उन्हें इस खेती के बारे में कुछ जानकारी अच्छी लगी है. वह अपने गांव में बैंगन और टमाटर की ग्राफ्टिंग करके फसल लगाएंगे.

"अब तक जितना यहां विश्वविद्यालय के लोगों से जाना है इस तकनीक से टमाटर की फसल के जड़ में होने वाले रोग और बारिश के असर से प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि ग्राफ्टिंग की तकनीक में बैंगन के पौधे की जड़ का उपयोग किया जाता है, जो टमाटर के मुकाबले काफी मजबूत होता है. बैंगन की जड़ खेती में पानी भरने पर जल्दी नहीं सड़ती है और पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता है, इसकी खेती वो एक बीघा जमीन पर करेंगे."- बभन यादव, किसान

ये भी पढ़ें:

हल्के बैंगन... तगड़ा मुनाफा, इस गांव के 600 किसान सैकड़ों एकड़ में करते हैं खेती, जानिए क्यों

बिहार में ड्रिप इरिगेशन से टमाटर की खेती कर लाखों कमा रहे किसान

गया: बिहार के गया में 'ब्रिमैटो' तकनीक से खेती कर किसान डबल मुनाफा कमाने की तकनीक सीख रहे हैं. एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर के साथ-साथ ही आलू की भी फसल उगाई जा रही है. इसकी खेती ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से ट्रायल और प्रशिक्षण के रूप में गया में स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कृषि संकाय द्वारा किया गया है. यह विधि आने वाले समय में क्रांतिकारी साबित हो सकती है.

'ब्रिमैटो' तकनीक डबल मुनाफे की गारंटी: विश्वविद्यालय की पोषण वाटिका में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमंत कुमार सिंह बताते हैं कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के सहयोग से ब्रिमैटो और पोमाटो नामक विकसित उन्नत ग्राफ्टेड पौधों को लगाया गया है, इसका उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर उनको अधिक लाभकारी टिकाऊ और उत्पादक कृषि प्रणाली अपनाने के अवसर प्रदान करना है.

गया में ब्रिमैटो तकनीक से खेती (ETV Bharat)

जड़ एक, फसल दो: डॉ. हेमंत कुमार सिंह ब्रिमैटो के बारे में बताते हैं कि सामान्य रूप से जैसे पारंपरिक खेती की जाती है, उसी तरह इसकी भी खेती होती है लेकिन इस विधि से सब्जी करने के लिए पहले बीच से इसके पौधे तैयार किए जाते हैं. जिन मौसम में टमाटर और बैंगन की फसल लगती है, उसी मौसम में इसको करना अधिक लाभदायक है.

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एक पौधे पर बैंगन और टमाटर की खेती (ETV Bharat)

एक ही पौधे से बैंगन-टमाटर की खेती: बीज से पौधे तैयार होने में 22 से 25 दिनों का समय लगता है. जब वो पौधे 10 से 12 सेंटीमीटर के होते हैं, तब उन में 'ब्रिमैटो' के लिए बैंगन के पौधे की जड़ को उखाड़कर उस के ऊपर टमाटर के पौधे की 'डंडी' को अच्छे और बेहतर ढंग से बनाकर टमाटर की जड़ के ऊपर ग्राफ्टिंग की जाती है, फिर उसे उचित वातावरण में लगभग 10 से 15 दिनों तक रखा जाता है. इस अवधि के बाद ही पौधा रोपण होता है.

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क्या है ग्राफ्टिंग, कैसे की जाती है इसे?: असल में ग्राफ्टिंग में दो पौधों के तने को काटकर एक-दूसरे पर जोड़ देते हैं. जब बैंगन के पौधे 25-30 दिन और टमाटर के पौधे 22-25 दिन के हो जाते हैं, तब उनकी ग्राफ्टिंग की जाती है. इस प्रक्रिया में नीचे बैंगन की रूटस्टॉक का प्रयोग होता है. उसके बाद उसमें टमाटर और बैंगन की एक दूसरी किस्म के पौधे की ग्राफ्टिंह की जाती है.

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'पोमाटो' तकनीक में क्या होता है?: इसी तरह 'पोमाटो' में आलू और टमाटर की बीज से अलग-अलग पौधे तैयार किए जाते हैं. आलू की जड़ और टमाटर की डंडी को ग्राफ्ट किया जाता है. इसमें आलू की जड़ होती है. इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद पौधा रोपण होता है. लगभग 60 से 70 दिनों में टमाटर और बैंगन फलने शुरू हो जाते हैं.

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अन्य फसलों की तरह ही सामान्य सिंचाई: इस विधि के माध्यम से खेती करने की सभी प्रक्रिया वही है, जो आलू, टमाटर और बैंगन की खेती करने में होती है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसका पटवन भी एक-दो बार ही होता है. बस पौधों में लगने वाले कीड़ों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. बाकी देखरेख पारंपरिक खेती की विधि जैसी ही होती है.

नई तकनीक, उत्पादन अधिक: वैसे टमाटर, आलू और बैंगन की खेती पुरानी है लेकिन इसमें कुछ नई तकनीक है, जिस वजह से एक पौधे में दो तरह की सब्जियों की पैदावार होती है. हालांकि इस नई तकनीक की खेती में भी समय उतना ही लगता है, जितना कि टमाटर-बैंगन और आलू की सामान्य रूप से होने वाली खेती में लगता है लेकिन इस तकनीक की फसल का फायदा उत्पादन में होता है.

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एक पौधे पर बैंगन और टमाटर (ETV Bharat)

कम जगह में ज्यादा मुनाफा: कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक पुरानी तकनीक से जितना बैंगन-टमाटर और आलू का उत्पादन होता है, उस से कहीं ज्यादा इस विधि से होता है. कम जगह पर अधिक मुनाफा वाली यह तकनीक काफी सफल और कारगर मानी जा रही है. उदाहरण के रूप में अगर एक कट्ठा में टमाटर लगाते हैं तो 150 किलो तक उसका उत्पादन हो सकता है, जबकि उतनी जगह पर ब्रिमैटो तकनीक अपनाकर खेती की जाए तो उतने ही टमाटर के साथ-साथ उतना ही बैंगन भी उपजेगा.

कितनी उपज होगी?: डॉ हेमंत कुमार सिंह बताते हैं कि ब्रिमैटो तकनीक से खेती में एक पौधे में टमाटर का उत्पादन ढाई किलो होता है, उसी तरह बैंगन भी एक पौधे में 10 से 12 फलते हैं, जिसका वजन ढाई से 3 किलो तक होते हैं. वे कहते हैं कि पोमाटो विधि के तहत टमाटर के एक पौधे में लगभग ढाई से 3 किलो तक फल उत्पादित होंगे, जबकि आलू भी एक पौधे की जड़ में 500 से 700 ग्राम तक उत्पादित होंगे.

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गया में ब्रिमेटो और पोमाटो तकनीक से खेती (ETV Bharat)

"अगर एक ही फसल करेंगे तो सिर्फ एक ही फसल उत्पादित होगी लेकिन नई तकनीक से अगर हम एक कट्ठा में करते हैं तो दो तरह की फसल का उत्पादन होगा और उसके उत्पादन का वजन भी सामान्य रूप से अधिक होगा. ब्रिमैटो और पोमाटो तकनीक छोटे किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है."- डॉ. हेमंत कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, पोषण वाटिका विभाग, दक्षिण बिहार विश्वविद्यालय

छोटे किसानों को होगा लाभ: डॉ. हेमंत कुमार सिंह कहते हैं कि पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. यह जलभराव और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति अधिक सहनशील बनता है. सीमित भूमि में अधिक उत्पादन किया जा सकता है और विशेष रूप से सीमांत एवं छोटे किसानों को लाभ मिल सकता है, क्योंकि इन संयंत्रों के माध्यम से किसानों को एक ही पौधे से दो प्रकार की फसलें, रोगों और कीटों से बेहतर सुरक्षा, सीमित संसाधनों में अधिक उत्पादन और बदलते मौसम में भी स्थिर उत्पादकता जैसे कई लाभ प्राप्त होते हैं.

Brimato technology in Gaya
गया में ब्रिमैटो तकनीक से खेती (ETV Bharat)

क्या है उद्देश्य?: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह की कोशिश है कि किसानों को व्यावसायिक कृषि की ओर प्रेरित करना और कृषि शिक्षा को व्यावहारिक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना है.

"ब्रिमैटो जैसी तकनीक जैविक और अजैविक तनावों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता की सब्जी उत्पादन में सहायक हो सकती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता, युवाओं की भागीदारी और हरित अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और विश्वविद्यालय द्वारा प्रदर्शित यह नवाचार आने वाले समय में कृषि आधारित स्टार्टअप्स एवं तकनीक-आधारित खेती के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है."- मोहम्मद मुदस्सीर आलम, जनसंपर्क पदाधिकारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय

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गया का दक्षिण बिहार विश्वविद्यालय (ETV Bharat)

तकनीक को सीखने पहुंच रहे हैं किसान: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण के लिए लगभग 300 पौधे लगे हुए हैं. यहां रोजाना गया के किसान आकार ब्रिमैटो और पोटामो विधि वाली खेती के बारे में सीख रहे हैं. किसान बभन यादव बताते हैं कि वह यहां पिछले 5 दिनों से आकर नई तकनीक की खेती के बारे में जान रहे हैं उन्हें इस खेती के बारे में कुछ जानकारी अच्छी लगी है. वह अपने गांव में बैंगन और टमाटर की ग्राफ्टिंग करके फसल लगाएंगे.

"अब तक जितना यहां विश्वविद्यालय के लोगों से जाना है इस तकनीक से टमाटर की फसल के जड़ में होने वाले रोग और बारिश के असर से प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि ग्राफ्टिंग की तकनीक में बैंगन के पौधे की जड़ का उपयोग किया जाता है, जो टमाटर के मुकाबले काफी मजबूत होता है. बैंगन की जड़ खेती में पानी भरने पर जल्दी नहीं सड़ती है और पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता है, इसकी खेती वो एक बीघा जमीन पर करेंगे."- बभन यादव, किसान

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बिहार में ड्रिप इरिगेशन से टमाटर की खेती कर लाखों कमा रहे किसान

Last Updated : April 12, 2025 at 6:09 PM IST
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